क्या करतूतें की हैं रोहिंग्याओं ने बर्मा में .......
ARSA (अराकान रोहिंग्या मुक्ति सेना या हरकत अल-यक़ीन या दीनी तबलीग) म्यान्मार सरकार के विरुद्ध लड़ता मुस्लिम जिहादी संगठन है जिसे समस्त विश्व के मुस्लिमों का स्वाभाविक प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन प्राप्त है।
लगभग 37000 वर्ग किलोमीटर में फैला अराकान प्रांत अब रेखाइन कहलाता है जो कि केरल से कुछ ही छोटा है और केरल की भाँति ही लम्बोतर समुद्र तट इसकी भौगोलिक विशेषता है। जैसा कि केरल में भी छिपे रूप में चल रहा है, आतंकवादी संगठन हरकत अल-यक़ीन का उद्देश्य मयान्मार से इस क्षेत्र को काट कर रेखाइन इस्लामी राष्ट्र की स्थापना है।
रोहिंग्या मुसलमान अपने अन्य बिरादरान की तरह ही इस संगठन का प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन करते हैं और इस कारण ही म्यान्मार द्वारा अपनी क्षेत्रीय सम्प्रभुता एवं अखण्डता को अक्षुण्ण रखने हेतु इस आतंकवादी संगठन के विरुद्ध की जा रही कार्यवाही में पिट रहे हैं। इस आतंकवादी संगठन के नेतृत्त्व में रोहिंग्या मुसलमानों ने वहाँ के बौद्ध निवासियों पर भयंकर अमानवीय अत्याचार किये हैं और किये जा रहे हैं।
एक रोचक तथ्य यह है कि नीचतम निर्धनता के चंगुल में फँसे ये मुसलमान अपने बँगलादेशी महजबियों की भाँति ही हिंदुओं के विरुद्ध जिहाद से नहीं चूकते! इस्लाम का रुख इन्हें स्पष्ट है और ये मजहबी आदेश का पालन करते हुये वहाँ जो भी थोड़े हिंदू बचे हुये हैं, उनके समूल नाश में लगे हुये हैं अर्थात अपने गले फाँसी लगी है किन्तु तब भी काफिर हिंदुओं के विरुद्ध जिहादी हिंसा में लिप्त हैं।
एक उदाहरण पर्याप्त है-
गत 25 अगस्त को सुनियोजित ढंग से घात लगा कर रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यान्मार सेना की सीमा चौकियों और पुलिस पर आक्रमण किया, साथ ही हिंदू गाँवों को भी नहीं छोड़ा ..रात के अंधेरे में इन मुसलमानों ने रेखाइन प्रांत के मौंग्डा क्षेत्र के गाँवों पर आक्रमण किया और गाँवों को घेर कर वहाँ 86 हिंदुओं की गला रेत कर और चाकू मार कर हत्या कर दी । फकीरा बाजार, रिक्तपुरा और चिकोनछरी गाँवों के गाँवों को आग लगा लगभग 200 परिवारों को गृहहीन कर दिया। अब वे लोग भी बँगलादेश में शरण लिये हुये हैं।
मुसलमानों और बौद्धों के इस संघर्ष को ले कर भारत के जो कथित प्रगतिशील आतंकी मुसलमानों के लिये न्यायालय से ले कर विश्वविद्यालयों तक प्रदर्शन और समर्थन के भावनात्मक दबाव बनाने में लगे हुये हैं, वे वहाँ के हिंदुओं का नाम तक नहीं लेते!
यह घटनाक्रम सीख है कि यदि मुस्लिम जिहाद पर नियंत्रण नहीं किया गया तो कल केरल की स्थिति भी काश्मीर और रेखाइन जैसी हो सकती है और यह भी कि वैश्विक मञ्च पर हिंदुओं की पीड़ा को उठाने वाला कोई नहीं है। क्या भारत सरकार इस दिशा में नेतृत्व करेगी?
