कैसे बचा कश्मीर सन 1947 में = भारतीय वायु सेना के शौर्य और बलिदान की अमर गाथा
इस युद्ध के हीरो थे : सोम नाथ शर्मा , रंजीत रॉय बलिदानी और मेहर सिंह व थिमेया l
22 अक्टूबर 1947 को जब पाक ने मेजर जनरल अकबर खान ( कूट नाम जनरल तारिक ) की लीडरशिप में कबिलाइयों ने कश्मीर पर आक्रमण किया, उस समय कश्मीर के राजा हरी सिंह के पास मात्र नो बटालियन और 2 माउंटेन बैटरी थी l विस्फोटों के आभाव में कृष्ण गंगा नदी का पुल राज्य प्रशासन नहीं उड़ा पाया अन्यथा पाक हमलावर आगे नही बढ़ पाते l ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह की कमांड में उडी में अंतिम सैनिक और अंतिम गोली मोर्चा लिया, जबकि मुस्लिम सैनिकों के विद्रोह का भी सामना करना पड़ा l इस प्रकार हमला दो दिन तक आगे नहीं बढ़ पाया l ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह अ वीर गति को प्राप्त हुए l 24-26 अक्टूबर को बारामुला पर हमलावरों के आधिकार में आ गया l 27 अक्टूबर को राजा हरी सिंह ने विलय संधि पर हस्ताक्षर किये l
27 अक्टूबर को भारतीय वायु सेना का लड़ाकू विमान श्री नगर के हवाई अड्डे पर उतरा जिसमें Lt Col.रंजित रॉय की कमांड बारामुला की और कूच किया l जिसमें उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी l 3 नवम्बर को एक और साहसी प्रयास में मेजर सोम नाथ ने बडगाम में हमलावरों को रोका और वीरगति को प्राप्त हुए l जब हमलावर श्री नगर तक आ गए तब Lt रंजित रॉय और मेजर सोम नाथ शर्मा बलिदान हो चुके थे l तब रक्षा मंत्री बलदेव सिंह और गृह मंत्री सरदार पटेल राज्य की राजधानी पहुंचे और भारतीय सेना को भेजा l लगभग 600 हमलावर मारे गए और घाटी को बचा लिया गया l घाटी को बचाने में वायु सेना के टेकोटा हवाई जहाज ने बिना ओक्सीजन के 23 हज़ार फुट की ऊँचाई तक उड़ाया और इसे 11555 फीट की ऊँचाई पर लेह की उबड़ खाबड़ हवाई पट्टी पर ll ॐ ll काश ! आने वाली Air Lift की भांति कश्मीर को बचाने के लिए भारतीय वायु सेना के शौर्य और बलिदान की गाथा पर भी फिल्म बनी होती l
22 अक्टूबर 1947 को जब पाक ने मेजर जनरल अकबर खान ( कूट नाम जनरल तारिक ) की लीडरशिप में कबिलाइयों ने कश्मीर पर आक्रमण किया, उस समय कश्मीर के राजा हरी सिंह के पास मात्र नो बटालियन और 2 माउंटेन बैटरी थी l विस्फोटों के आभाव में कृष्ण गंगा नदी का पुल राज्य प्रशासन नहीं उड़ा पाया अन्यथा पाक हमलावर आगे नही बढ़ पाते l ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह की कमांड में उडी में अंतिम सैनिक और अंतिम गोली मोर्चा लिया, जबकि मुस्लिम सैनिकों के विद्रोह का भी सामना करना पड़ा l इस प्रकार हमला दो दिन तक आगे नहीं बढ़ पाया l ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह अ वीर गति को प्राप्त हुए l 24-26 अक्टूबर को बारामुला पर हमलावरों के आधिकार में आ गया l 27 अक्टूबर को राजा हरी सिंह ने विलय संधि पर हस्ताक्षर किये l
27 अक्टूबर को भारतीय वायु सेना का लड़ाकू विमान श्री नगर के हवाई अड्डे पर उतरा जिसमें Lt Col.रंजित रॉय की कमांड बारामुला की और कूच किया l जिसमें उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी l 3 नवम्बर को एक और साहसी प्रयास में मेजर सोम नाथ ने बडगाम में हमलावरों को रोका और वीरगति को प्राप्त हुए l जब हमलावर श्री नगर तक आ गए तब Lt रंजित रॉय और मेजर सोम नाथ शर्मा बलिदान हो चुके थे l तब रक्षा मंत्री बलदेव सिंह और गृह मंत्री सरदार पटेल राज्य की राजधानी पहुंचे और भारतीय सेना को भेजा l लगभग 600 हमलावर मारे गए और घाटी को बचा लिया गया l घाटी को बचाने में वायु सेना के टेकोटा हवाई जहाज ने बिना ओक्सीजन के 23 हज़ार फुट की ऊँचाई तक उड़ाया और इसे 11555 फीट की ऊँचाई पर लेह की उबड़ खाबड़ हवाई पट्टी पर उतार कर भारतीय सेना के उतरने का मार्ग प्रशस्त किया l मेजर जनरल के ऍम थिमेया ने 11578 र्की ऊँचाई पर बर्फ से ढके जोजिला दरे पर टैंक ले जाने का कारनामा कर दिखाया l अगर यह नहीं होता तो आज लद्दाख का विशाल भू भाग भी गिलगित और बत्लिस्तान की भांति पाकिस्तान के हाथ में होता l
इस युद्ध के हीरो थे : सोम नाथ शर्मा , रंजीत रॉय बलिदानी और मेहर सिंह व थिमेया l देश भले ही उनको भूल गया है पर उनका नाम इतिहास में कश्मीर को बचाने में सर्वदा स्वर्णमयी रहेगा l कर भारतीय सेना के उतरने का मार्ग प्रशस्त किया l मेजर जनरल के ऍम थिमेया ने 11578 र्की ऊँचाई पर बर्फ से ढके जोजिला दरे पर टैंक ले जाने का कारनामा कर दिखाया l अगर यह नहीं होता तो आज लद्दाख का विशाल भू भाग भी गिलगित और बत्लिस्तान की भांति पाकिस्तान के हाथ में होता l
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