2 बच्चे वाले टैक्स देते है
14 बच्चे वाले सब्सिडी लेते है
इसलिए विकास पागल हुआ हे कोई मूर्ख पप्पू को समझाए--Sandeep Pandit
लालबहादुर शास्त्री जी की संदेहास्पद मृत्यु पर बुजुर्ग पत्रकार श्री मनमोहन शर्मा , जो शास्त्री जी के साथ ताशकंद गए थे , लिखते हैं -----
14 बच्चे वाले सब्सिडी लेते है
इसलिए विकास पागल हुआ हे कोई मूर्ख पप्पू को समझाए--Sandeep Pandit
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बापू कहते थे "पाप से घृणा करो, पापी से नहीं"
इसीलिए कांग्रेस 'आतंकवाद' से घृणा करती है और आतंकवादियो से "प्रेम" करती है...
बापू कहते थे "पाप से घृणा करो, पापी से नहीं"
इसीलिए कांग्रेस 'आतंकवाद' से घृणा करती है और आतंकवादियो से "प्रेम" करती है...
कुमार अवधेश सिंह
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गाज़ियाबाद, यूपी मे मासूम बच्चों को अपाहिज बना भीख मँगवाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। नाम है शहजाद, गुलशाद और ड़ॉ इमरान। इमरान समाजवादी पार्टी का लीडर था....बच्चों पर ऐसे घिनौने जुल्म करने वालों के भी मानवधिकार होंगे... क्युंकि बिचारे विशेष समुदाय से है...
नेहा गरचा
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आजकल दो विरोधाभासी ट्रेंड चल रहे हैं,
१) भारत गरीब है इसलिए बुलेट ट्रैन नहीं चाहिए,
२) भारत इतना अमीर है कि लाखों #रोहिंग्या_मुस्लिम को पाल सकता है ...!
मानष सतपथी
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Mukesh Tandi
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----- मैं ताशकंद में था। शास्त्री जी की मौत को स्वाभाविक नहीं कहा जाता सकता। ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने से पूर्व उन्होंने ताशकंद गए भारतीय पत्रकारों को बता दिया था कि रूस के दबाव के कारण भारत को वो क्षेत्र पाकिस्तान को वापस करने ही होंगे जिन पर युद्ध के दौरान कब्जा किया गया था। उन्होंने पत्रकारों से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाहिए थी। उन दिनों में मैं युवा था इसलिए मैं फौरन फट पड़ा ‘साहब! दिल्ली जाने पर जूते खूब पड़ेंगे’। जब हम लोग उनके कमरे से बाहर निकलने लगे तो उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे रोक लिया। बात में बताया कि उन्होंने अपने घर पर बात की थी। उनकी बेटी भी ताशकंद के भावी समझौते के बारे में काफी रूष्ठ है। ये मेरी उनसे आखिरी मुलाकात थी।
यह कड़वी सच्चाई है कि जिस जगह शास्त्री जी को ठहराया गया था वहां डाॅक्टर की कोई व्यवस्था नहीं थी। प्रधानमंत्री का निजी डाॅक्टर माथुर साहब भी वहां से काफी दूर ठहराए गए थे। जब शास्त्री जी के शव को दिल्ली लाया गया तो वो नीला पड़ चुका था। श्रीमती ललिता शास्त्री ने तब भी उनकी मृत्यु की जांच करवाने की काफी मांग की थी मगर रूस के दबाव के कारण किसी ने ध्यान नहीं दिया। मैं नहीं समझता कि अब जांच करवाने से कुछ लाभ होगा। क्योंकि रूस के विघटन के बाद लगभग सारा रिकाॅर्ड नष्ट हो चुका है।
यह कड़वी सच्चाई है कि जिस जगह शास्त्री जी को ठहराया गया था वहां डाॅक्टर की कोई व्यवस्था नहीं थी। प्रधानमंत्री का निजी डाॅक्टर माथुर साहब भी वहां से काफी दूर ठहराए गए थे। जब शास्त्री जी के शव को दिल्ली लाया गया तो वो नीला पड़ चुका था। श्रीमती ललिता शास्त्री ने तब भी उनकी मृत्यु की जांच करवाने की काफी मांग की थी मगर रूस के दबाव के कारण किसी ने ध्यान नहीं दिया। मैं नहीं समझता कि अब जांच करवाने से कुछ लाभ होगा। क्योंकि रूस के विघटन के बाद लगभग सारा रिकाॅर्ड नष्ट हो चुका है।
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