Monday 16 October 2017

 अगर आप नियमित पूजा करती हैं और अगरबत्‍ती जलाती हैं तो अच्‍छा होगा कि अगरबत्‍तियों की मात्रा में कमी कर दें या फिर केवल घी गा दिया ही जलाएं। 
शास्त्रो में बांस की लकड़ी जलाना मना है फिर भी लोग अगरबत्ती जलाते है। जो की बांस की बानी होती है। अगरबत्ती जलाने से पितृदोष लगता है।शास्त्रो में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता सब जगह धुप ही लिखा हुआ मिलता है। अगरबत्ती तो केमिकल से बनाई जाती है भला केमिकल या बांस जलने से भगवान खुस कैसे होंगे ? अगरबत्ती जलाना बांध करे सब पंडित लोग। पूजन सामग्री में जब आप यजमान को अगरबत्ती लिख कर देंगे ही नहीं तो जलाने का सवाल ही नहीं। इस सत्य से यजमानो को अवगत कराये। आजकल लोगो को पितृ दोष बहुत होते है इसका एक कारन अगरबत्ती का जलना भी है।
एक शोध में पता चला है कि अगरबत्ती एवं धूपबत्ती के धुएं में पाए जाने वाले पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच)की वजह से पुजारियों में अस्थमा, कैंसर, सरदर्द एवं खांसी की गुंजाइश कई गुना ज्यादा पाई गई है। खुशबूदार अगरबत्‍ती को घर के अंदर जलाने से वायु प्रदूषण होता है विशेष रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड।बंद कमरे में अगरबत्ती न जलाएं। इससे धुएं की सान्द्रता बढ़ जाती है, और फेफड़ों पर ज्यादा असर होता है।
 जिस समय यवनो ने हिंदुस्तान पर आक्रमण किया तो उन्होंने देखा हिन्दू सैनिक युध्द से पहले पूजा पाठ करते थे जिसमें धुप दीप जलाकर अपने इष्ट को प्रसन्न कर उन पर टूट पड़ते थे यवनो को हार का सामना करना पड़ता थाi ये देख कर यवन सेना के बुध्दि जियो ने सोचा की हिन्दुओ के भगवान बहुत शक्तिशाली है पूजा पाठ करने से हिन्दुओ को शक्ति प्रदान करदेते है जिस कारण हमारी सेना प्रा जित हो जाती है तब उन्होंने हमारे धर्म ग्रन्थों का अध्यन किया तो शास्त्रो में पाया कि हिदू धर्म में बॉस जलाना वर्जित है अगरबत्ती का पूजा में प्रयोग हिन्दुओ को पूजा का प्रतिफल न मिले एक साजिश के तहत यवनो ने बहुत वर्षो पहले शुरू कराया||

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