Saturday, 14 October 2017

 ये साफ़ हो चुका है कि सुप्रीम कोर्ट रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार नहीं भेजना चाहता. इसके लिए कलवो केंद्र सरकार से साफ़ कह चुका है कि जब तक अदालती कार्यवाही चल रही है, तब तक रोहिंग्यों को वापस ना भेजा जाए. अब दसियों सालों तक कोर्टमें मामला लटकाया जाएगा और तब तक देश की जनता के टैक्स के पैसों से रोहिंग्यों को खाना खिलाया जाएगा. मगर अब खबर आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ मोदी सरकार गुस्से में है.सरकार के मामले में टांग ना अड़ाये सुप्रीम कोर्टकेंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट अवैध घुसपैठियों के मामले में अपनी टांग ना अड़ाये और इसका फैसला भारत सरकार को ही करने दे. केंद्रीय गृह मंत्रालय के सलाहकार अशोक प्रसाद ने कहा किदेश में जनसांख्यिकीय परिवर्तन और ऐसे प्रशासनिक और कूटनीतिक कारकों पर फैसला लेने का काम सरकार को करने देना चाहिए. रोहिंग्या मुस्लिम देश के लिए ख़तरा हैं और उन्हें हर हाल में निकाला जाएगा.बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच रोहिंग्यों को देश से ना निकालने का फैसला करीब-करीब सुनाने ही वाला था, मगर सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरलतुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट का कडा विरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसी भी आदेश का भारत सरकार पर अंतर्राष्ट्रीयअसर पड़ेगा.अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पीएम मोदी को झुकाना चाहता है कोर्टआइये आपको बताते है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट में चल क्या रहाहै. दरअसल सुप्रीम कोर्ट कुछ ख़ास वजहों से रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत से नहीं निकालना चाहता. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट कह रही हैं कि रोहिंग्या आतंकी संगठनों के प्रभाव में हैं, इसके बावजूद कोर्ट मानवता की आड़ में उन्हें देश में ही बसाये जाने के पक्ष में है.यूएन से लेकर कई विदेशी एजेंसियां भी रोहिंग्यों को भारत से ना निकालने पर जोर दे रही हैं, हालांकि मोदी सरकार ने अपना रुख कडा किया हुआ है. सुप्रीम कोर्ट अच्छी तरह जानता है कि यदि उसने रोहिंग्यों को ना निकालने का फरमान जारी कर दिया, तो मोदी सरकार पर रोहिंग्यों को रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ जाएगा और पीएम मोदी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी.रोहिंग्यों की याचिका ही गैर-कानूनी हैदेश की न्यायपालिका निष्पक्ष फैसले करती है, यदि आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपकी ये ग़लतफ़हमी अभी दूर हो जायेगी. दरअसल रोहिंग्या मुस्लिमों की ओर से भारत के संविधान के अनुछेद 32के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है, कायदे से ये याचिका तुरंत रद्द की जानी चाहिए थी क्योंकि अनुछेद 32 देश के नागरिकों के लिए है,ना कि अवैध घुसपैठियों के लिए.इसके बावजूद ना केवल सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली, बल्कि उस पर सुनवाई करते हुए रोहिंग्यों के पक्ष में फैसला तक सुनाने पर उतारू थे. हालांकि फैसला अगली सुनवाई तक के लिए टाल दिया गया है, मगर साफ़ है कि सुप्रीम कोर्ट फैसलारोहिंग्यों के पक्ष में ही सुनाएगा.मानवता वगैरहा कि बातें करना तो सब ढोंग है, अगर रत्ती भर मानवता होती इन जजों में तो कश्मीरी पंडित एक दशक से भी अधिक वक़्त से अपने ही राज्य सेनिर्वासित ना घूम रहे होते. कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर फेकने वालों पर पेलेट गनचलाने पर रोक ना लगाई गयी होती. दरअसल अंतर्राष्ट्रीय दबाव के सामने भारत की न्यायपालिका कैसे घुटने टेकतीहै, ये बात साफ़ हो चुकी है.यदि आप भी जनता को जागरूक करनेमें अपना योगदान देना चाहते हैं तो इसे फेसबुक परशेयरजरूर करें. जितना ज्यादा शेयर होगी, जनता उतनी ही ज्यादा जागरूक होगी. आपकी सुविधा के लिए शेयर बटन्स नीचे दिए गए हैं.