विट्ठलव्यास
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रोहिंगया_मुसलमानों
ये है सऊदी अरब की टेंट सिटी, मीना। जहां "बीस वर्ग किलोमीटर* जमीन पर एक लाख एयर कंडीशनर टेंट खाली पड़े हैं। जो 30 लाख लोगों को बसेरा दे सकते हैं। ये टेंट फायर प्रुफ हैं, और बाथरूम और किचन से युक्त हैं, हज के बाद ये टेंट सिटी पूरे साल वीरान रहती है।
तो अब बैचारे रोहिंग्या भाइयों बहनों बच्चों को खुले आसमान के नीचे नही सोना पड़ेगा,और किसी काफ़िर के सामने हाथ भी नही फैलाना पड़ेगा।
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चित्रलेखा में छपे इस लेख को आज याद करने का एक मात्र कारण रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर भारत में की जा रही वकालत है... यह कहानी थाईलैण्ड से शुरू होती है। वहां एक समय याबा नाम का नशे का एक बड़ा कारोबार हुआ करता था। वहां शिनवात्रा नाम के शासक ने जब याबा के कारोबार के खिलाफ मुहिम चलाई तो याबा के सभी कारोबारी थाईलैण्ड से भागे और वहां आ गये जहां म्यांमार में रोहिंग्या आबादी रहा करती थी। याबा कारोबारियों ने रोहिंग्या को अपना माध्यम बनाया और बांग्लादेश देश तथा भारत में रोहिंग्या मुसलमानों के जरिए अपना कारोबार फैलाने लगे।
म्यांमार और बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों की हर अवैध गतिविधि को जानते हैं। ये हर उस गतिविधि में लिप्त है जो समाज और राष्ट के लिए खतरा है। म्यांमार और बांग्लादेश ने जब इन रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर अभियान चलाया हुआ है ऐसे में भारत के मुसलमान नेता इन सबको भारत में पनाह देने के लिए आंदोलन के मूड में हैं. कितनी बड़ी विसंगति है कि जिन देशों के ये नागरिक हैं वे तो इन्हें रखना नहीं चाहते, लेकिन भारत के मुसलमान नेताओं को इन अवैध कारोबारियों, नशा और अपराध के सौदागरों से बहुत हमदर्दी है।
प्रख्यात वामपंथी विचारक और क्रान्तिकारी राहुल सांकृत्यायन से जुड़ी वह घटना याद आ रही है
ARSA (अराकान रोहिंग्या मुक्ति सेना या हरकत अल-यक़ीन या दीनी तबलीग) म्यान्मार सरकार के विरुद्ध लड़ता मुस्लिम जिहादी संगठन है जिसे समस्त विश्व के मुस्लिमों का स्वाभाविक प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन प्राप्त है।
लगभग 37000 वर्ग किलोमीटर में फैला अराकान प्रांत अब रेखाइन कहलाता है जो कि केरल से कुछ ही छोटा है और केरल की भाँति ही लम्बोतर समुद्र तट इसकी भौगोलिक विशेषता है। जैसा कि केरल में भी छिपे रूप में चल रहा है, आतंकवादी संगठन हरकत अल-यक़ीन का उद्देश्य मयान्मार से इस क्षेत्र को काट कर रेखाइन इस्लामी राष्ट्र की स्थापना है।
रोहिंग्या मुसलमान अपने अन्य बिरादरान की तरह ही इस संगठन का प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन करते हैं और इस कारण ही म्यान्मार द्वारा अपनी क्षेत्रीय सम्प्रभुता एवं अखण्डता को अक्षुण्ण रखने हेतु इस आतंकवादी संगठन के विरुद्ध की जा रही कार्यवाही में पिट रहे हैं। इस आतंकवादी संगठन के नेतृत्त्व में रोहिंग्या मुसलमानों ने वहाँ के बौद्ध निवासियों पर भयंकर अमानवीय अत्याचार किये हैं और किये जा रहे हैं।
