प्रभु ने हमे पूर्ण शरीर दिया है फिर भी हम जिंदगी से कई बार परेशान होते है.पर क्या हमने कभी सोचा कि प्रभु ने जिन्हें कोई शारीरिक कमी दे रखी है उन्हें कैसा महसूस होता होगा???शायद नही क्योकि हम उसके दर्द का एहसास महसूस नही कर सकते.लेकिन ऐसा दर्द अपने साथ मे लेकर चलने वाली पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर नामक जगह की जोइता मंडल आज हम जैसो के लिए मिसाल है जोइता मंडल एक "किन्नर"है और उसने अपने अदम्य साहस,अदम्य इच्छाशक्ति से वो कर दिखाया जो लोगो को प्रेरणा दे सकता है.जोइता मंडल देश की प्रथम "किन्नर"न्यायाधीश के पद पर आसीन हुई .
एक किन्नर के रूप में जोइता मंडल का राष्ट्रीय लोक अदालत तक का सफर इतना आसान नहीं था। जीने के लिए भीख मांगने से लेकर सोशल वर्कर का काम और फिर राष्ट्रीय लोक अदलात की बेंच के लिए चयनित होना, ये सब जोइता ने इसी जिंदगी में देखा। ट्रांस वेलफेयर इक्विटी के संस्थापक अभीना ने कहा, यह पहला मौका है जब किसी इस समुदाय के व्यक्ति को यह अवसर मिला है। 8 जुलाई को लोक अदालत के लिए इस्लामपुर के सब-डिविजनल लीगल सर्विस कमेटी की तरफ से जोइता को बेंच के लिए नियुक्त किया गया था।
एक घटना ने बदल दी जिंदगी
जोइता का दफ्तर उस बस स्टैंड से सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर था जहां कभी उन्हें सोना पड़ा था। क्योंकि उनके किन्नर होने की वजह से एक होटल ने उन्हें रूम देने से मना कर दिया था। इस घटना के बाद ही जोइता ने अपने जैसे और भी दूसरे लोगों के लिए लडऩे का इरादा बनाया था।
एक घटना ने बदल दी जिंदगी
जोइता का दफ्तर उस बस स्टैंड से सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर था जहां कभी उन्हें सोना पड़ा था। क्योंकि उनके किन्नर होने की वजह से एक होटल ने उन्हें रूम देने से मना कर दिया था। इस घटना के बाद ही जोइता ने अपने जैसे और भी दूसरे लोगों के लिए लडऩे का इरादा बनाया था।
ईश्वर द्वारा प्रदत्त इतनी बड़ी कमी को भूलकर जो कार्य जोइता मोंडल किया है मैं उनके इस हौसले और उनके जज्बे को सहस्त्र बार प्रणाम करता हु.
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