Wednesday, 6 September 2017

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किस तरह जवाहर लाल नेहरू को ब्लैक मेल कर राष्ट्रपति की कुर्सी हथियायी थी ?
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डॉ साहेब जब सोवियत रूस में राजदूत थे, (1949-1952) तो उन्हें यह मालूम हुआ कि 'अहिंसा मूर्ती महात्मा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस' जीवित है और स्टालिन की हिरासत में है। (कुछ का मानना है कि स्टालिन द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था, क्योंकि अंग्रेजो ने स्टालिन से ऐसा करने को कहा था। जबकि कुछ का मानना है कि नेताजी को आरामदायक स्थिति में रखा गया था )

डॉ साहेब ने जवाहर लाल से कहा कि 'यदि आप मुझे सरकार में किसी अच्छे पद पर बिठा देते है तब तो ठीक है, वरना मैं यह खबर मिडिया में लीक कर दूंगा' 
जवाहर लाल जानते थे कि यदि नेताजी भारत लौट आये तो उनका पोलिटिकल कैरियर ही ख़त्म हो जाएगा।
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राधाकृष्णनन को खामोश करने के लिए जवाहर लाल ने, उन्हें 1953 में उपराष्ट्रपति और 1956 में राष्ट्रपति के पद पर बिठाया।
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दूसरे शब्दों में राधाकृष्णन ने एक महत्त्वपूर्ण जानकारी का इस्तेमाल करके प्रधानमन्त्री को धमकाया और सत्ता की सीढ़िया चढ़ी।
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तो ऐसे थे हमारे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन।
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इन्हीं के जन्म दिवस को हम 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते है।
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कहानी का सबक यह है कि हमें कम से कम इस आदमी के जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाना तो बंद कर ही देना चाहिए।

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