एक रोचक तथ्य यह है कि नीचतम निर्धनता के चंगुल में फँसे ये मुसलमान अपने बँगलादेशी महजबियों की भाँति ही हिंदुओं के विरुद्ध जिहाद से नहीं चूकते! इस्लाम का रुख इन्हें स्पष्ट है और ये मजहबी आदेश का पालन करते हुये वहाँ जो भी थोड़े हिंदू बचे हुये हैं, उनके समूल नाश में लगे हुये हैं अर्थात अपने गले फाँसी लगी है किन्तु तब भी काफिर हिंदुओं के विरुद्ध जिहादी हिंसा में लिप्त हैं।
एक उदाहरण पर्याप्त है-
गत 25 अगस्त को सुनियोजित ढंग से घात लगा कर रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यान्मार सेना की सीमा चौकियों और पुलिस पर आक्रमण किया, साथ ही हिंदू गाँवों को भी नहीं छोड़ा ..रात के अंधेरे में इन मुसलमानों ने रेखाइन प्रांत के मौंग्डा क्षेत्र के गाँवों पर आक्रमण किया और गाँवों को घेर कर वहाँ 86 हिंदुओं की गला रेत कर और चाकू मार कर हत्या कर दी । फकीरा बाजार, रिक्तपुरा और चिकोनछरी गाँवों के गाँवों को आग लगा लगभग 200 परिवारों को गृहहीन कर दिया। अब वे लोग भी बँगलादेश में शरण लिये हुये हैं।
मुसलमानों और बौद्धों के इस संघर्ष को ले कर भारत के जो कथित प्रगतिशील आतंकी मुसलमानों के लिये न्यायालय से ले कर विश्वविद्यालयों तक प्रदर्शन और समर्थन के भावनात्मक दबाव बनाने में लगे हुये हैं, वे वहाँ के हिंदुओं का नाम तक नहीं लेते!
यह घटनाक्रम सीख है कि यदि मुस्लिम जिहाद पर नियंत्रण नहीं किया गया तो कल केरल की स्थिति भी काश्मीर और रेखाइन जैसी हो सकती है और यह भी कि वैश्विक मञ्च पर हिंदुओं की पीड़ा को उठाने वाला कोई नहीं है। क्या भारत सरकार इस दिशा में नेतृत्व करेगी?
विट्ठलव्यास
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रोहिंगया_मुसलमानों
ये है सऊदी अरब की टेंट सिटी, मीना। जहां "बीस वर्ग किलोमीटर* जमीन पर एक लाख एयर कंडीशनर टेंट खाली पड़े हैं। जो 30 लाख लोगों को बसेरा दे सकते हैं। ये टेंट फायर प्रुफ हैं, और बाथरूम और किचन से युक्त हैं, हज के बाद ये टेंट सिटी पूरे साल वीरान रहती है।
तो अब बैचारे रोहिंग्या भाइयों बहनों बच्चों को खुले आसमान के नीचे नही सोना पड़ेगा,और किसी काफ़िर के सामने हाथ भी नही फैलाना पड़ेगा।
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सबसे चौंकाने वाले आँकड़े
अब भारत के सात राज्य ऐसे हैं, जहाँ हिंदुओं की जनसँख्या 50% से नीचे आ चुकी है, अर्थात वे तेजी से वहाँ अल्पसंख्यक बनने की कगार पर हैं.
1..जम्मू-कश्मीर में हिन्दू 28.4%.
2..पंजाब में 38.5%.
3.. नागालैंड में 8.7%.
4..मिजोरम में सिर्फ 2.7%.
5.. मेघालय में 11.5%.
6.. अरुणाचल प्रदेश में 29%.
7..और मणिपुर में 41.4%.
सुदूर स्थित केंद्रशासित लक्षद्वीप में हिंदुओं की संख्या सिर्फ 2.8% है.
1..जम्मू-कश्मीर में हिन्दू 28.4%.
2..पंजाब में 38.5%.
3.. नागालैंड में 8.7%.
4..मिजोरम में सिर्फ 2.7%.
