मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र खटीक का नाम प्रमुख है.
वीरेंद्र खटीक का बचपन बेहद संघर्ष और अभाव के दौर से गुजरा है. उन्होंने परिवार के भरण-पोषण के लिए पिता के साथ साइकिल की दुकान पर पंक्चर भी बनाए. पांचवीं कक्षा से ही उन्होंने सागर में पिता की साइकिल रिपेयरिंग शॉप पर पंक्चर बनाने का काम काम सीख लिया था. कम उम्र में ही कई बार वह खुद अकेले ही पूरी शॉप का काम संभालते थे.
हालांकि, घर चलाने में पिता की मदद करने के लिए काफी वक्त देने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई पर असर नहीं होने दिया. सागर विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल करने के दौरान भी वह पिता की शॉप पर पंक्चर जोड़ने का काम करते थे. इस दौरान उन्हें कई बार पिता की डांट भी सुनना पड़ती थी.
6वीं बार सांसद चुने गए वीरेंद्र खटीक को अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे के दौरान कोई पंक्चर सुधारता हुआ मिलता है, तो वो तुरंत उसके पास पहुंच जाते हैं. कई बार काम में उसकी मदद कर देते हैं, तो कभी पंक्चर बनाने के टिप्स देने लग जाते हैं.
वीरेंद्र खटीक का बचपन बेहद संघर्ष और अभाव के दौर से गुजरा है. उन्होंने परिवार के भरण-पोषण के लिए पिता के साथ साइकिल की दुकान पर पंक्चर भी बनाए. पांचवीं कक्षा से ही उन्होंने सागर में पिता की साइकिल रिपेयरिंग शॉप पर पंक्चर बनाने का काम काम सीख लिया था. कम उम्र में ही कई बार वह खुद अकेले ही पूरी शॉप का काम संभालते थे.
हालांकि, घर चलाने में पिता की मदद करने के लिए काफी वक्त देने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई पर असर नहीं होने दिया. सागर विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल करने के दौरान भी वह पिता की शॉप पर पंक्चर जोड़ने का काम करते थे. इस दौरान उन्हें कई बार पिता की डांट भी सुनना पड़ती थी.
6वीं बार सांसद चुने गए वीरेंद्र खटीक को अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे के दौरान कोई पंक्चर सुधारता हुआ मिलता है, तो वो तुरंत उसके पास पहुंच जाते हैं. कई बार काम में उसकी मदद कर देते हैं, तो कभी पंक्चर बनाने के टिप्स देने लग जाते हैं.
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