Sunday, 8 October 2017

mediya

पटाखों पर बैन .।
हिन्दू कहलाने पर बैन कब लगेगा ..?
Divya Srivastava
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दीपावली-पटाखे बंद
होली - पानी बंद
दुर्गा पूजा-मूर्ति बंद गोविंद - दही हांडी बंद
और खतरे में इस्लाम है????
DeshDeepak Singh
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आँखे भी खोलनी पड़ती हैं उजाले के लिए..
केवल सूरज के निकलने से ही अँधेरा नहीं जाता।
पवन अवस्थी
बकरीद में 'वेज बिरयानी' का आर्डर दे दे एक बार सुप्रीम कोर्ट, फिर पता चलेगा असहिष्णुता और निर्णय देना क्या है।
Rajesh Jindal
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जिस-जिस वेबसाईट का हिन्दूवादियों ने कसकर-जमकर विरोध किया, गालियाँ दीं, खिल्ली उड़ाई... लगभग वे सभी वेबसाईटें करोड़ों में खेल रही हैं... उन्हें फंडिंग हो रही है, चन्दे मिल रहे हैं... भाजपा के बड़े-बड़े नेता वहाँ जाकर इंटरव्यू दे रहे हैं... क्या इन भाजपा नेताओं ने लल्लन टॉप के पिछले लेख पढ़े हैं ? क्या योगी आदित्यनाथ को इस वेबसाइट के मंच पर जाने की सलाह देने वालों को, लल्लन टॉप का इतिहास पता है ?
 दुःख केवल इस बात का होता है कि अपने ही हिन्दू भाई, किसी राष्ट्रवादी / हिंदूवादी वेबसाईटों को "प्रमोट करना" या उसे हृष्ट-पुष्ट बनाना तो दूर, उस पर लिखे गए लेखों को पढ़ने की ज़हमत तक नहीं उठाते... अधिकाँश राष्ट्रवादी वेबसाईट्स दरिद्री अवस्था में चल रही हैं...
Suresh Chiplunkar
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· भारत में गायब होने का चमत्कार जारी है.... 
आधार कार्ड लिंक होते ही....3.5 करोड़ LPG धारक गायब!
1,95,000 मदरसे से वजीफा वाले बच्चे गायब!
1.6 करोड़ राशन कार्ड भी गायब! 30 लाख BPL गायब!
मुलायम, मायावती, अखिलेश, लालू प्रसाद राजनिती से गायब ! 
केजरीवाल का भौंकना गायब ?
राज्यसभा से कम्युनिस्ट, मायावती गायब ! चीनी सेना डोकलाम से गायब !
पत्थरबाज कश्मीर से गायब !
क्या क्या गायब हो रहा है...
I Support RSS
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गांधी परिवार की समाधियों के में टिनेंस में 16 करोड़ रुपये हर साल खर्च होते हैं, और इन लोगो को ,राम की एक मूर्ति पर ऐतराज हैं...
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माननीय को हर हिन्दू त्योहार से दिक्कत है...इसका मतलब क्या है ..?
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भारत मे हमेंशा मजहब देख कर ही सजा हुई है,चाहे कश्मीर हो या गोधरा..
न्यायालय से हिंदुओ के पक्ष में फैसले की
उम्मीद रखना मूर्खता है!
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हमारे देश का यही दुर्भाग्य है की वकील भी गद्दार,
जज भी गद्दार, नेता भी गद्दार और तो और कुछमीडियाकर्मी भी गद्दार हैं ...,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
क्या हिंदुस्तान की भृष्ट न्यायपालिका के जजों को भडवे कहना अभिव्यकति की आजादी नहीं?
कुमार अवधेश सिंह
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 सुप्रीम कोर्ट ने नई दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक बरकरार रखी है. अब दीवाली से पहले यहां पटाखों की बिक्री नहीं होगी. कोर्ट के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया में कई लोगो ने अपनी नारजगी व्यक्त की है.
दिवाली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पटाखों की बिक्री 1 नवंबर, 2017 से दोबारा शुरू हो सकेगी. इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट देखना चाहता है कि पटाखों के कारण प्रदूषण पर कितना असर पड़ता है. सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगाने वाले नवंबर 2016 के आदेश को बरकार रखते हुए यह फैसला सुनाया.