रोहिंग्या मुस्लिम ISIS के साथ मिलकर बना रहे हैंहमले की योजनाः खुफिया रिपोर्टज़ी न्यूज

खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोहिंग्या मुस्लिम नगालैंड में बना रहे हैं हमले की योजना (फाइल फोटो)खास बातें1.रोहिंग्या मुस्लिम नगालैंड में कर सकते है हमला2.इमाम के साथ मिलकर हमले की योजना बना रहे हैं3.बांग्लादेश से मिल रही हैमदद, बाहर निकालने पर हैं तैयारनई दिल्लीःएक तरफ भारत की सबसे बड़ी अदालत मेंरोहिंग्या मुस्लिमोंके देश में रहने या ना रहने को लेकर बहस जारी है. वहीं दूसरी तरफ रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर उत्तर पूर्वी राज्यनगालैंड की पुलिस की खुफिया जानकारी हैरान करने वाली है. नगालैंड पुलिस की खुफिया विभाग की इकाई ने गुरुवार (12 अक्टूबर) को स्थानीय लोगों पर हमले की आशंका जताई. समाचार एजेंसीएएनआईने नगालैंड पुलिस की खुफिया इकाई के सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि दीमापुर का एक इमाम के रोहिंग्या विद्रोहियों के संपर्क में होने की भी पुष्टि की. खबर है कि इसके लिए बांग्लादेश से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद एकत्र करने शुरू कर दिए हैं. खुफिया एजेंसी के अनुसार रोहिंग्या उग्रवादियों की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है.अधिकारियों के अनुसार, बाहर निकालने की कोशिश होने पर 2,000 मुसलमानों ने नागाओं के खिलाफ हथियार उठाने के लिए तैयार है. इमाम की नागालैंड के हेब्रोन और केहो कैंप के हमले पर हमला करने की योजना हैं, जिससे की उनके लिए नागालैंड पर कब्जा करना सुविधाजनक होगा. रिपोर्ट के अनुसारआईएसआईएससे जुड़े करीब 20 आतंकवादी नगालैंड में उग्रवादियों को ट्रेनिंग देने के लिए घुसपैठ कर चुके हैं. रिपोर्ट के अनुसार नगालैंड में आत्मघाती धमाके और हमले भी कराए जासकते हैं. रिपोर्ट के बाददीमापुर में संदिग्ध मुसलमानों की गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिये गये हैं.यह भी पढ़ेंः म्यांमार से 60000 रोहिंग्या मुस्लिम देश छोड़कर भागे, हिंसा में 2600 सेअधिक घर जलकर राखएजेंसी ने बीएसएफ के रिटायर्ड आईजी वीके गौड़के अनुसार शरणार्थी कैम्पों में नए लोगों के आने पर रोक लगाने की जरूरत है. गौड़ के अनुसारये माना जा रहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी कैम्पों में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा, अल-कायदा, जमात-ए-इस्लामी, छात्र शिबिर, इस्लामिक स्टेट और दूसरेमुस्लिम आतंकवादी संगठनों के लोग घुसपैठ कर चुके हैं. इन कैम्पों में राहत सामग्री बांटनेमें कई मुस्लिम देश मदद कर रहे हैं और आतंकवादी इसका फायदा उठा रहे हैं. गौड़ ये दावा भी किया की भारतीय सुरक्षा बलों मेंभी ऐसे लोग हैं जिनकी सहानुभूति उग्रवादियों के साथ है. रिपोर्ट के अनुसार भारत और बांग्लादेश की 4096 किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 140 ऐसी जगहों की पहचान की गयी है जहाँ से रोहिंग्या आतंकवादी घुसपैठ कर सकते हैं.कौन है रोहिंग्याम्यांमार में रोहिंग्या मुसलमाननस्ली अल्पसंख्यक हैं. 1982 में म्यांमार ने रोहिंग्या की नागरिकता का अधिकार खत्म कर दिया था. म्यांमार सरकार रोहिंग्या को बांग्लादेश से आए हुए अवैध घुसपैठिए मानती है. अगस्त 2017 में रोहिंग्या उग्रवादियों द्वारा म्यांमार के सुरक्षा बलों पर हमला किया गया. उसके बाद म्यांमार की सेनी ने रोहिंग्या उग्रवादियों के खिलाप अभियान शुरू कर दिया. रोहिंग्या का दावा है कि सेना बेकसूर लोगों को भी मार रही है. लाखों रोहिंग्या पिछले कुछ महीनों में म्यांमार से पलायन कर चुके हैं. सबसे ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं. भारत एवं अन्य मुस्लिम देशों में भी रोहिंग्या शरण ले रहे हैं.

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