Tuesday 19 September 2017

धर्म को जीना ही धर्म का प्रचार है l
हम अपना पतन स्वयं कर रहे हैं lहम क्यों नही शिखा धारण करते?
क्या आज भी हमारे आसपास औरंगजेब घूम रहा है?शिखा धर्म का स्तम्भ है ... इसे धारण कीजिये lस्पष्ट रूप से कहूं तो मुझे इतिहासमें ऐसा कोई प्रमाण नही प्राप्त होता जिससे यह सिद्ध होता हो कि 1947 के बाद की किसी भी सरकार ने"शिखा" रखने पर प्रतिबन्ध लगाया हो lचोटी न रखने या चोटी काटने के लिए किसी ने प्रचार भी नहीं किया,किसीनेआपसे कहा भी नही,आपको आज्ञा भी नहीं दी,फिर भी आपने चोटी काट ली! क्यों ?परन्तु नेहरूवादी हिंदुत्व के इतिहासकारों और लेखकों ने सलीमशाही जूतियाँ चाट चाट कर जो कुछ लिखा है उसके बहुत ही नकारात्मक प्रभाव हिन्दू समाज पर पड़े हैं lफिर भी हम शिखा क्यों नही धारण करते...?जबकि आज विदेशी जो सनातन वैदिक धर्म को स्वीकार कर रहे हैं... वे सब शिखा धारण कर रहे हैं,एक ऐसा भीदिन आयेगा कि वो विदेशी आपको सनातनवैदिक हिन्दू धर्म का अनुयायी मानने से मना कर देगा ... और आपके पास कोई उत्तर नही रहेगा lयुवा और वृद्ध कोई नहीं बचा इस मायाजाल से ... आखिर ये कट्टरता होती क्या है?पहले ठुकता-पिटता है,फिर बदनाम होता है... और तिलक के स्थान पर माथे पे लिखवा लेता है हिन्दू ... साम्प्रदायिक lक्यूंकि इस राजनैतिक षड्यंत्र काCounterकरना तो दूर की बात है ... आम हिन्दूReplyतक नहीं कर सकता,अच्छे तरीके से lशिखा (चोटी) रखना,तिलक लगाना,जनेऊ पहनना,भगवा रंग का गमछा-अंगोछा लपेटना,कलावा या अन्य रक्षा-सूत्र बांधना,आदि उपरोक्त प्रतीकों को धारण करके जब कोई सरकारी कार्यालयों या विभागों में काम करने जाता था या काम करवाने जाता था,उन्हें यह जुमले मारे जाते थे... कि आप तो बहुत कट्टर दीखते हो?इतनी कट्टरता ठीक नही ...धीरे धीरे हिन्दू समाज ने शिखा धारण करना ही छोड़ दिया...जिन शिखाओं के लिए इसी हिन्दू समाजके पूर्वजों ने अपनी गर्दने करवाई थीं ...न जाने आज कितने कट्टर औरंगजेब इन -"अ-कट्टर" हिन्दुओं के आसपास घूम रहे हैं ...और कट्टर भी केवल हिन्दू ...कट्टर मुसलमान नही...कट्टर ईसाई नही...कट्टर यहूदी नही,कट्टर जैन नहीं,कट्टर बोद्ध नही,कट्टर सिक्ख नही,...कट्टरSECULARभी नही......कट्टर देशद्रोही भी नही...कट्टर भ्रष्टाचारी भी नही...कट्टर स्मैकिया भी नही.. .कट्टर नशेड़ी भी नही ...केवल हिन्दू ही कट्टर है पूरे विश्व में...आइये जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर ये कट्टर होता क्या है ...कट्टर अर्थात... किसी भी काम में,रूप,रंग,आदि में "अति" या अतिवाद को कट्टरता कहा जाता हैlदार्शनिक शब्दों में कहा जाए तो कट्टरता तमस का ही एक पर्याय है...जड़ और जड़ता... जो जहां है,वहीं रुक जाएlठहरे,जमे और रुके हुए पानी में भी कीड़े पड़ जाते हैंlइसी कारण से... सनातन धर्म में ज्ञान का बहुत महत्व बताया गया हैlज्ञान ... बढ़ता जाए,बढाते रहो,बहतेरहो,जो कि सत्त्व का पर्याय माना जाता हैlइसीलिए हमारे यहाँ शब्द प्रयोग होता है "धर्म-परायणता"...चीन में भारत की अलग परिभाषा दी जाती है ...भा+रतभा अर्थात ज्ञानरत अर्थात लीन रहना... ज्ञान में लीन रहना lआप क्या बनना चाहते हैं...?कट्टर हिन्दू या धर्म-परायण हिन्दू...वैसे... अतिवाद और अति की इस लहर से कोई नहीं बचा lचाहे कट्टर डाक्टर हो... जहां जाओ बस डाक्टरी ही दिखाओ lचाहे कट्टर इंजीनियर हो... जहां जाओबस इंजिनीयरि ही दिखाओ lचाहे कट्टर वैज्ञानिक हो... जहां जाओ बस विज्ञान ही विज्ञान ... बाकीसब पागल lचाहे कट्टर दुकानदार हो... दुनिया पलट जाए... परन्तु दुकानदारी नहीं छोड़ेंगे lचाहे कट्टर अफसर ... अफसरी के आगे बाकी सब नौकर lचाहे कट्टर अध्यापक... जहां भी हो बस... शुरू हो जाओ lकट्टर कांग्रेसी... यदि कांग्रेस किसी कुत्ते को खड़ा कर दे तो उसे भीवोट देंगे lलुट गया देश,बर्बाद हो गया देश,भाड़ में गया देश ... गांधी-नेहरु परिवार ही महान है lकट्टर सपाई... दूध