न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के. सिकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, "हमें कम से कम एक दिवाली पर पटाखे मुक्त त्यौहार मनाकर देखना चाहिए." अदालत ने कहा कि दिल्ली एवं एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध हटाने का 12 सितंबर 2017 का आदेश एक नवंबर से दोबारा लागू होगा यानी एक नवंबर से दोबारा पटाखे बिक सकेंगे.



कोर्ट के इस आदेश के बाद सोशल मीडिया में लोगो ने अपनी नारजगी व्यक्त की है. चेतन भगत ने ट्वीट करके लिखा है कि आज अपने ही देश में उन्होंने बच्चों के हाथ से फुलझड़ी छीन ली, हैप्पी दीवाली मेरे दोस्त। उन्होंने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली के पटाखों पर रोक लगा दी, बिना पटाखों के बच्चों के लिए दीवाली का क्या महत्व। क्या मैं पटाखों पर प्रतिबंध पर सवाल पूछ सकता हूं, आखिर क्यों सिर्फ हिंदू त्योहारों को निशाना बनाया जाता है, क्या बकरियों की कुर्बानी औ मोहर्रम में खून खराबे पर भी रोक लगेगी। 

चेतन भगत ने लिखा कि पटाखों पर दीवाली के दिन प्रतिबंध ऐसा है जैसे क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री पर पाबंदी, बकरीद पर बकरे की कुर्बानी पर पाबंदी। कृपया बैन नहीं लगाएं, लोगों की परंपराओं का सम्मान करें।
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पर उपदेश कुशल बहुतेरे ..छमहु नाथ सब अवगुण मेरे ...हिन्दुस्तान की आम जनता तथा नेताओं को ईमानदारी नैतिकता , कानून के पालन का आदेश देने वाले न्याय की सर्वोच्च संस्था सुप्रीम कोर्ट के हाल ...आधे से जादा मीलार्ड ने अपनी संपत्तियों का खुलासा नहीं किया है ...समझ रहे है न भाई लोगो !!!
पवन अवस्थी



डा. केशव बलिराम हेडगेवार का सबसे बड़ा महत्व यही है कि उन्होंने साधारण को असाधारण बनाने का मार्ग बड़े साधारण, सरल तरीके से समझाया.
उन्होंने बताया हिन्दू मेधावी, विक्रमी ओर अविजेय हैं लेकिन संगठन के अभाव में ये गुण गुलामी बुला लाते हैं.
मुगलों के दरबारी, अंग्रेजों के चाकर बनने में उन्हें लज्जा क्यों नहीं आती ?
एक दूसरे हिन्दू पर आयी विपत्ति बाकी हिंदुओं को पीड़ित ओर क्रुद्ध क्यों नहीं करती ?
समरसता ओर बंधुत्व का भाव जगाए बिना राष्ट्र का उत्कर्ष कैसे हासिल किया जा सकता है ?
कुरीतियों, रूढ़ियों, अंधविश्वासों के जाल में हिन्दू फंसे रहेंगे तो समाज का प्रबोधन कौन करेगा ?
हर समय सोचना की कोई अवतार आएगा, कोई जीवमुक्त प्रबोधनकार उठेगा तभी समाज बचेगा, आत्म-रक्षक है या आत्म-विनाशक ?
इन प्रश्नों को उन्होंने उठाया और उनके उत्तर भी दिए.
एक अवलम्बित, परानुकरण की मानसिकता वाला समाज केवल आत्मविश्वास को ही आमंत्रित कर सकता है.
इसलिए हर घर से सहज , सामान्य, साधारण दिखने वाले भारतभक्त निकलें , अपनी योग्यता , मेधा व जीवन का उपयोग समाज -जागरण के लिए करने , बस यही तो है हेडगेवार पथ.
(पञ्चजन्य-२००३ अप्रेल से)




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