Wednesday, 6 September 2017


अपनी सोच बदलो: शत्रुओं को पहचानों ..!!
जिस तरह से किसी रोग के कारणों को जाने बिना उसका इलाज नहीं हो सकता।
उसी तरह अपने शत्रुओं की नीतिओं और चालों को समझे बिना उसे परास्त नहीं किया जा सकता। उसी तरह हम जब तक अपनी "सेकुलर" विचारधारा को नहीं बदलते, हम अपने असली शत्रुओं को नहीं पहचान सकते।
सेकुलर विचारों के कारण हम केवल आधा सत्य ही जान पाते हैं।
हम सब जानते हैं कि सिम्मी, लश्करे तय्यबा, हूजी, इंडियन मुजाहिदीन, अल-कायदा जैसे संगठन इस्लाम से प्रेरित हैं और स्थानीय मुसलमानों का उनको समर्थन है।
लेकिन बड़े ताज्जुब की बात है कि हम इस बात को स्वीकार नहीं करते कि आतंकवाद इस्लाम का धार्मिक कार्य है ! ❗️
पुलिस सूत्रों के अनुसार 'इंडियन मुजाहिदीन' ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली के अलावा दक्षिण भारत के कई शहरों में अपना जाल फैला रखा है। इन लोगों ने बाकायदा अपना "मीडिया सेल" बनाकर अपना नेट-वर्क बना रखा है।
जिसमें पढ़े लिखे डाक्टर, इंजीनियर और कम्प्यूटर के जानकार शामिल हैं।
अकेले हिन्दी भाषी क्षेत्रों में करीब 170 इस्लामी ब्लॉग हैं।
जो इस्लाम का प्रोपोगेंडा कर रहे हैं और लोगों का धर्म परिवर्तन करा रहे है।
यही नहीं, यह मुस्लिम ब्लॉगर, सूचनाओं को अपने आकाओं तक भेजते हैं और उनकी मदद कर रहे हैं.
1) सेकुलर-आतंकी भाई-भाई !
सेकुलरों का काम "आतंकियों का रास्ता साफ़ करना है" और उनके कुकर्मों से लोगों का ध्यान हटाना है।
सेकुलर पहले तो हिन्दू आतंक का हौआ खड़ा करके सुरक्षा एजेंसिओं का ध्यान "इस्लामी-आतंक" से हटा देते है और हिदुओं पर केन्द्रित कर देते है।
जिसका फ़ायदा आतंकी उठा लेते है और उन आतंकियों का स्थानीय मुस्लिम सहयोग करते हैं। इसके लिए मुसलमान पहले से ही भूमिका बना लेते है और आतंकियों को "शरीफ" और हिदुओं को "आतंकी" साबित करने लगते है।
इसका एक नमूना देखिये 👇
दिनाक 29 अक्टूबर 2010 शुक्रवार, को "काशिफ आरिफ" नाम के ब्लोगर ने अपने ब्लॉग "blog.simplycodes.com" में "दहशतगर्द कौन?" के शीर्षक से लिखा की मुसलमानों को बेकार बदनाम किया जा रहा है।
असल आतंकी तो "हिन्दू" हैं।
इसके बाद कई "मुस्लिम ब्लोगरों" ने काशिफ के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया।
फिर 7 दिसंबर 2010 बनारस विस्फोट के बारे में एक मुल्ले ने "डेली हिन्दी समाचार" में "इंडियन मुजाहिदीन" के बचाव में अजीब सा तर्क दिया!! उसने लिखा क़ि बनारस का विस्फोट किसी हिन्दू ने किया है,
क्योंकि इंडियन मुजाहिदीन ने जो ई-मेल भेजे हैं, उसके ऊपर "कुरान की आयत" गलत ढंग से लिखी गयी है मेल में "बिस्मिला रहमान रहीम" लिखा है जो गलत है।
मुसलमान इस तरह नहीं लिख सकता है.
असल में इसे इस तरह से "बिस्मिल्लाहिर्रहनिर्रहीम" होना चाहिए था।
इससे साबित होता है क़ि यह काम किसी "हिन्दू" का है।
यही बात "उर्दू के अखबार" के सम्पादक "अजीज बर्नी" ने भी कही थी।
बाद में उसके साथ "सेकुलर" भी शामिल हो गए थे लेकिन किसी मुल्ले ने "इंडियन मुजाहिदीन" की निंदा नहीं की।
2) सऊदी अरब आतंकवादियों का ATM है
विकीलीक्स ने खुलासा किया है कि "सऊदी अरब" आतंकवादियों को आर्थिक मदद देने का मुख्य केंद्र है.
