Sunday 17 September 2017

भारतीय महाद्वीप केइस विभाजन में जिस संस्था ने मुख्य रूप से भाग लिया उसका नाम था मुस्लिम लीग एवं इंडियन नेशनल कांग्रेस, तथा जिनमुख्य लोगों ने हिस्सा लिया वो थे मो. अली जिन्नाह, लोर्ड माउन्टबेटेन, क्रेयल रैडक्लिफ, जवाहर लाल नेहरु, महत्मा गाँधी एवंदोनों संगठनो के कुछ मुख्य कार्यकर्तागण|
 इन सब में से सबसे अहम् व्यक्ति थे क्रेयल रैड्क्लिफ जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने भारत पाकिस्तान के विभाजन की जिम्मेदारी सौंपी थी| इसविभाजन का जो मुख्य कारणदिया जा रहा था वो था की हिंदू बहुसंख्यक है और आजादी के बाद यहाँ बहुसंख्यक लोग ही सरकार बनायेंगे तब मो. अली जिन्नाह को यह ख्याल आयाकी बहुसंख्यक के राज्य में रहने से अल्पसंख्यक के साथ नाइंसाफ़ी या उन्हें नज़रंदाज़ किया जा सकता तो उन्होंने अलगसे मुस्लिम राष्ट्र की मांग शुरू की| भारत के विभाजन की मांग वर्ष डर वर्ष तेज होती गई|
 भारत से अलग मुस्लिम राष्ट्र के विभाजन की मांग सन 1920 में पहली बार उठाईऔर 1947 में उसे प्राप्त किया| 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को हिंदू सिख बहुसंख्यक एवं मुस्लिम अल्पसंख्यकराष्ट्र घोषित कर दिया गया| 1920 से 1932 में भारत पाकिस्तान विभाजन की नीव राखी गई| प्रथम बार मुस्लिम राष्ट्र की मांग अलामा इकबाल ने 1930 में मुस्लिम लीग के अध्यक्षीय भाषण में किया था| 1930 में ही मो. जिन्नाह ने सारे अखंड भारत के अल्पसंख्यक समुदाय को भरोसे में ले लिया और कहा की भारत के मुख्यधारा की पार्टी कांग्रेस मुस्लिम हितोंकी अनदेखी कर रही है|
इसके बाद 1932 से 1942 तक में विभाजन की बात बहुत आगे तक निकल गई थी, हालाँकि हिंदूवादी संगठन हिंदू महासभा देश का विभाजन नही चाहते थे परन्तु वह हिंदू और मुस्लिम के बिच के फर्क को बनाये रखना चाहते थे| सन 1937 में हिंदू महासभा के 19वें अधिवेसन में वीर सावरकर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा की भारत के साजातीय एवं एकजुट राष्ट्र हो सकता है अपितु दो अलग-अलग हिंदू एवं मुस्लिम राष्ट्र के|इन सब कोशिशों के बावजूदभी 1940 में मुस्लिम लीग के लाहोरे अधिवेशन में जिनाह ने स्पष्ट कर दिया की उन्हें मुस्लिम राष्ट्र चाहिए और इस मुद्दे पर लीग ने बिना किसी हीचकीचाहट के बोला की हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग धर्म है, अलग रीती-रिवाज, अलग संस्कृति है और ऐसे में दो अलग राष्ट्रों को एकजुट रखना खासकर तब जब एक धर्म अल्पसंख्यक हो और दूसरा धर्म बहुसंख्यक, यह सब कारण अल्पसंख्यक समाज में असंतोष पैदा करेगा और राष्ट्र में और सकारों के कार्य में अवरोध पैदाकरेगा|
सन 1942 से 1946 विभाजन की बात चरमसीमा पर थी और विभाजन की तयारी आखिरी दौर में| 1946 में मुस्लिम लीग द्वारा “Direct Action Day” बुलाएजाने पर जो हुआ उस घटना से सारे राजनितिक एवं दोनों समुदाय के नेता घबरा गयेथे| इस घटना के कारण उत्तर भारत और खास कर बंगाल ,में आक्रोश बढ़ गया और राजनितिक पार्टियों पर दोनों राष्ट्र के विभाजन का खतरा बढ़ गया| 16 अगस्त 1946 के “Direct ActionDay” को “Great kolkataRiot” के नाम से भी जाना जाता है| 
16 अगस्त 1946को मुस्लिम लीग ने आम हड़ताल बुलाई थी जिसमे मुख्य मुददा था था कांग्रेस के कैबिनेट का बहिष्कार और अपनी अलग राष्ट्र की मांग की दावेदारी को और मजबूत करना| “Direct Action Day” के हड़ताल के दौरान कलकत्ता में दंगा भड़क गया जिसमे मुस्लिम लीग समर्थकों ने हिन्दुओं एवं सिखों को निशाना बनाया जिसके प्रतिरोध में कांग्रेस समर्थकों ने भी मुस्लिम लीग कर्यकर्तों के ऊपर हमला बोल दिया| उसके बाद यह हिंसा बंगाल से बहार निकल बिहार तक में फ़ैल गई|
 केवल कलकत्ता के अन्दर में 72 घंटे के अन्दर में 4000 लोग मारे गए ओर करीब 1 ,00,000 लोग बेघर हो गए| इन सब के बाद बहुत से कांग्रेसी नेता भी धर्म के नाम पर भारत विभाजन के विरोध में थे| महात्मा गाँधी ने विभाजन का विरोध करते हुए कहा मुझे विश्वास हैकि दोनों धर्म के लोग (हिंदू और मुस्लमान) शांति और सोहार्द बना करएक साथ तेरा सकते हैं| मेरी आत्मा इस बात को अस्वीकार करती है कि हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म दोनों अलग संस्कृति और सिधान्तों का प्रतिनिधित्व करते हैं| मुझे इस तरह के सिधांत अपनाने के लिए मेरा भगवन अनुमति नही देता| 
पर अबतक अंग्रेज अपने मकसद में कामयाब होचुके थे| “Direct ActionDay” के हादसे के बाद सबको लगने लगा था कि अब अखंड भारत का विभाजन कर देना चाहिए| दो नए राज्यों/राष्ट्रों का विभाजन माउन्टबेटेन प्लान के अनुसार किया गया| जुलाई 18, 1947 को ब्रिटिश संसद द्वारा “Indian Independence Act” पास किया गया जिसमे विभाजन कि रूप रेखा तैयार कि गई थी, और अंत 1947 में इस ACT को ब्रिटिश संसद अधिकारिक तौर पर पारित किया गया और भारत एवं पाकिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया|

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