5.. मेघालय में 11.5%.
6.. अरुणाचल प्रदेश में 29%.
7..और मणिपुर में 41.4%.
सुदूर स्थित केंद्रशासित लक्षद्वीप में हिंदुओं की संख्या सिर्फ 2.8% है.
इस स्थिति में हमारे देश के कथित बुद्धिजीवियों को जो प्रमुख सवाल उठाना चाहिए वह यह है कि क्या इन राज्यों में हिंदुओं को “अल्पसंख्यक” के तौर पर रजिस्टर्ड किया जा चुका है ..? क्या इन राज्यों में हिंदुओं को वे तमाम सुविधाएँ मिलती हैं, जो अन्य राज्यों में मुस्लिमों और ईसाइयों को मिलती हैं ? क्या इन राज्यों की योजनाओं एवं छात्रवृत्तियों में गरीब हिन्दू छात्रों एवं कामगारों को अल्पसंख्यक होने का लाभ मिलता है?
आकंड़े श्रोत- भारत सरकार
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इस लेख में बांग्लादेश पर पाकिस्तान द्वारा किए गए हमले में एक कॉलेज की छात्राओं पर हुए अत्याचार का एक दृश्य भर लिखा गया है। इस पूरे घटना को उस कॉलेज को उस समय के प्राचार्य और डीन ने स्वयं लिखा है और उन्होंने लिखते लिखते अंत में इसे विश्व में ऐतिहासिक बलात्कार की संज्ञा दी है।
लेख में लिखा गया है कि पाकिस्तानी सेना के पंजाबीमुस्लमान सैनिक जब कॉलेज में पहुंचे तो उस समय कॉलेज में लगभग 5000 छात्राएं मौजूद थीं। इन सभी छात्राओं को सेना ने परिसर में ही कैद कर दिया और छात्राओं के कक्षों में जवानों ने घुस कर कई दिनों तक दुराचार किया। प्राचार्य ने यह भी लिखा है कि उन्हें खुद भी उन्हीं के कमरे में बन्द कर दिया गया था। कई दिनों के बाद जब कॉलेज से किसी तरह पाकिस्तानी सेना हटी तब जो दृश्य था वह देखने लायक नहीं था। मैंने स्वयं देखा कि किसी छात्रा के शरीर पर कोई वस्त्र नहीं बचा था। भयंकर यातना और बलात्कार की शिकार ये सारी की सारी छात्राएं बाद में गर्भवती पाई गईं।
लेख में लिखा गया है कि पाकिस्तानी सेना के पंजाबीमुस्लमान सैनिक जब कॉलेज में पहुंचे तो उस समय कॉलेज में लगभग 5000 छात्राएं मौजूद थीं। इन सभी छात्राओं को सेना ने परिसर में ही कैद कर दिया और छात्राओं के कक्षों में जवानों ने घुस कर कई दिनों तक दुराचार किया। प्राचार्य ने यह भी लिखा है कि उन्हें खुद भी उन्हीं के कमरे में बन्द कर दिया गया था। कई दिनों के बाद जब कॉलेज से किसी तरह पाकिस्तानी सेना हटी तब जो दृश्य था वह देखने लायक नहीं था। मैंने स्वयं देखा कि किसी छात्रा के शरीर पर कोई वस्त्र नहीं बचा था। भयंकर यातना और बलात्कार की शिकार ये सारी की सारी छात्राएं बाद में गर्भवती पाई गईं।
तस्लीमा नसरीन को अपनाकर बहन बना सकते हैं तो रोहिंग्या मुसलमानों को भाई क्यों नहीं ?
