नोटबंदी के बाद 'कालेधन के खेल' पर एक्शन ;;;: 13 बैंक फंसे, 2 लाख कंपनियों पर रोक....
हिंदुओं की बढ़ती कट्टरता, वस्तुतः कट्टरता नहीं है..
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जिस पैसे से हजयात्रा, मदरसा और आपका घर चलता है वो किसका होता है..?
और ...जिस दिन हिन्दू एकजूट होकर विरोध करने लगे तो पंचर की दुकान भी ना चले।
और ...जिस दिन हिन्दू एकजूट होकर विरोध करने लगे तो पंचर की दुकान भी ना चले।
हिंदुओं की बढ़ती कट्टरता, वस्तुतः कट्टरता नहीं है..
यह उनका अपना अंतिम घर बचाने की जागरूकता है ....
विट्ठलव्यास
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तो कांग्रेसी और अन्य नेता कोट के उपर "जनेऊ" पहनने लगेंगे._
इस बात का दिग्विजयसिंह की नर्मदा यात्रा और पप्पू के मंदिर जाने से कोई संबंध नहीं है !
इस बात का दिग्विजयसिंह की नर्मदा यात्रा और पप्पू के मंदिर जाने से कोई संबंध नहीं है !
DeshDeepak Singh
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राहुल बाबा के दो नाम है ..एक नाम जो हिन्दुस्तान में चलता है ...दुसरा नाम जो उनके दूसरे कागजातों में चलता है ..कहने वाले तो यह भी कहते थे की रौल बाबा के पास कभी दो दो पासपोर्ट हुआ करते थे ..एक घोषित विदेश यात्रा के लिए दुसरा अघोषित गुप्त विदेशी यात्रा के लिए ...इस विदेशी मार्कशीट में बाबा का नाम पढ़िए ..और मन करे तो बाबा के नंबर तथा पास फेल भी चैक कर सकते है बाबा नेशनल इकोनामिक प्लानिंग एंड पालिसी विषय में फेल भी है
राहुल बाबा के दो नाम है ..एक नाम जो हिन्दुस्तान में चलता है ...दुसरा नाम जो उनके दूसरे कागजातों में चलता है ..कहने वाले तो यह भी कहते थे की रौल बाबा के पास कभी दो दो पासपोर्ट हुआ करते थे ..एक घोषित विदेश यात्रा के लिए दुसरा अघोषित गुप्त विदेशी यात्रा के लिए ...इस विदेशी मार्कशीट में बाबा का नाम पढ़िए ..और मन करे तो बाबा के नंबर तथा पास फेल भी चैक कर सकते है बाबा नेशनल इकोनामिक प्लानिंग एंड पालिसी विषय में फेल भी है
Pawan Awasthy
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कुमार अवधेश सिंह
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शंकर स्वयं केशरी नन्दन
तेज प्रताप महा जग बन्दन ...
तेज प्रताप महा जग बन्दन ...
सतयुग में पृथ्वी पर श्री हनुमान जन्म का अदभुत रहस्य :-
एक समय सृष्टि से जल तत्व अदृश्य हो गया ।सृष्टि में त्राहि-त्राहि मच गयीऔर जीवन का अंत होने लगा तब व्रम्हा जी विष्णु जी ऋषि गण तथा देवता मिलकर श्री शिव जी के शरण में गए और शिव जी से प्रार्थना की और बोले नाथों के नाथ आदिनाथ अब इस समस्या से आप ही निपटें । श्रृष्टि में पुन: जल तत्व कैसे आयेगा ।
देवों की विनती सुन कर भोलेनाथ ने ग्यारहों रुद्रों को बुलाकर पूछा आप में से कोई ऐसा है जो सृष्टि को पुनः जल तत्व प्रदान कर सके । दस रूदों ने इनकार कर दिया । ग्यारहवाँ रुद्र जिसका नाम हर था उसने कहा मेरे करतल में जल तत्व का पूर्ण निवास है । मैं श्रृष्टि को पुन: जल तत्व प्रदान करूँगा लेकिन इसके लिए मूझे अपना शरीर गलाना पडेगा और शरीर गलने के बाद इस श्रृष्टि से मेरा नामो निशान मिट जायेगा ।
तब भगवान शिव ने हर रूपी रूद्र को वरदान दिया और कहा:–इस रूद्र रूपी शरीर के गलने के बाद तुम्हे नया शरीर और नया नाम प्राप्त होगा और मैं सम्पूर्ण रूप से तुम्हारे उस नये तन में निवास करूंगा जो श्रृष्टि के कल्याण हेतू होगा। हर नामक रूद्र ने अपने शरीर को गलाकर श्रृष्टि को जल तत्व प्रदान किया ।और उसी जल से एक महाबली वानर की उत्पत्ति हुई। जिसे हम हनुमान जी के नाम से जानते हैं ।
यह घटना सतयुग के चौथे चरण में घटी । शिवजी ने हनुमान जी को राम नाम का रसायन प्रदान किया। हनुमान जी ने राम नाम का जप प्रारम्भ किया । त्रेतायुग में अन्जना और केशरी के यहाँ पुत्र रूप में अवतरित हुए ।
इस लिए बाबा तुलसी दास जी ने हनुमान चालीसा में कहा है:—
शंकर स्वयं केशरी नन्दन ,तेज प्रताप महा जग बन्दन ii
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