जोसफ स्टालिन एक बार अपने साथ क्रेमलिन ( रूसी संसद ) में एक #मुर्गा लेकर आये,
और सबके सामने उसका एक-एक पंख #नोचने लगे,
मुर्गा दर्द से #बिलबिलाता रहा मगर,
एक-एक करके स्टालिन ने सारे पंख नोच दिये,
फिर मुर्गे को फर्श पर #फेंक दिया,
फिर जेब से कुछ #दाने निकालकर मुर्गे की तरफ फेंक दिए और चलने लगे ,
तो मुर्गा दाना खाता हुआ स्टालिन के #पीछे चलने लगा,
स्टालिन बराबर दाना फेंकते गये और मुर्गा बराबर दाना मु्ँह में डालता हुआ उनके पीछे चलता रहा।
आखिरकार वो मुर्गा स्टालिन के #पैरों में आ खड़ा हुआ।
स्टालिन ने अपने पीछे चल स्पीकर की तरफ देखा और एक तारीख़ी जुमला बोला,
"लोकतांत्रिक देशों की जनता इस मुर्गे की तरह होती है, उनके हुकुमरान जनता का पहले सब कुछ #लूट कर उन्हें अपाहिजकर देते हैं,
और बाद में उन्हें थोड़ी सी #खुराक देकर उनका #मसीहा बन जाते हैं।"
साभार
डा.प्रवीण कुमार सिंह
और सबके सामने उसका एक-एक पंख #नोचने लगे,
मुर्गा दर्द से #बिलबिलाता रहा मगर,
एक-एक करके स्टालिन ने सारे पंख नोच दिये,
फिर मुर्गे को फर्श पर #फेंक दिया,
फिर जेब से कुछ #दाने निकालकर मुर्गे की तरफ फेंक दिए और चलने लगे ,
तो मुर्गा दाना खाता हुआ स्टालिन के #पीछे चलने लगा,
स्टालिन बराबर दाना फेंकते गये और मुर्गा बराबर दाना मु्ँह में डालता हुआ उनके पीछे चलता रहा।
आखिरकार वो मुर्गा स्टालिन के #पैरों में आ खड़ा हुआ।
स्टालिन ने अपने पीछे चल स्पीकर की तरफ देखा और एक तारीख़ी जुमला बोला,
"लोकतांत्रिक देशों की जनता इस मुर्गे की तरह होती है, उनके हुकुमरान जनता का पहले सब कुछ #लूट कर उन्हें अपाहिजकर देते हैं,
और बाद में उन्हें थोड़ी सी #खुराक देकर उनका #मसीहा बन जाते हैं।"
साभार
डा.प्रवीण कुमार सिंह
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