Wednesday, 18 October 2017

manmohan singh praman hai bharat ki gulami ka ...

घटनाक्रम है इंदिरा गांधी द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल (Emergency ) का ..
उस समय भारत की रिजर्व बैक का पदेन निदेशक था मनमोहन सिंह नाम का एक नौकरशाह …….
बर्ष 1977  डाक्टर इन्द्रप्रसाद गोवर्धन भाई पटेल रिजर्ब बैंक आफ इण्डिया के गवर्नर . उसी समय बैक आफ क्रेडिट एंड कामर्स इंटरनेशनल जिसका अध्यक्ष एक पाकिस्तानी था .. ने भारत में अपनी व्यावसायिक शाखा खोलने के लिये आवेदन दिया .... रिजर्व बैक आफ इण्डिया ने उसके आवेदन की जांच की तो पता चला की ये पाकिस्तानी बैंक काले धन को विदेशी बैंको में भेजने का काम करता है जिसे मनी लांड्रिंग कहते है इसलिए इसको अनुमति नहीं दी गयी ...
 गवर्नर आई जी पटेल को प्रलोभन मिला की अगर बो इस बैक को अनुमति देने में सहयोग करते है तो उनके ससुर और प्रख्यात अर्थशास्त्री ए.के.दासगुप्ता के सम्मान में एक अंतराष्ट्रीय स्तर की संस्था खोली जायेगी ..पर ईमानदार गवर्नर उस प्रलोभन में नहीं फंसे ...इस वीच आई जी पटेल की सेवानिवृत्ति का समय पास आ चुका था 
अंतिम दिनों में उनको पाकिस्तानी बैंक BCCI के मुम्बई प्रतिनिधि कार्यालय से एक फोन आया जिसमें उनसे निवेदन किया गया की बो BCCI के अध्यक्ष आगा हसन अबेदी से एक बार मुलाक़ात कर ले ... RBI के गवर्नर ने इसकी अनुमति दी लेकिन मुलाक़ात से एक दिन पहले उनके पास फोन आया की अब मुलाक़ात की कोई जरुरत नहीं है क्यों की जो काम मुंबई में होना था अब दो दिल्ली में हो चुका है .. साथ ही उनको बताया गया की बो जल्दी ही सेवानिवृत्त होने बाले है .....!
समय 23-06-1980 के बाद का इंदिरा गाँधी के पुत्र संजीव गाँधी उर्फ संजय गांधी की म्रत्यु से खाली हुए शक्ति केंद्र पर राजीव गाँधी की पत्नी का कब्ज़ा ... उस समूह में शामिल थे बी. के नेहरु जिन्हें पाकिस्तानी बैंक BCCI ने पहले से ही सम्मानित कर रक्खा था ...!!
 आई जी पटेल सेवानिवृत ..एक दिन बाद मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बने .....
-1980 इंदिरा गाँधी फिर से देश की प्रधानमंत्री बनी केंद्रीय सत्ता के अज्ञात और अनाम समूह ने पाकिस्तानी बैंक BCCI के अध्यक्ष आगा हसन अबेदी को विश्वास दिलाया की मनमोहन सिंह ही भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बनेगे शायद इसीलिये अध्यक्ष आगा हसन अबेदी ने आई जी पटेल से मुम्बई में अपनी मुलाक़ात केंसिल की थी ....!
कालखंड सन 1983 .....
भारतीय गुप्तचर एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस बिंग के बिरोध के बाबजूद पाकिस्तानी बैंक BCCI को मुम्बई में पूर्ण व्यावसायिक शाखा खोलने की अनुमति मिली जिसका मुख्यालय लंदन में ..! पाकिस्तानी मूल के नागरिक आगा हसन अबेदी की भारत के बित्त मंत्रालय में घुसपैठ का अंदाज इस बात से लगाए की उसको पहले ही सूचना मिल गयी की मनमोहन ही भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर होगे ... इस वीच मनमोहन की बेटी की बिदेश में पढ़ाई के लिये छात्रवृत्ति की व्यवस्था .!