का व्यापार चाहे मुल्ला मुलायम मुसलमानों को सौंप दें परन्तु वोट मुल्ल्ला को हो जायेगा lकट्टर बसपाई... माया धन और बल से कबकी मनुवादी हो गई,परन्तु वोट माया को ही देंगे lकट्टर वामपंथी... न घर चले,न दूकान,वामपंथ सदा महान,सारी जिन्दगी धर्म को अफीम कहते रहे,पर अंतिम संस्कार वैदिक मन्त्रों से ही,देहके साथ ही मर गई अफीम कहने वाली जुबान भी lकट्टर अम्बेडकरवादी ... जब आँख खोलीतो अम्बेडकर की कहानी ही सुनीं,वोजो अम्बेडकर ने न लिखी न कही,और लगे हिन्दुओं को गाली देनेlपर अम्बेडकर ने क्या कहा,क्या लिखा...ये न कभी जाना,न ही जानने का प्रयास मात्र ही किया lकट्टर पाकिस्तानी ... अपने देश का पता नही,पर भारत को नेस्तनाबूद करने के सपने रोज देखना lकट्टर अरबी ... खजूर और तेल पूरी दुनिया में बिकता रहे,इस्लाम का प्रचार होता रहे,मुसलमान गया भाड़ में lकट्टर और धर्म परायणता के इस खेल को ... हिन्दू ही कभी समझ न पाया जिसकी धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूलशिक्षाओं में भी सत्त्व का विशेष महत्व है lधर्म परायण बनो...और इन कट्टर कांग्रेसियों,कट्टर सपाई,कट्टर बसपाई,कट्टर वामपंथियों आदि के चंगुल से बाहर निकलो...और सोने की चिड़िया कैसे बनाया जाए,इस पर विचार मंथन करके अडिग होकर कार्य करो lसात्विक,राजसिक और तामसिक ... इन तीन प्राकृतिक गुणों की विवेचना अधिक करूँगा तो समय बहुत लग जायेगा,और पढ़े बिना ही सब छोड़ देंगे,काम की बात संभव है कि आप सबको समझ आ ही गई होगी lकुछ लोग शिखा और चोटी को लेकर अत्यधिक कुतर्क करते हैं, गीता प्रेस गोरखपुर की हजारों पुस्तकोंमें सद्विचार लिखने वाले युगसंत स्वामी रामसुख दास जी महाराज ने कुछ इस प्रकार उन कुतर्कों का उत्तर दिया है ...कुतर्क - चोटी रखने से क्या लाभ होगा?उत्तर - जो लाभ को देखता है,वह पारमार्थिक उन्नति कर ही नहीं सकता lलाभ देखकर ही कोई कार्य करोगे तो फिर शास्त्र-वचन का,संत वचन का क्या आदर हुआ?उनकी क्या सम्मान हुआ?अपने लाभ के लिए,अपना मतलब सिद्ध करने के लिए तो पशु-पक्षी भी कार्यकरते हैं lयह मनुष्य-पना नही हैlचोटी रखने में आपकी भलाई है - इसमें मेरे को रत्तीमात्र भी संदेह नही है lवास्तव में हमे लाभ-हानि को न देखकर धर्म को देखना है lधर्मशास्त्र मेंआया है कि बिना शिखा के जो भी दान,यज्ञ,ताप,व्रत आदि शुभकर्म किये जातेहैं वे सब निष्फल हो जाते हैं lसदोपवीतिना भाव्यं सदा बद्धशिखेन च lविशिखो व्युपवीतश्च यत्करोति न तत्कृतम llशिखा अर्थात चोटी हिन्दुओं का प्रधान चिन्ह है lहिन्दुओं में चोटीरखने की परम्परा प्राचीनकाल से चली आ रही है lपरन्तु अब अपने इसका त्यागकर दियाहै - यह बड़े भारी नुकसान की बात है lविचार करें,चोटी न रखनेया चोटी काटने के लिए किसी ने प्रचार भी नहीं किया,किसी ने आपसे कहा भीनही,आपको आज्ञा भी नहीं दी,फिर भीआपने चोटी काट ली तो आप मानो कलियुग केअनुयायी बन गये !यह कलियुग का प्रभाव है,क्योंकि उसे सबको नरकों में ले जाना है lचोटी कट जाने से नरकों में जाना सुगम हो जायेगा lइसलिए आपसे प्रार्थना है कि चोटी को साधारण समझकर इसकी उपेक्षा न करें,चोटी रखना मामूली दिखता है परन्तु वास्तव में यह तनिक भी मामूली कार्य नहीहै lलेख के आरम्भ की पंक्तियाँ फिर लिखरहा हूँ... इन्हें सदैव स्मरण रखें lहम अपना पतन स्वयं कर रहे हैं lहम क्यों नही शिखा धारण करते?क्या आज भी हमारे आसपास औरंगजेब घूम रहा है?शिखा धर्म का स्तम्भ है ... इसे धारण कीजिये lस्पष्ट रूप से कहूं तो मुझे इतिहासमें ऐसा कोई प्रमाण नही प्राप्त होता जिससे यह सिद्ध होता हो कि 1947 के बाद की किसी भी सरकार ने"शिखा" रखने पर प्रतिबन्ध लगाया हो lचोटी न रखने या चोटी काटने के लिए किसी ने प्रचार भी नहीं किया,किसीनेआपसे कहा भी नही, न ही आपसे आग्रह किया और न हीआपको आदेशही दिया... फिर भी आपने चोटी काट ली! क्यों ?
कुमार अवधेश सिंह

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