आज यह सेकुलर, जिन्ना के उसी सपने को साकार कर रहे हैं ..
जिस तरह किसी ईमारत को बनाने के लिए पहले भूमि खरीदी जाती है, फिर नक्शा बनाया जाता है। तब निर्माण की सामग्री जमा करा कर। किसी इंजिनियर की देखरेख में ईमारत बनवाई जाती है।
इसी तरह पाकिस्तान की जमीन तो, 29दिसंबर1930 को इलाहबाद में तैयार हो गयी थी। जब "अल्लामा इकबाल" की अध्यक्षता में मुस्लिम लीग का "25 वां सम्मलेन" हुआ था। इसका मुख्य विषय तुर्की की इस्लामी हुकूमत था, क्योंकि सन 1909 तक तुर्की पर "खलीफा अब्दुल हामिद" राज करता था। जो विश्व के सभी मुसलमानों के लिए वही दर्जा रखता था। जो इसाई देशों में पोप का है।
लेकिन 13 अप्रैल 1909 को अंग्रेजी सेना ने "समर सेट आर्थर गोघ" (Somerset Aurthor Gough) के नेतृत्व में खलीफा को गद्दी से उतार दिया था। परन्तु खलीफा ने गद्दी से उतरते समय सभी मुसलमानों को अंगरेजों के विरुद्ध सशस्त्र जिहाद करने का आदेश दे दिया। चूंकि उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। इसलिए "मुसलमान" उनके भी शत्रु बन गए। इसे भी खिलाफत मूवमेंट कहा जाता है। इसीलिए इलाहबाद में "इकबाल" ने कहा था,
"हो जाये अगर शाहे-खुरासां का इशारा,
सिजदा न करूँ हिन्द की नापाक जमीं पर।"
यानी अगर "तुर्की के खलीफा" इशारा भी कर दे तो हम 'भारत' की अपवित्र धरती पर नमाज भी नहीं पढ़ेंगे।"
चूँकि नापाक का अर्थ अपवित्र होता है और उसका विलोम शब्द "पाक" यानि पवित्र होता है। यही शब्द "पाकिस्तान" की नींव है।
पाकिस्तान के "सात अक्षर"
इकबाल के द्वारा भारत यानि हिंदुस्तान के लिए कहे गए शब्द "नापाक" का विलोम शब्द पाक होता है। जिसका अर्थ पवित्र देश होता। वैसे यह दो शब्दों "पाक +स्तान" से बना हुआ लगता है। परन्तु उर्दू में इसके सात अक्षर हैं, जिनके हरेक "अक्षर" से पाकिस्तान के उन हिस्सों या प्रान्तों का पता चलता है, जो जिन्ना पाकिस्तान में शामिल करना चाहता था। लेकिन कई हिस्से शामिल नहीं हो सके।
यह सात अक्षर इस प्रकार हैं :
1. पे~प = पंजाब
2. अलिफ~अ = असम (पूर्वोत्तर प्रांत)
3. काफ~क = कश्मीर
4. सीन~स = सिन्ध
5. ते~त = तराई (गंगा यमुना का सिंचित क्षेत्र)
6. अलिफ~अ = अवध (पूरा यूपी)
7. नून~न = निजाम (हैदराबाद)
इस तरह इन "उर्दू के सात अक्षरों" से मिलकर "पाकिस्तान" शब्द बना है। जो उसके क्षेत्र को भी प्रदर्शित करता है मगर
इनमें से चार हिस्से असम, कश्मीर, अवध, तराई और निजाम; पकिस्तान को नहीं मिले।
जिन्ना ने कराची में जब 14 अगस्त 1947 को पहली बार पाकिस्तान का झंडा फहराया तो कहा था,
"इन हिन्दुओं ने हमारे साथ धोखा किया और आधा अधूरा टूटा फूटा पाकिस्तान दे दिया है।"
यह सुन कर सोहरावर्दी ने जिन्ना से कहा था। आप कुछ समय सब्र करिए, देखना एक दिन यही "हिन्दू" पूरा हिंदुस्तान चांदी की तश्तरी पर रख कर आपको पेश कर देंगे!!