चित्रलेखा में छपे इस लेख को आज याद करने का एक मात्र कारण रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर भारत में की जा रही वकालत है... यह कहानी थाईलैण्ड से शुरू होती है। वहां एक समय याबा नाम का नशे का एक बड़ा कारोबार हुआ करता था। वहां शिनवात्रा नाम के शासक ने जब याबा के कारोबार के खिलाफ मुहिम चलाई तो याबा के सभी कारोबारी थाईलैण्ड से भागे और वहां आ गये जहां म्यांमार में रोहिंग्या आबादी रहा करती थी। याबा कारोबारियों ने रोहिंग्या को अपना माध्यम बनाया और बांग्लादेश देश तथा भारत में रोहिंग्या मुसलमानों के जरिए अपना कारोबार फैलाने लगे।
म्यांमार और बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों की हर अवैध गतिविधि को जानते हैं। ये हर उस गतिविधि में लिप्त है जो समाज और राष्ट के लिए खतरा है। म्यांमार और बांग्लादेश ने जब इन रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर अभियान चलाया हुआ है ऐसे में भारत के मुसलमान नेता इन सबको भारत में पनाह देने के लिए आंदोलन के मूड में हैं. कितनी बड़ी विसंगति है कि जिन देशों के ये नागरिक हैं वे तो इन्हें रखना नहीं चाहते, लेकिन भारत के मुसलमान नेताओं को इन अवैध कारोबारियों, नशा और अपराध के सौदागरों से बहुत हमदर्दी है।
प्रख्यात वामपंथी विचारक और क्रान्तिकारी राहुल सांकृत्यायन से जुड़ी वह घटना याद आ रही है
जब उन्होंने 1955 में कम्युनिष्टï पार्टी के एक अधिवेशन में अपना लिखित भाषण न पढ़ पाने की विवशता में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने भाषण में लिखा था- ..
जिस तरह ईसाई, यहूदी और बौध भारत में भारतीय बनकर रहते हैं, मुसलमानों को भी उसी तरह भारतीय बनकर रहना चाहिए। पार्टी को उनके इस वाक्य पर विरोध था इसलिए पार्टी ने अपने इस संस्थापक सदस्य को यह लिखित भाषण पढऩे भी नहीं दिया और पार्टी से बाहर भी कर दिया। पार्टी को आपत्ति यह थी कि मुसलमानो को भारतीय बन कर रहने वाली बात हटा दीजिये लेकिन राहुल जी इसके लिए तैयार नहीं थे। उनका यह लिखित भाषण तब तक बांटा जा चुका था ।
आज भारत के एक पढ़ेलिखे मुसलमान नेता ओबैसी ने बयान दिया है कि रोहिग्या मुसलमानो को भारत में ही जगह दिया जाय। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रोहिंग्या शरणार्थियों को देश से बाहर भेजने के प्रपोजल पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने नरेंद्र मोदी से पूछा कि जब हम बांग्लादेश से आई लेखिका तस्लीमा नसरीन को अपनाकर बहन बना सकते हैं तो रोहिंग्या मुसलमानों को भाई क्यों नहीं? आज रोहिंग्या सिर छिपाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। हमने तिब्बत, पाकिस्तान, बांग्लादेश के लोगों को शरण दी है। तो फिर 100-125 करोड़ लोगों के देश में सिर्फ 40 हजार रोहिग्यां क्या मायने रखते हैं। ओवैसी ने आगे कहा, ''क्या हमारे मुल्क में बांग्लादेश के बनने के बाद चकमा लोग नहीं आए। ये कौन लोग थे, जो पाकिस्तान के साथ होकर बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान के खिलाफ लड़ रहे थे। ये लोग जब हिन्दुस्तान आए तो उन्हें हमारी हुकूमत ने रिफ्यूजी का दर्जा दिया और इन्हीं चकमा लोगों का एक लीडर पाकिस्तान में गया तो वहां शफीर बन गया। आज ये लोग अरुणाचल प्रदेश में रहते हैं और सरकार कहती है कि इन्हें हिन्दुस्तान की नागरिकता दी जाएगी।''
