मोपला एक ऐसा नरसंहार था , एक दरिंदगी जिसमें हजारों की तादात में हिन्दू मारे गये। जिसका कोई आज जिक्र नहीं करता, एक ऐसा नरसंहारजिसका आज की पीड़ी को कुछ नहीं पता।मोपला कांड में मुस्लिम आक्रांताओं के हाथों 20 हजार हिन्दू क़त्ल किये गए थे और 20 हजार हिन्दूओं को जबरदस्ती मुसलमान बनवा दिया. इस भीषणतम अमानवीय काण्ड में दस हजार महिलाओं का बलात्कार हुआ था जिनकी उम्र में बालिग़ और नाबालिग नहीं देखा गया था । इस कांड का आज के समय में शायद ही किसी को पता हो..
.कांग्रेस में 1903 में ही मतभेद हो गये थे उस समय कांग्रेस में दो दल थे। नरम व गरम दल और दोनों दलो के सोच में जमीन आसमान का अन्तर था। नरम दल किसी भी प्रकार की हिंसा का विरोध करता था , भले ही भगत सिंह हो या चंद्रशेखर आज़ाद , उनका नेतृत्व कर रहे थे मोती लालनेहरू व गोखले।
वहीँ दूसरा धड़ा था गरम दल जो दुष्ट अंग्रेजों के खिलाफ हर प्रकार के मार्ग का समर्थन करते थे . इस दल के नेता थे लोकमान्य तिलक जी जिनका नारा था स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसेलेकर रहूंगा। 1903 से 1920 तक कांग्रेस में लोकमान्य तिलक का प्रभुत्व था लेकिन 1916 में गांधी के अफ्रिका से आने के बाद उनकी जगह धीरे धीरे गांधी ने लेनी शुरू कर दी .
खिलाफत आन्दोलन
1920 में तिलक जी के स्वर्गवास के बाद परिस्थिति बदल गई और कांग्रेस गांधी व नेहरू के हाथ में आ गई। ये दोनों चाहते तो तिलक जी के पूर्ण स्वराज को आगे लेकर जा सकते थे मगर इन दोनों ने अपना एकआंदोलन शुरू किया जो खिलाफत आन्दोलन के नाम से जाना गया।ये जानना जरुरी है कि खिलाफत आन्दोलन था क्या ?
भारत के इतिहास में खिलाफत आन्दोलन का वर्णन तो है मगर ये स्वाधीनता हेतु नहीं बल्कि मुस्लिम देश तुर्की के राजा को गद्दी से हटाने जाने के विरोध में भारत में रह रहे मुसलमानों की संतुष्टि के लिए गांधी द्वारा चलाया गया आन्दोलन था। आज भी अधिकतर लोगों को नहीं पता कि खिलाफत आन्दोलन स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए चलाया गया आन्दोलन था।
मगर सत्य यह है कि पहले विश्व युद्ध में तुर्की के हार जाने के बाद अंग्रेजों ने वहां के राजा को गद्दी से हटा दिया था। तो भारत में रह रहे मुसलमानों ने तुर्की के सुल्तान को गद्दी पर वापस बिठाने के लिए चलाया था जिसका समर्थन गाँधी व नेहरु ने किया था और खिलाफत आंदोलनों को शुरू किया था।
खिलाफत आन्दोलन का नेतृत्व गांधी के साथ मोहम्मद अली जोहर व शोकत अली जोहर दो भाई कर रहे थे। गाँधी ने खिलाफत के सहयोग के लिए ही असहयोग आन्दोलन की घोषणा कर दी। जब कुछ राष्ट्रप्रेमी कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया तो गाँधी ने यह कह दिया कि जो खिलाफत का विरोधी है तो वह कोंग्रेस का भी शत्रु है।
लेकिन बहुसंख्यक हिन्दुओं ने इसका विरोध किया जिसका परिणाम यह हुआ कि खिलाफत आन्दोलन फेल हो गया।माना जाता है की खिलाफत आंदोलन असफल होने का दोषी तमाम चरमपंथी मुस्लिमों ने हिन्दुओं को माना और अंग्रेजों का गुस्सा हिन्दुओं पर उतारा . उन जगहों की तलाश की गयी जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक थे और उसमे से एक था मोपला .
वहां काम संख्या में रह रहे हिन्दुओं पर हमला कर दिया गया और सिर्फ शुरू हुआ एक बहुत बड़ा नरसंहार . मोपला कांड में हीअकेले 20 हजार हिन्दुओं को काट डाला गया, 20 हजार से ज्यादा को जबरन मुस्लमान बना दिया गया। 10हजार से अधिक हिन्दू औरतों का बलात्कार किया गया.अफ़सोस मोपला काण्ड के खिलाफ आज तक ना किसी ने अपने एक भी शब्द बतौर श्रद्धांजलि या बतौर इतिहास उनका नाम दर्ज करवाया .
