मुहर्रम के दिन मुस्लिम लोग अपने शरीर को जख्मी कर खून को बहाते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए गुजरात में साबरकंथा जिले के एक गाँव में यह फैसला लिया गया कि मुहर्रम के दिन इस गाँव के लोग अपने शरीर को जख्मी कर खून नही बहायेंगे बल्कि वो अपना खून जरुरतमंदों को दान में देंगे
शिया जाफरी मशायखी मोमिन जमात ने मुहर्रम के अवसर पर यह कदम उठाते हुए कहा कि पैगंबर मोहम्मद के पोते इमाम हुसैन की कुर्बानी पर अब हमने फैसला लिया है कि अब हम खून नही बहायेंगे. इस्लाम धर्म के नाम पर कुछ करनेके लिए इस गाँव के लोगों ने अपना खून दान में दे दिया. यहाँके लोग खुद को ब्लेड से घायल कर खून नही बहाते.
कई जगहों पर हो चुकी है शुरुवात गुजरात के ईदर, सूरपुर, केशारपुरा,जैथीपुरा, मंगध जैसेशहरों और गावों में शिया जाफरी मशायखी मोमिन जमात की तरह बल्ड डोनेशन कैम्प का आयोजन किया जाता है. मुस्लिम समुदाय के नेता सैयद मुहम्मद मुराहिद हुसैन जाफरी के द्वारा इस बड़े बदलाव की शुरुआत की गयी थी... पिछले साल 35000 यूनिट ब्लड यूनिट इकट्ठा की गयी थी जबकि इस साल मुहर्रम के पहले दिन ही 2800 यूनिट ब्लड जमा हो चुका है.
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