Sunday, 3 September 2017

दरअसल, हमें पता ही नहीं है कि हम परिवार व्यवस्था को पंगु करके न केवल राष्ट्र और समाज को क्षति पहुँचा रहे हैं, वरन अपना व्यक्तिगत नुकसान भी कर रहे हैं।
 पहले की व्यवस्था में किसी बालक को यह संस्कार अलग से सिखाने की जरूरत नहीं होती थी कि महिलाओं और बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए। व्यक्ति जैसा देखता है, वैसा सीखता है। बल्कि देखकर और प्रत्यक्ष उदाहरण से जाने-अनजाने ही हम गहरी सीख पा जाते हैं।
 हमारी परिवार की अवधारणा में व्यक्ति के प्रशिक्षण की यही व्यवस्था थी। छोटा बालक देखता-सुनता और अहसास करता था कि उसके पिता अपने पिता से और अपने पिता के पिता से किस प्रकार पेश आते थे। बहन, चाची, बुआ और माँ के प्रति उनका व्यवहार किस प्रकार का रहता था।
भारतीय परिवार की रचना में महिलाएं और बुजुर्ग 'अनुपादक' नहीं हैं, बल्कि उन्हें इस दृष्टि से देखा ही नहीं जाता। हम तो मानते हैं कि परिवार के संचालन की धुरी महिलाएं और बुजुर्ग ही हैं। वह हमारे लिए संस्कार के केंद्र हैं। हम महसूस करते हैं कि आज एकल परिवारों में बच्चों के लालन-पालन में बड़ी समस्या आती है। पति-पत्नी दोनों नौकरी पर जाते हैं। घर में बच्चा या तो आया के भरोसे पलता है या फिर मशीनों (टीवी, कम्प्युटर, मोबाइल, टैब) के आसरे में बड़ा होता है। आया फिर भी उसे कुछ सिखा सकती है, लेकिन हृदयहीन मशीनें कैसे एक बच्चे को सभ्य, संवेदनशील और संस्कारी नागरिक बना सकती हैं? 
मनुष्य निर्माण का यह महत्त्वपूर्ण कार्य तो केवल दादा-दादी, नाना-नानी ही कर सकते हैं। उनके पास समय की उपलब्धता भी रहती है और जीवनभर का अनुभव भी। इसलिए हम कहते हैं कि घर में महिलाएं और वरिष्ठजन बच्चों के लिए केवल दादा-दादी, नाना-नानी या अन्य रिश्ते मात्र नहीं हैं, बल्कि यह सभी उनके लिए संस्कार की पाठशाला हैं।
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*पतन का कारण*
_श्रीकृष्ण ने एक रात को स्वप्न में देखा कि, एक गाय अपने नवजात बछड़े को प्रेम से चाट रही है। चाटते-चाटते वह गाय, उस बछड़े की कोमल खाल को छील देती है । उसके शरीर से रक्त निकलने लगता है । और वह बेहोश होकर, नीचे गिर जाता है। श्रीकृष्ण प्रातः यह स्वप्न,जब भगवान श्री नेमिनाथ को बताते हैं । तो, भगवान कहते हैं कि :-_
```यह स्वप्न, पंचमकाल (कलियुग) का लक्षण है ।```

*कलियुग में माता-पिता, अपनी संतान को,इतना प्रेम करेंगे, उन्हें सुविधाओं का इतना व्यसनी बना देंगे कि, वे उनमें डूबकर, अपनी ही हानि कर बैठेंगे। सुविधा, भोगी और कुमार्ग - गामी बनकर विभिन्न अज्ञानताओं में फंसकर अपने होश गँवा देंगे।*
```आजकल हो भी यही रहा है। माता पिता अपने बच्चों को, मोबाइल, बाइक, कार, कपड़े, फैशन की सामग्री और पैसे उपलब्ध करा देते हैं । बच्चों का चिंतन, इतना विषाक्त हो जाता है कि, वो माता-पिता से झूठ बोलना, बातें छिपाना,बड़ों का अपमान करना आदि सीख जाते हैं ।``` 
*संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है।*
*सुविधाएं अगर आप ने बच्चों को नहीं दिए तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए।* पर संस्कार नहीं दिए तो वे जिंदगी भर रोएंगे।*

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