आज यह सेकुलर, जिन्ना के उसी सपने को साकार कर रहे हैं।
पुराने लोगों को याद होगा उन दिनों मुसलमान यह नारा लगाते थे,
"हंस के लिया है पाकिस्तान,
लड़ कर लेंगे हिन्दुस्तान।"
इसीलिए "पाकिस्तान" किसी बहाने भारत से तब तक लड़ता रहेगा, जब तक या फिर पाकिस्तान मिट जाये या भारत, इस्लामी देश बन जाये। लोग, कुछ भी करें या कहते रहें......... "पाकिस्तान" से दोस्ती कभी नहीं हो सकती है।‼️❕✊
🚩विट्ठलव्यास 🚩 ✊
जिस तरह किसी ईमारत को बनाने के लिए पहले भूमि खरीदी जाती है, फिर नक्शा बनाया जाता है। तब निर्माण की सामग्री जमा करा कर। किसी इंजिनियर की देखरेख में ईमारत बनवाई जाती है।
इसी तरह पाकिस्तान की जमीन तो, 29दिसंबर1930 को इलाहबाद में तैयार हो गयी थी। जब "अल्लामा इकबाल" की अध्यक्षता में मुस्लिम लीग का "25 वां सम्मलेन" हुआ था। इसका मुख्य विषय तुर्की की इस्लामी हुकूमत था, क्योंकि सन 1909 तक तुर्की पर "खलीफा अब्दुल हामिद" राज करता था। जो विश्व के सभी मुसलमानों के लिए वही दर्जा रखता था। जो इसाई देशों में पोप का है।
लेकिन 13 अप्रैल 1909 को अंग्रेजी सेना ने "समर सेट आर्थर गोघ" (Somerset Aurthor Gough) के नेतृत्व में खलीफा को गद्दी से उतार दिया था। परन्तु खलीफा ने गद्दी से उतरते समय सभी मुसलमानों को अंगरेजों के विरुद्ध सशस्त्र जिहाद करने का आदेश दे दिया। चूंकि उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। इसलिए "मुसलमान" उनके भी शत्रु बन गए। इसे भी खिलाफत मूवमेंट कहा जाता है। इसीलिए इलाहबाद में "इकबाल" ने कहा था,
"हो जाये अगर शाहे-खुरासां का इशारा,
सिजदा न करूँ हिन्द की नापाक जमीं पर।"
यानी अगर "तुर्की के खलीफा" इशारा भी कर दे तो हम 'भारत' की अपवित्र धरती पर नमाज भी नहीं पढ़ेंगे।"
चूँकि नापाक का अर्थ अपवित्र होता है और उसका विलोम शब्द "पाक" यानि पवित्र होता है। यही शब्द "पाकिस्तान" की नींव है।
पाकिस्तान के "सात अक्षर"
इकबाल के द्वारा भारत यानि हिंदुस्तान के लिए कहे गए शब्द "नापाक" का विलोम शब्द पाक होता है। जिसका अर्थ पवित्र देश होता। वैसे यह दो शब्दों "पाक +स्तान" से बना हुआ लगता है। परन्तु उर्दू में इसके सात अक्षर हैं, जिनके हरेक "अक्षर" से पाकिस्तान के उन हिस्सों या प्रान्तों का पता चलता है, जो जिन्ना पाकिस्तान में शामिल करना चाहता था। लेकिन कई हिस्से शामिल नहीं हो सके।
यह सात अक्षर इस प्रकार हैं :
1. पे~प = पंजाब
2. अलिफ~अ = असम (पूर्वोत्तर प्रांत)
3. काफ~क = कश्मीर
4. सीन~स = सिन्ध
5. ते~त = तराई (गंगा यमुना का सिंचित क्षेत्र)
6. अलिफ~अ = अवध (पूरा यूपी)
7. नून~न = निजाम (हैदराबाद)
इस तरह इन "उर्दू के सात अक्षरों" से मिलकर "पाकिस्तान" शब्द बना है। जो उसके क्षेत्र को भी प्रदर्शित करता है मगर
इनमें से चार हिस्से असम, कश्मीर, अवध, तराई और निजाम; पकिस्तान को नहीं मिले।
जिन्ना ने कराची में जब 14 अगस्त 1947 को पहली बार पाकिस्तान का झंडा फहराया तो कहा था,
"इन हिन्दुओं ने हमारे साथ धोखा किया और आधा अधूरा टूटा फूटा पाकिस्तान दे दिया है।"
यह सुन कर सोहरावर्दी ने जिन्ना से कहा था। आप कुछ समय सब्र करिए, देखना एक दिन यही "हिन्दू" पूरा हिंदुस्तान चांदी की तश्तरी पर रख कर आपको पेश कर देंगे!!
आज यह सेकुलर, जिन्ना के उसी सपने को साकार कर रहे हैं।
पुराने लोगों को याद होगा उन दिनों मुसलमान यह नारा लगाते थे,
"हंस के लिया है पाकिस्तान,
लड़ कर लेंगे हिन्दुस्तान।"
इसीलिए "पाकिस्तान" किसी बहाने भारत से तब तक लड़ता रहेगा, जब तक या फिर पाकिस्तान मिट जाये या भारत, इस्लामी देश बन जाये। लोग, कुछ भी करें या कहते रहें......... "पाकिस्तान" से दोस्ती कभी नहीं हो सकती है।‼️❕✊
🚩विट्ठलव्यास 🚩 ✊
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