Wednesday, 27 September 2017

कौन हैं आजादी मांग रहे कुर्द लोग?
इराक में आजादी के हक में कुर्द लोगों ने जनमत संग्रह करके इसके पक्ष में वोट देकर सबका ध्यान खींचा है. आखिर कौन हैं कौन कूर्द लोग?
आबादी और इलाका
कुर्दों की आबादी ढाई से साढ़े तीन करोड़ के बीच माना जाती है. ये लोग पांच देशों इराक, सीरिया, तुर्की, ईरान और अर्मेनिया में फैले पहाड़ी इलाके में रहते हैं.
सहज नहीं संबंध
कुर्दों का अपना अलग देश नहीं है. लेकिन वे स्वायत्ता या फिर आजादी के लिए लंबे समय से मुहिम चला रहे हैं. इसीलिए तुर्की, इराक, सीरिया और ईरान की सरकारों से उनके संबंध सहज नहीं रहे हैं.
कुर्दिस्तान
1992 में इराक में कुर्दिस्तान रीजनल गवर्नमेंट बनी. इराक के कुर्दिस्तान इलाके में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई संसद कुर्दिस्तान नेशनल असेंबली ने यह सरकार बनायी थी.
आबादी में हिस्सेदारी
कुर्दिस्तान की सरकार के मुताबिक इराकी कुर्दिस्तान में 52 लाख कुर्द रहते हैं. वहीं सीआईए फैक्टबुक के अनुसार आबादी के लिहाज से सीरिया में 10 प्रतिशत, तुर्की में 19 प्रतिशत, इराक में 15-20 प्रतिशत और ईरान में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी कुर्दों की है.
अपनी सेना
इस सरकार की अपनी संसद होने के साथ साथ सेना (पेशमर्गा) भी है. आईएस से लोहा लेने में पेशमर्गा लड़ाके अकसर सुर्खियों में रहते हैं. कुर्दिस्तान सरकार के अपने बॉर्डर और विदेश नीति भी है.
धार्मिक विश्वास
कुर्दों में ज्यादातर लोग सुन्नी इस्लाम को मानने वाले हैं, लेकिन इस समुदाय में कई और धर्मों के मानने वाले लोग भी शामिल हैं. इनके झंडे के बीच मे सूर्य का चिन्ह है और साझा संस्कृति इन लोगों को आपस में जोड़ती है.
अलग देश का सपना
ऑटोमन साम्राज्य के पतन और पहले विश्व युद्ध के बाद विजेता पश्चिमी गठबंधन ने 1920 की सेवरेस संधि में कुर्दों के अलग देश का प्रावधान रखा था, लेकिन बीते 80 साल में ऐसी हर कोशिश को कुचला गया है.
विरोध
कुर्दिस्तान में अलग देश के समर्थन में हुए जनमत संग्रह को न सिर्फ इराक ने खारिज किया है, बल्कि तुर्की के राष्ट्रपति ने इस इलाके की नाकेबंदी कर देने की धमकी दी है.
तुर्की और ईरान को इनसे सबसे ज्यादा का डर
तुर्की और ईरान को लगता है कि ऐसे जनमत संग्रह के चलते उनके यहां भी कुर्द आजादी की मांग उठा सकते हैं. इन दोनों देशों के कुर्दिस्तान इलाके के साथ व्यापारिक संबंध हैं, जिन्हें अब वे खत्म करने की धमकी दे रहे हैं.
अमेरिका भी साथ नहीं
कई पश्चिमी देशों ने भी कुर्दों के जनमत संग्रह को मानने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि इससे मध्यपूर्व में हालात और भी अस्थिर होंगे. हालांकि कुर्दों के लिए अधिक स्वायत्ता की कई देश पैरवी करते हैं.
# डी डब्लू

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