गुजरात , मुजफ्फरनगर या असम के लिए आये दिन रोने वालों के आँखों के आंसू अचानक ही सूख जाते हैं मोपला का नाम आते ही . सुदर्शन न्यूज ऐसे दबे इतिहास को जनता तक पहुंचाने के लिए कृत संकल्पित है क्योंकि वास्तविक इतिहास जानना जनता का मौलिक अधिकार है .
.कांग्रेस में 1903 में ही मतभेद हो गये थे उस समय कांग्रेस में दो दल थे। नरम व गरम दल और दोनों दलो के सोच में जमीन आसमान का अन्तर था। नरम दल किसी भी प्रकार की हिंसा का विरोध करता था , भले ही भगत सिंह हो या चंद्रशेखर आज़ाद , उनका नेतृत्व कर रहे थे मोती लालनेहरू व गोखले।
वहीँ दूसरा धड़ा था गरम दल जो दुष्ट अंग्रेजों के खिलाफ हर प्रकार के मार्ग का समर्थन करते थे . इस दल के नेता थे लोकमान्य तिलक जी जिनका नारा था स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसेलेकर रहूंगा। 1903 से 1920 तक कांग्रेस में लोकमान्य तिलक का प्रभुत्व था लेकिन 1916 में गांधी के अफ्रिका से आने के बाद उनकी जगह धीरे धीरे गांधी ने लेनी शुरू कर दी .
खिलाफत आन्दोलन
1920 में तिलक जी के स्वर्गवास के बाद परिस्थिति बदल गई और कांग्रेस गांधी व नेहरू के हाथ में आ गई। ये दोनों चाहते तो तिलक जी के पूर्ण स्वराज को आगे लेकर जा सकते थे मगर इन दोनों ने अपना एकआंदोलन शुरू किया जो खिलाफत आन्दोलन के नाम से जाना गया।ये जानना जरुरी है कि खिलाफत आन्दोलन था क्या ?
भारत के इतिहास में खिलाफत आन्दोलन का वर्णन तो है मगर ये स्वाधीनता हेतु नहीं बल्कि मुस्लिम देश तुर्की के राजा को गद्दी से हटाने जाने के विरोध में भारत में रह रहे मुसलमानों की संतुष्टि के लिए गांधी द्वारा चलाया गया आन्दोलन था। आज भी अधिकतर लोगों को नहीं पता कि खिलाफत आन्दोलन स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए चलाया गया आन्दोलन था।
मगर सत्य यह है कि पहले विश्व युद्ध में तुर्की के हार जाने के बाद अंग्रेजों ने वहां के राजा को गद्दी से हटा दिया था। तो भारत में रह रहे मुसलमानों ने तुर्की के सुल्तान को गद्दी पर वापस बिठाने के लिए चलाया था जिसका समर्थन गाँधी व नेहरु ने किया था और खिलाफत आंदोलनों को शुरू किया था।
खिलाफत आन्दोलन का नेतृत्व गांधी के साथ मोहम्मद अली जोहर व शोकत अली जोहर दो भाई कर रहे थे। गाँधी ने खिलाफत के सहयोग के लिए ही असहयोग आन्दोलन की घोषणा कर दी। जब कुछ राष्ट्रप्रेमी कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया तो गाँधी ने यह कह दिया कि जो खिलाफत का विरोधी है तो वह कोंग्रेस का भी शत्रु है।
लेकिन बहुसंख्यक हिन्दुओं ने इसका विरोध किया जिसका परिणाम यह हुआ कि खिलाफत आन्दोलन फेल हो गया।माना जाता है की खिलाफत आंदोलन असफल होने का दोषी तमाम चरमपंथी मुस्लिमों ने हिन्दुओं को माना और अंग्रेजों का गुस्सा हिन्दुओं पर उतारा . उन जगहों की तलाश की गयी जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक थे और उसमे से एक था मोपला .
वहां काम संख्या में रह रहे हिन्दुओं पर हमला कर दिया गया और सिर्फ शुरू हुआ एक बहुत बड़ा नरसंहार . मोपला कांड में हीअकेले 20 हजार हिन्दुओं को काट डाला गया, 20 हजार से ज्यादा को जबरन मुस्लमान बना दिया गया। 10हजार से अधिक हिन्दू औरतों का बलात्कार किया गया.अफ़सोस मोपला काण्ड के खिलाफ आज तक ना किसी ने अपने एक भी शब्द बतौर श्रद्धांजलि या बतौर इतिहास उनका नाम दर्ज करवाया .
गुजरात , मुजफ्फरनगर या असम के लिए आये दिन रोने वालों के आँखों के आंसू अचानक ही सूख जाते हैं मोपला का नाम आते ही . सुदर्शन न्यूज ऐसे दबे इतिहास को जनता तक पहुंचाने के लिए कृत संकल्पित है क्योंकि वास्तविक इतिहास जानना जनता का मौलिक अधिकार है .
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