Friday 27 October 2017


सऊदी अरबिया में 15 वर्षीय , 6 स्कूली छात्राओं को मौत की सज़ा सुनाई गई है ।
उनका अपराध ये था कि वो अपनी एक सहेली का हैप्पी बड्डे मनाने उसके घर चली गयी ।
वहां उनके 3 सहपाठी लड़के भी थे । बच्चों ने वहां happy बड्डे मनाया । उसके बाद सभी Music चला के dance करने लगे ।
बगल की मस्जिद के एक इमाम के लड़के ने , जो कि उन लड़कियों का सहपाठी ही था , Religious Police को फोन कर दिया । पुलिस ने छापा मार के लड़कियों को Dance करते रंगे हाथ पकड़ लिया ।
गिरफ्तारी हुई ।मुकद्दमा चला । आरोप है कि लड़की बिना किसी पुरुष अभिभावक के , घर से बाहर निकली कैसे ? ऊपर से ये जुर्रत कि बड्डे मनाए ? Music बजाए ? DANCE करे ?
दीनो मजहब खतरे में पड़ गया । लिहाजा दीन को बचाने के लिए सभी 6 लड़कियों को सरेआम चौराहे पे तलवार से गर्दन काट के मौत की सज़ा सुनाई गई है ।
मानवाधिकारों के सभी झंडाबरदार मुह में दही जमाये बैठे हैं ।
भारतीय कालीन उद्योग के कालीन का बहिष्कार सिर्फ इस मुद्दे पे कर देने वाले यूरोपीय लोग , कि भारतीय कालीन उद्योग में बच्चों से कालीन बिनवाया जाता है , बाल श्रम होता है .......इस एक मुद्दे पे भारतीय कालीन उद्योग बर्बाद कर दिया ......... बाल अधिकारों और मानवाधिकारों के वो झंडाबरदार सऊदी अरबिया के इस गला रेत- गर्दन काट शरई कानून पे मुह में दही जमाये बैठे हैं ........
बाल श्रम पे हमारे कालीन का बहिष्कार करने वाले 15 साल की बेटियों की गर्दन काटने वाले मुल्क के तेल पेट्रोल डीजल का बहिष्कार क्यों नही करते ?
महिला अधिकारों पे दिन रात छाती पीटने गाल बजाने वाला , No Bra Day मनाने वाला बड़ी बिंदी गिरोह कहां है ????????
Kiss ऑफ Love मनाने वाला गिरोह कहां है ?
Nobel peace Prize ले के मलाई काट रहे कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई कहां हैं ?
साभार: अजीत सिंह जी

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