Monday 21 November 2016

ईमानदारी से काम करने का मज़ा 

अब आ रहा है लोगों को ...

कल राजसमन्द राजस्थान से एक मित्र का फोन आया.
बड़े खुश थे.
उन्होंने 8 Nov से ले के आज तक का अपना नोट बंदी का अपना अनुभव शेयर किया, जिसे उन्होंने खुद अपनी फेसबुक वाल पर एक डायरी के रूप में शेयर भी किया है.
राजसमन्द देश की सबसे बड़ी मंडी है Granite और Marble की.
पूरे देश में यहाँ से Granite और Marble supply होता है.
उन्होंने बताया कि जब 8 Nov को मोदी जी ने नोट बंदी की घोषणा की तो एकबारगी तो झटका लगा. लंबा चौड़ा business है. घर में 12 – 14 लाख cash पडा था. सबसे पहले तो उसे बैंक में जमा कराया.
उसके बाद समस्या ये आई कि देश भर से बकायेदार businessmen ने 500 और 1000 के नोटों में उधारी चुकानी शुरू की, इस चेतावनी के साथ कि लेना है तो ले लो वरना फिर न जाने कब मिलेंगे.
मरता क्या न करता? लेनी पड़ी payment.
अब समस्या ये कि इसका करें क्या.
फिर हमने भी वही किया जो सब कर रहे थे. अपनी सारी देनदारी उन्हीं बड़े नोटों में चुकानी शुरू की. Mines को payment कर दिया.
फिर राजसमन्द के Granite producers association की मीटिंग हुई. तय हुआ कि अब आगे से underbilling नहीं करेंगे. पूरा बिल काटेंगे. पूरा tax देंगे. सारा business 1 नंबर में करेंगे. No झंझट No खिट खिट. इस से 3 रु फुट बढ़ेंगे दाम Granite के. Association ने तय किया कि 1.5 रु हम वहन करेंगे और बाकी डेढ़ रुपया व्यापारी.
इस से एक तो सारा business एक नंबर में हो गया और हर नाके पर जो 100 रु प्रति गाड़ी की रिश्वत देनी पड़ती थी वो बंद हो गयी. इस note बंदी का नतीजा ये हुआ कि अब व्यापार बढ़ गया है. रोजाना धड़ाधड़ गाड़ियां load हो रही हैं. धंधा भी चोखा और सुकून का.
कुछ यही रिपोर्ट कोलकाता से एक मित्र ने दी. उनकी कम्पनी शुरू से एक नम्बर में business करने के लिए कुख्यात रही है. वो भी बता रहे थे कि जब से नोट बंदी हुई है उनके माल की demand 40 से 50 % तक बढ़ गयी है क्योंकि market के सारे प्रतिद्वंदी जो दो नंबर का धंधा करते थे वो अभी फटा हुआ लहंगा सम्हाल रहे हैं.
ईमानदारी से काम करने का मज़ा अब आ रहा है लोगों को.

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