इसके अलावा क़तर, कुवैत तथा संयुक्त अमीरात आताकियों को धन उपलब्ध कराते हैं।
फिर यह धन भारत तक भेजा जाता है।
जो मदरसों, मस्जिदों के नाम से बाँट दिया जाता है।
मुम्बई हमलों के आरोप में गिरफ्तार लश्कर के नेता "जाकी उर रहमान" ने कहा कि हम "धार्मिक कामों" के नाम से धन जमा करते हैं।
न्यू यार्क टाइम्स और sky news बताया कि भारत में मदरसों, हज, इस्लाम का प्रचार करने के लिए हर साल करीब 23 करोड़ रुपया दिया जाता है।
जिससे पाकिस्तानी-आतंकी भारत में बैठे मुसलमानों की मदद से अपना काम करते हैं।
जब यहाँ के कोई मुसलमान आतंकी काम करते हैं, तो तुरंत ही "सेकुलर" उनके बचाव में आगे आ जाते हैं।
लोगों को मुद्दों से हटाने और व्यस्त रखने के लिए कभी सलमान खान और केटरीना के किस्से उछाले जाते है या कभी दिग्विजय सिंह प्रकट हो जाते हैं और लोग बेहोश पड़े रहते हैं।
3) आतंकवाद और कांग्रेस
इतिहास गवाह है कि जब भी कांग्रेस की निरंकुश सरकार खतरे में पड जाती है तो वह "असली आतंकियों" को छोड़कर, *किसी हिन्दू धर्म गुरु या किसी हिन्दू संगठन को फ़साने की तरकीब करती है।
जिससे मुसलमान उसके पक्ष में हो जाएँ अगर कांग्रेस का बस चले तो वह केवल "मुसलमान" होने के कारण हरेक आतंकवादी को निर्दोष साबित कर दे और उन्हें सबसे बड़ा समाज-सेवी बता कर कोई पुरस्कार भी दे डाले या "अजमल कसाब" की मूर्ति चौराहे पर लगवा दे वैसे भी वह सरकार का VIP अतिथि है।
4) मुसलमानों द्वारा इस्लामी आतंक का परोक्ष समर्थन
हमेशा यही देखा गया है कि यहाँ के मुसलमान इस्लाम खतरे में है, यह कह कर उत्तेजना फैला देते हैं।
फिर किसी न किसी बहाने यह बात फैला देते हैं कि भारत में मुसलमानों के न्याय नहीं किया जा रहा है या उनके अधिकार छीने जा रहे हैं लेकिन मुसलमान यह बात नहीं बताते कि उन्होंने देश को क्या दिया है?
सिवाय आबादी के, फिर जब उनके "धर्म-बंधू" देश में आतंक फैला कर निर्दोष लोगों की हत्याएं करते हैं तो सारे मुल्ले-मौलवी मूक दर्शक बने रहते हैं।
कोई मुल्ला "आतंकवादियों" को काफिर घोषित नहीं करता।
कोई उनको कुरआन की आयत या हदीस दिखाकर यह नहीं बताता कि यह इस्लाम के खिलाफ है!!
बजाये इसके मुल्ले यह कहते हैं, यह काम किसी हिन्दू संगठन ने किया है।
दुनिया भर से जो अपराधों के डेटा मिले हैं,
उनसे साबित होता है कि इस्लाम, कुरआन, मुसलमान और आतंक और अपराध एक ही बात के भिन्न भिन्न नाम हैं।
जो सेकुलर लोग यह मानते हैं कि आतंकवादी उनकी सरकार या नेताओं के शत्रु हैं वे गलत हैं। यह लड़ाई इस्लाम और गैर मुस्लिमों के बीच हो रही है।
चूंकि भारत में हिन्दू अधिक है इसलिए "मुसलमान" आतंकियों के निशाने पर हिन्दू, हिन्दू-धर्म स्थान और हिन्दू नेता हैं।
याद रखिये, मुहम्मद सारी दुनिया को इस्लाम के अन्दर करना चाहता था।
आप किसी भी मुस्लिम देश में देखिये कि वहां गैर मुस्लिमों के साथ क्या व्यवहार किया जाता है? आज हमें अपनी नीतियों को बदलने की जरूरत है।
जो इस्लाम का विरोधी है, वह हमारा मित्र है।
जैसे कुरआन कहता है कि किसी गैर मुस्लिम को दोस्त न बनाओ।
इसी तरह हम किसी "मुस्लिम" को दोस्त न समझें और उनके साथ वही व्यवहार करें जो कुरआन काफिरों के साथ करने को कहता है।
यही नीति है।
हिन्दुओं को चाहिए कि वे कुरान के "जंगली" नियम खुद मुसलमानों पर आजमा कर देखें।
तभी सच्चाई सामने आ जायेगी और मुसलमानों का असली रूप सामने आ पायेगा।
हमें यह काम खुद करना होगा
जिस तरह इस्लाम भारत में घुसा था।
उसी तरह से उसे निकालना होगा। इस्लामी आतंक का भंडा फोड़ना होगा।
याद रखिये यदि यह नहीं हुआ तो काफी देर हो जायेगी फिर पछताना पडेगा।
कुमार अवधेश सिंह

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