क्या आप जानते हैं कि मशहूर गीतकार और शायर मजरूह सुल्तानपुरी को जवाहरलाल नेहरू ने मात्र एक कविता उनके सामने गाने पर उंहें 4 साल के लिए मुंबई की आर्थर रोड जेल में कैद करवा दिया था आज जो कांग्रेसी कु... अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं वह कभी इतिहास के पन्नों में दर्ज है इस काली कहानी की बात नहीं करेंगे
एक मुशायरे में मजनू सुल्तानपुरी ने नेहरू के सामने ही यह कविता पढ़ी थी
मन में ज़हर डॉलर के बसा के,
फिरती है भारत की अहिंसा.
खादी की केंचुल को पहनकर,
ये केंचुल लहराने न पाए.
ये भी है हिटलर का चेला,
मार लो साथी जाने न पाए.
कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,
मार लो साथी जाने न पाए.
फिरती है भारत की अहिंसा.
खादी की केंचुल को पहनकर,
ये केंचुल लहराने न पाए.
ये भी है हिटलर का चेला,
मार लो साथी जाने न पाए.
कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,
मार लो साथी जाने न पाए.
नेहरू गुस्से से आग बबूला होकर वहां से चला गया और मात्र 4 घंटे के बाद मुंबई पुलिस ने देशद्रोह के आरोप में मजरूह सुल्तानपुरी को गिरफ्तार कर लिया उनके ऊपर राजद्रोह और देशद्रोह सहित आठ गैरजमानती धाराएं लगाई गई और उंहें आर्थर रोड जेल में कैद कर दिया गया मगर उस वक्त किसी ने भी इसके लिए आवाज नहीं उठाई नेहरू ने उनकी आजादी के लिए शर्त रखी कि यदि आप मुझसे माफी मांग लो तो मैं आप को आजाद कर दूंगा लेकिन खुद्दार मजनू सुल्तानपुरी ने नेहरू से माफी नहीं मांगी अंत में उनकी जमानत हुई और जमानत पर बाहर है और मरते दम तक यह केस उनके ऊपर चलता रहा...
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