15-09-1982 मनमोहन सिंह  रिजर्व बैंक के गवर्नर बने ..इस पद पर उनको तीन साल का कार्यकाल पूरा करना था लेकिन इस वीच बोफोर्स कांड सामने आया और मनमोहन ने अज्ञात कारणों से समय से पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद छोड़ अपनी पोस्टिंग योजना आयोग में करवाई ...! 
काल खंड बोफोर्स दलाली कांड के खुलासे के बाद का . लोकसभा चुनाव के बाद बी.पी. सिंह देश के प्रधानमंत्री बने .. लेकिन इससे पहले ही मनमोहन सिंह नाम के नौकरशाह ने भारत छोड़ जिनेवा की राह पकड़ी और सेक्रेटरी जनरल एंड कमिश्नर साऊथ कमीशन जिनेवा में पद ग्रहण किया ...!
काल खंड 10-11-1990
 कांग्रेस के समर्थन/ बैशाखियों से चंद्रशेखर भारत के प्रधानमंत्री बने . इसी दौर में फिर से मनमोहन सिंह ने जिनेवा की नौकरी छोड़ भारत की ओर रुख किया और राजीव गाँधी के समर्थन से बनी चंद्रशेखर सरकार में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार का पद ग्रहण किया .इसी वीच देश में भुगतान संकट की स्थिति पैदा हुई और मनमोहन की सलाह पर भारत का कई टन सोना इंग्लैण्ड की बैंको में गिरवी रखना पड़ा .. जिसकी बदनामी आई प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के हिस्से में .!
नरसिंह राव के प्रधानमंत्री बनने के समय 
कांग्रेस की अल्पमत सरकार ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के पांच सदस्यों सहित कई सांसदों को खरीद कर अपनी सरकार बचाई .. सरकार बचाने के इस रिश्वती खेल को नाम मिला ‘’झारखण्ड मुक्ति मोर्चा रिश्बत कांड’’ जिसका केस भारत की अदालत में भी चला और कुछ सांसदों को जेल जाना पड़ा ...इसी सरकार में मनमोहन सिंह नाम का नौकरशाह भारत का बित्त मंत्री बना... प्रणव मुखर्जी के सचिब के रूप में प्रणब मुखर्जी के आधीन काम करने बाले इस नौकरशाह की ताकत और तिकडमो का अंदाज तो लगाईये .....की उन्ही प्रणब मुखर्जी को इस नौकरशाह की प्रधानमंत्रित्व के नीचे वित्त मंत्री के रूप में काम करना पड़ा ....इनके खाते में शेयर बाजार का सबसे बड़ा घोटाला भी दर्ज है जिसे हर्सद मेहता कांड के नाम से जाना जाता है जिसमे देश की जनता को खरबो रुपये का चूना लगा था उस समय मनमोहन देश के वित्त मंत्री हुआ करते थे ... 
बाद के समय 2009 में इनकी सरकार बचाने के लिये एक बार फिर एक कांड हुआ जिसे देश .. कैश फार वोट ‘.. नाम के घोटाले के रूप में जनता है ..... 
इन सब बातो के बाबजूद अगर देश के जादातर नेता समाजसेवी .. बुद्धिजीवी और अन्ना जैसे अनशनकारी इनको व्यक्तिगत रूप से ईमानदार होने का सार्टिफिकेट देते है और भारत का मीडिया भी इनको मिस्टर क्लीन की उपाधि देता है ... तो इसे भारत का दुर्भाग्य कहा जाए या बिडंबना इसका निर्णय आप स्वयं करे ......!
साभार ... रमेश लक्ष्मण तांबे की पुस्तक .. भ्रष्ट नौकरशाह का सफर , बी सी .आई से डी सी . सी आई तक ‘’.....................!

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