Tuesday, 5 September 2017

 रोहिंग्या मुसलमानों को उनका खुद का ही देश शरण नहीं दे रहा है ...क्यूँ..?
नरपिशाच हैं ये...,
1) बर्मा में लोकतंत्र और ह्यूमन राइट्स की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ने वाली नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सु ची अपने ही देश में हो रहे रोहिंग्या मुसलमानों के दमन पर खामोश हैं...क्यूँ ?
2) मूलतः बांग्लादेश के निवासी रोहिंग्या मुसलमानों को उनका खुद का ही देश शरण नहीं दे रहा है ...क्यूँ..?
जितने रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश में हैं उन्हें भी म्यांमार सीमा की ओर खदेड़ रहा है...आख़िर क्यूँ ?..फिर रोहिंग्या मुसलमानों को परमानेंटली भारत में शरण दिये जाने के लिए हमारे देश के कुछ लोग इतने उतावले क्यों हुए जा रहे हैं?
3) बर्मा के तमाम ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट रोहिंग्या मुसलमानों के प्रश्न पर मुँह सिले बैठे हैं.. क्यूँ ?
4) म्यांमार की जनता रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ जारी सैन्य कार्यवाहियों का खुलकर समर्थन कर रही है...आख़िर क्यूँ ?
5) पाकिस्तान और टर्की जैसे मुस्लिम देश रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में खड़े दिख तो रहे हैं लेकिन अपने यहाँ शरण दिये जाने पर मौन हैं... क्यूँ.. ? कोई तो वजह होगी ? कोई तो कारण होंगे......जिनकी वजह से रोहिंग्या मुसलमान मुल्क दर मुल्क मारे मारे फिर रहे हैं ?
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किसी अन्य देश की समस्या को भारत ही क्यों सुलझाए ..? रोहिंग्या मुसलमानों को हम ही क्यों अपनाये ?..
सम्भल जाओ  .. नही तो हालत जर्मनी के जैसे हो जायेंगे...वहाँ जिस महिला ने शरणार्थियों के लिए champaigning किया था, उनके रहने खाने का प्रबंध किया था, सबसे पहले उसीका #बलात्कार और #हत्या हुई थी...,उसके बाद तो फिर...बलात्कार लूट..हत्या...कब्जा जैसे घटनाएं सामान्य हो गयी...अगर उनको यहाँ बुलाया तो यहाँ भी यही करेंगे...उसके बाद गरीबी, भुखमरी, अराजकता, अपराध, गंदगी, बेरोजगारी और आतंकवाद बढ़ जायेगा...
.....क्या इन्हें यहाँ लाने का असली उद्देश्य कहीं ग़जबा ए हिन्द के 1400 साल पुराने सपने से तो होकर नहीं गुजर रहा है....?
कुमार अवधेश सिंह

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