Monday 14 November 2016

नोट बैन: लोगों ने शराब पीना किया कम, 6 दिनों में 40 फीसदी बिक्री घटी ...

 हजार और 500 के नोट क्या बंद हुए शौकीन लोगों ने शराब की दुकानों से मुंह ही मोड़ लिया। सूरज ढलने के बाद शराब की दुकानो पर नशे के शौकीन लोगों की भीड़ व लाइनें दिखनी कम हो गयी हैं। अब दुकानों पर इक्का दुक्का ग्राहक ही आ रहा है। जिले का आबकारी विभाग भी परेशान है क्योंकि उसके राजस्व में भी भारी गिरावट हो रही है। 8 नवंबर की रात को जब प्रधानमंत्री ने पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाया था तब रात साढ़े आठ बजे से रात 11 बजे तक लोगों ने पुराने नोटों से काफी मात्रा में शराब खरीदी थी लेकिन जो लोग चूक गये थे वह अब पैसे न होने की वजह से शराब की दुकानों पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
जिला आबकारी अधिकारी देवराज सिंह ने आज बताया कि 9 नवंबर से शराब की बिक्री में करीब चालीस फीसदी की कमी है। आम दिनों में कानपुर शहर में रोज करीब 21 हजार बोतल अंग्रेजी शराब, 40 हजार बोतल बियर तथा करीब 35 हजार लीटर देशी शराब की बिक्री होती थी। इस तरह हम प्रति महीने औसतन करीब सात लाख बोतल अग्रेजी शराब, करीब 12 लाख बोतल बियर और करीब 15 लाख लीटर देशी शराब की बिक्री करते थे। यह आंकड़े किसी महीने कम हो जातेजबसे पुराने नोटों पर रोक लगी है तब से शराब की दुकानों पर सन्नाटा छाया हुआ है और शराब की बिक्री में करीब 40 प्रतिशत कमी आई है। जब शराब की बिक्री कम होगी तो सरकार को राजस्व भी कम मिलेगा, क्योंकि नये नोट से अभी शराब खरीदने वालों की संख्या बहुत ही कम है और पुराने नोट न लेने के निर्देश सभी शराब की दुकानों पर दे दिये गये हैं।
आबकारी अधिकारी देवराज सिंह के मुताबिक शराब की बिक्री सामान्य होने में अभी करीब एक महीने का समय लगेगा क्योंकि जब लोगों के पास नये नोट ही नहीं होंगे तो लोग शराब कहां से खरीदेंगे। वह कहते है कि इससे आबकारी विभाग को राजस्व की काफी हानि सहनी पड़ेगी।
शराब के डीलर धर्मेन्द्र जायसवाल के अनुसार आजकल शादियों का सीजन है और इस सीजन में लोग शराब ज्यादा खरीदते थे लेकिन इस नये नोट के चक्कर में शराब का कोई बड़ा ऑर्डर ही नहीं मिल रहा है, जहां लोग शादी में 20 से 25 बोतल शराब ले जाते थे वहां अब दो से तीन बोतल में ही काम चला रहे हैं । इससे शराब व्यापारियों को तो भारी नुकसान हो ही रहा है क्योंकि उन्होंने शादियों के सीजन को ध्यान में रखते हुये भारी मात्रा में शराब का स्टाक दुकानों में लगा लिया था लेकिन अब बिक्री बहुत ही कम हो गयी है। वह कहते है कि जब बिक्री ही नहीं होगी तो सरकार को राजस्व कहां से मिलेगा। थे तो किसी त्योंहार या शादी आदि के सीजन में बढ़ जाते थे।

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