*सुप्रीम कोर्ट की घटती विश्वसनीयता*
कांग्रेस की १० साल लगातार सरकार थी लेकिन उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के किसी भी फैसल में चूं तक नहीं की, ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस ने अपनी पसंद के लोगों को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया था। इसलिए वे चुपचाप पड़े रहते थे लेकिन जैसे ही देश में मोदी सरकार आयी, सुप्रीम कोर्ट के जज जाग उठे, मोदी सरकार के सभी फैसले में हस्तक्षेप करने लगे, वर्तमान में ऐसा लग रहा है कि देश मोदी सरकार नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के जज चला रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार के हर फैसले में दखल दे रहा है, हर फैसले पर रोक लगा रहा है, हिन्दू समाज के सभी त्योहारों पर बैन लगा रहा है, पहले सुप्रीम कोर्ट ने जन्माष्टमी पर गोविंदा पर बैन लगाया और अब दीवाली पर पटाखा जलाने पर बैन लगा दिया।
आप खुद देखिये, भारत सरकार राम मंदिर बनाना चाहती है, देश के ८०फ़ीसदी हिन्दू भी अयोध्या में राम मंदिर चाहते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार बार तारीख बढाकर सुनवाई टाल रहा है।
इसके बाद रोहिंग्या का मामला सामने आया, केंद्र सरकार ने साफ़ साफ़ कह दिया कि रोहिंग्या देश की शांति के लिए खतरा हैं, इनके आतंकियों से संबंध रहे हैं। ये लोग म्यांमार में भी आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की बात नहीं मानी और आज तुगलकी फरमान देते हुए उन्हें भगाने पर रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने आज के आदेश में केंद्र सरकार से कहा कि जब तक इस मामले की सुनवाई हो रही है तब तब उन्हें जबरजस्ती भगाया ना जाए क्योंकि अगर देश की सुरक्षा महत्वपूर्ण है तो मानव अधिकार भी महत्वपूर्ण हैं।
आपको पता ही है कि राम मंदिर मामले की ३० वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है लेकिन आज तक सुनवाई ही चल रही है, इसी तरह से रोहिंग्या मामले की सुनवाई होती तो आराम से ४०-५०साल लग जाएंगे, मतलब अब रोहिंग्या ४०-५०वर्षों तक भारत में रहेंगे, बच्चे पैदा करेंगे, जिहाद करेंगे, हिंसा और आतंकवाद करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में तारीख पर तारीख चलती रहेगी.
अब आप देखिये, सुप्रीम कोर्ट ना तो राम मंदिर बनाने दे रहा है, ना रोहिंग्या को भगाने दे रहा है, ना हिन्दुओं को पटाखा जलाने दे रहा है, एक तरह से सुप्रीम कोर्ट भारत के लिए पाकिस्तान बन गया है, भारत की सरकार और हिंदुस्तान के नागरिकों को अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट से ही लड़ना पड़ रहा है। यह बहुत ही खतरनाक ट्रेंड है देश के लिए।
सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार के हर फैसले में दखल दे रहा है, हर फैसले पर रोक लगा रहा है, हिन्दू समाज के सभी त्योहारों पर बैन लगा रहा है, पहले सुप्रीम कोर्ट ने जन्माष्टमी पर गोविंदा पर बैन लगाया और अब दीवाली पर पटाखा जलाने पर बैन लगा दिया।
आप खुद देखिये, भारत सरकार राम मंदिर बनाना चाहती है, देश के ८०फ़ीसदी हिन्दू भी अयोध्या में राम मंदिर चाहते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार बार तारीख बढाकर सुनवाई टाल रहा है।
इसके बाद रोहिंग्या का मामला सामने आया, केंद्र सरकार ने साफ़ साफ़ कह दिया कि रोहिंग्या देश की शांति के लिए खतरा हैं, इनके आतंकियों से संबंध रहे हैं। ये लोग म्यांमार में भी आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की बात नहीं मानी और आज तुगलकी फरमान देते हुए उन्हें भगाने पर रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने आज के आदेश में केंद्र सरकार से कहा कि जब तक इस मामले की सुनवाई हो रही है तब तब उन्हें जबरजस्ती भगाया ना जाए क्योंकि अगर देश की सुरक्षा महत्वपूर्ण है तो मानव अधिकार भी महत्वपूर्ण हैं।
आपको पता ही है कि राम मंदिर मामले की ३० वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है लेकिन आज तक सुनवाई ही चल रही है, इसी तरह से रोहिंग्या मामले की सुनवाई होती तो आराम से ४०-५०साल लग जाएंगे, मतलब अब रोहिंग्या ४०-५०वर्षों तक भारत में रहेंगे, बच्चे पैदा करेंगे, जिहाद करेंगे, हिंसा और आतंकवाद करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में तारीख पर तारीख चलती रहेगी.
अब आप देखिये, सुप्रीम कोर्ट ना तो राम मंदिर बनाने दे रहा है, ना रोहिंग्या को भगाने दे रहा है, ना हिन्दुओं को पटाखा जलाने दे रहा है, एक तरह से सुप्रीम कोर्ट भारत के लिए पाकिस्तान बन गया है, भारत की सरकार और हिंदुस्तान के नागरिकों को अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट से ही लड़ना पड़ रहा है। यह बहुत ही खतरनाक ट्रेंड है देश के लिए।
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