दो खबरों पर गौर करें -
पहली खबर - जैसे ही एक लाख रोहीन्गया बंग्लादेश मे धुसने मे सफल हुए वैसे ही 20 रूपये किलो, आलु 50 रूपये और 30 रूपये लिटर दुध, 60 रूपये हो गया !
सोचीये जब मात्र एक लाख रोहीन्गया को शरणार्थी स्वीकार करने से एक देश की आर्थिक स्थिति इतनी बदल जाती है तब हमारे देश में 3 करोड़ बंग्लादेशी घुसपैठियों का हमारी अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा प्रभाव पड रहा होगा ?
दूसरी खबर - बंग्लादेशी शरणार्थी गौ तस्करों ने हमारे देश के फौजी की निर्मता पुर्वक हत्या कर दी ताकि वह गौ तस्करी निर्भयता पुर्वक कर सकें !
सोचीए क्या शरणार्थी कभी देशभक्त हो सकते हैं ?
आप को आश्चर्य क्यों है जब बंगाल में "बंगाल मांगे आजादी " के नारे लगने लग जाते है ? जब वहां के डेढ करोड़ निवासी आपके बंगाल के बंगाली नही बंग्लादेशी है !
मनन करें क्या बंग्लादेश कभी अपने इन नागरिकों को वापस लेगा ?
अगर आप बंग्लादेशी धुसपैठीयो को आजतक नहीं निकल सके तो आप कल क्या रोहीन्गयाऔ को निकाल सकेगें ?
अगर आप सोचते है बंगाल या कश्मीर मे आजादी के नारों के बिच बंग्लादेशी घुसपैठिये या रोहीन्गया, हिन्दुस्तानी तिरंगे तले लडेंगे तब आपको निश्चित ही जल्द से जल्द नजदीकी मनोचिकित्सक से सलाह लेनी चाहीए क्योंकि आपको वहीं वामपंथी किडा काट गया है जो सोवियत संघ को काट गया था और वह तब मरा जब सोवीयत संघ कई हिस्सों मे बंट चुका था !
Farida Khanam
पहली खबर - जैसे ही एक लाख रोहीन्गया बंग्लादेश मे धुसने मे सफल हुए वैसे ही 20 रूपये किलो, आलु 50 रूपये और 30 रूपये लिटर दुध, 60 रूपये हो गया !
सोचीये जब मात्र एक लाख रोहीन्गया को शरणार्थी स्वीकार करने से एक देश की आर्थिक स्थिति इतनी बदल जाती है तब हमारे देश में 3 करोड़ बंग्लादेशी घुसपैठियों का हमारी अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा प्रभाव पड रहा होगा ?
दूसरी खबर - बंग्लादेशी शरणार्थी गौ तस्करों ने हमारे देश के फौजी की निर्मता पुर्वक हत्या कर दी ताकि वह गौ तस्करी निर्भयता पुर्वक कर सकें !
सोचीए क्या शरणार्थी कभी देशभक्त हो सकते हैं ?
आप को आश्चर्य क्यों है जब बंगाल में "बंगाल मांगे आजादी " के नारे लगने लग जाते है ? जब वहां के डेढ करोड़ निवासी आपके बंगाल के बंगाली नही बंग्लादेशी है !
मनन करें क्या बंग्लादेश कभी अपने इन नागरिकों को वापस लेगा ?
अगर आप बंग्लादेशी धुसपैठीयो को आजतक नहीं निकल सके तो आप कल क्या रोहीन्गयाऔ को निकाल सकेगें ?
अगर आप सोचते है बंगाल या कश्मीर मे आजादी के नारों के बिच बंग्लादेशी घुसपैठिये या रोहीन्गया, हिन्दुस्तानी तिरंगे तले लडेंगे तब आपको निश्चित ही जल्द से जल्द नजदीकी मनोचिकित्सक से सलाह लेनी चाहीए क्योंकि आपको वहीं वामपंथी किडा काट गया है जो सोवियत संघ को काट गया था और वह तब मरा जब सोवीयत संघ कई हिस्सों मे बंट चुका था !
Farida Khanam
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