जिस तरह ईसाई, यहूदी और बौध भारत में भारतीय बनकर रहते हैं, मुसलमानों को भी उसी तरह भारतीय बनकर रहना चाहिए। पार्टी को उनके इस वाक्य पर विरोध था इसलिए पार्टी ने अपने इस संस्थापक सदस्य को यह लिखित भाषण पढऩे भी नहीं दिया और पार्टी से बाहर भी कर दिया। पार्टी को आपत्ति यह थी कि मुसलमानो को भारतीय बन कर रहने वाली बात हटा दीजिये लेकिन राहुल जी इसके लिए तैयार नहीं थे। उनका यह लिखित भाषण तब तक बांटा जा चुका था ।
आज भारत के एक पढ़ेलिखे मुसलमान नेता ओबैसी ने बयान दिया है कि रोहिग्या मुसलमानो को भारत में ही जगह दिया जाय। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रोहिंग्या शरणार्थियों को देश से बाहर भेजने के प्रपोजल पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने नरेंद्र मोदी से पूछा कि जब हम बांग्लादेश से आई लेखिका तस्लीमा नसरीन को अपनाकर बहन बना सकते हैं तो रोहिंग्या मुसलमानों को भाई क्यों नहीं? आज रोहिंग्या सिर छिपाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। हमने तिब्बत, पाकिस्तान, बांग्लादेश के लोगों को शरण दी है। तो फिर 100-125 करोड़ लोगों के देश में सिर्फ 40 हजार रोहिग्यां क्या मायने रखते हैं। ओवैसी ने आगे कहा, ''क्या हमारे मुल्क में बांग्लादेश के बनने के बाद चकमा लोग नहीं आए। ये कौन लोग थे, जो पाकिस्तान के साथ होकर बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान के खिलाफ लड़ रहे थे। ये लोग जब हिन्दुस्तान आए तो उन्हें हमारी हुकूमत ने रिफ्यूजी का दर्जा दिया और इन्हीं चकमा लोगों का एक लीडर पाकिस्तान में गया तो वहां शफीर बन गया। आज ये लोग अरुणाचल प्रदेश में रहते हैं और सरकार कहती है कि इन्हें हिन्दुस्तान की नागरिकता दी जाएगी।''
Vithal Vyas
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एक झूठ को जब हजार बार बोला जाता है तो वो हमे सच लगने लगता है ...
जब राजीव गाँधी भारत के प्रधानमंत्री थे तब दुसरे अन्य विकाशील देशो जैसे ईरान में रफसंजानी , पाकिस्तान में बेनजीर भुट्टो, जोर्डन में अब्दुला , लीबिया में गद्दाफी, श्रीलंका में प्रेमदासा, मतलब दुनिया के सभी देशो में कोई न कोई शासक थे ...पुरे विश्व के किसी भी देश में ये नही कहा गया की फलाना ने हमे कम्यूटर दिया ..
पाकिस्तान में ये नही कहा गया की बेनजीर कम्यूटर लेकर आई ..या फिदेल क्यूबा में कम्प्यूटर लेकर आये या रफसंजानी ईरान में कम्यूटर लेकर आये या होस्नी मुबारक इजिप्त में कम्प्यूटर लेकर आये ..जबकि उस दौर में भारत के साथ साथ दुनिया के हर देशो में कम्यूटर क्रांति हो चुकी थी ..
लेकिन सिर्फ भारत में ..तिये कांग्रेसियों ने ये प्रचारित किया की राजीव गाँधी कम्यूटर क्रांति के जनक है क्योकि उन्होंने ही पेंटियम और इंटेल में रिसर्च करके चिप का आविष्कार किया था ...सुन बे कांग्रेसी .. मुर्गा अगर बांग नही देगा तो क्या सबेरा नही होगा ?
Jitendra Pratap Sing
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कांग्रेस ने #मेट्रो के लिए 4% के दर से लोन लिया था ।।
मोदी जी ने बुलेट ट्रेन के लिए 0.1% के दर से।।।
मोदी जी ने बुलेट ट्रेन के लिए 0.1% के दर से।।।
अब समझो UPA में इतना खलबली क्यों मची है।
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