Monday, 25 September 2017

जब हम भगवत गीता पड़ते हैं ...
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1- जब हम पहली बार भगवत गीता पड़ते हैं। तो हम एक अन्धे व्यक्ति के रूप में पड़ते हैं और बस इतनाही समझ में आता है कि कौन किसके पिता, कौन किसकी बहन, कौन किसका भाई। बस इससे ज्यादा कुछसमझ नहीं आता।
2- जब हम दूसरी बार भगवत गीता पड़ते हैं, तो हमारे मन में सवाल जागते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया या उन्होंने वैसा क्यों किया ?
3- जब हम तीसरी बार भगवतगीता को पड़ेगें, तो हमे धीरे-धीरे उसके मतलब समझ में आने शुरू हो जायेंगे। लेकिन हर एक को वो मतलब अपने तरीके से हीसमझमें आयेंगे।
4- जब चोथी बार हम भगवत गीता को पड़ेगे, तो हर एक पात्र की जो भावनायें हैं, इमोशन... उसको आप समझ पायेगें कि किसके मन में क्या चल रहा है। जैसे अर्जुन के मन में क्या चल रहा है या दुर्योधन केमन में क्या चल रहा है ? इसको हम समझ पाएंगे।
5- जब पाँचवी बार हम भगवत गीता को पड़ेगे तो पूरा कुरूश्रेत्र हमारे मन में खड़ा होता है, तैयार होता है,हमारे मन में अलग-अलग प्रकार की कल्पनायें होती हैं।
6- जब हम छठी बार भगवत गीता को पढ़ते हैं, तब हमें ऐसा नही लगता की हम पढ़ रहें हैं... हमे ऐसा ही लगता है कि कोई हमें ये बता रहा है।
7- जब सातवी बार भगवत गीता को पढ़ेंगे, तब हम अर्जुन बन जाते हैं और ऐसा ही लगता है कि सामने वो ही भगवान हैं, जो मुझे ये बता रहें हैं।
8- और जब हम आठवी बार भगवत गीता पड़ते हैं, तब यह एहसास होताहै कि कृष्ण कहीं बाहर नही हैं, वो तो हमारे अन्दर हैं और हमउनकेअन्दर हैं।जब हम आठ बार भगवत गीता पड़ लेगें तब हमें गीता का महत्व पता चलेगा | कि इस संसार में भगवद् गीता से अलग कुछ है ही नहीं और इस संसार में भगवद् गीता ही हमारे मोक्ष का सबसे सरल उपाय है। भगवद्गीता में ही मनुष्य के सारे प्रश्नों केउत्तर लिखें हैं। जो प्रश्न मनुष्य ईश्वर से पूछना चाहता है। वोसब गीता में सहज ढंग से लिखें हैं। मनुष्य की सारी परेशानियों के उत्तर भगवद् गीता में लिखें हैं,गीता अमृत है।समय निकाल कर गीता अवश्य पढ़े...
Vithal Vyas

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