9 नवंबर से मोदी सरकार ने पूरे देश में 500-1000 के नोट पर बैन लगा दिया और साथ ही पुराने नोट बदलने के लिए एक निश्चित समय सीमा दी गई। उसके बाद से ही पूरे देश में लोग बैंकों की तरफ दौड़ पड़े। इस फैसले के 10 दिन बीत जाने के बावजूद अभी भी बैंकों में ज़बरदस्त भीड़ देखी जा रही है। जहां एक तरफ लोगों पर इस फैसले का काफी असर देखने को मिल रहा है, वहीं बैंक के कर्मचारियों पर भी अचानक से बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी आ चुकी है। इसके चलते, बैंक के कर्मचारियों को दिनरात काम करना पड़ रहा है। इसी बीच ख़बर आई है कि एक बैंक कर्मचारी ऐसी भी हैं जो देश के इस मुश्किल वक्त में अपना फर्ज़ निभाने के चलते अपनी 7 महीने की दुधमुंही बच्ची को अपने साथ बैंक लेकर आ रही हैं।
आज तक वेबसाइट के मुताबिक, ये मामला है बिहार के खगड़िया का, जहां इलाहाबाद बैंक की कर्मचारी कंचन प्रभा ने अपने पेशे के लोगों के लिए नई मिसाल पेश की है। वो अपने 7 महीने के बच्चे के साथ बैंक आती हैं, और लोगों के नोट बदलने व बैंक के दूसरे काम कर रही हैं। प्रसव के बाद के इन महीनों और इतने छोटे बच्चे की देखभाल में आमतौर पर महिलाएं अपने रोज़मर्रा के काम तक ठीक से नहीं कर पाती, ऐसे में कंचन का मां और बैंकर का फर्ज़ एक साथ निभाना काबिले तारीफ है।
कंचन प्रभा देश की जनता की सेवा करना ही परम धर्म मानती हैं, भले ही ऐसा करते हुए उन्हें आराम न मिले। उनकी बेटी का नाम पंखुड़ी है, जिसे अपने पास रखकर ही वो इन दिनों बैंक में जुट रही भीड़ के काम तेज़ी से निपटाती हैं। कंचन का मानना है कि जब देश कालेधन से परेशान हैं, तो ये बैंककर्मी की ज़िम्मेदारी है कि वो अपनी भूमिका ठीक से निभाएं। कंचन के पति प्रभात कुमार भी अपनी पत्नी पर गर्व करते हैं।  बैंक के दूसरे कर्मचारी कंचन की इस हिम्मत और कर्मठता के कायल हैं। वे सभी जितना मुमकिन हो सके उनकी मदद करते हैं। वहीं बैंक ब्रांच की मैनेजर सुमन कुमार सिन्हा को भी कंचन पर गर्व है। उनका माममा है कि कंचन को देखकर दूसरे कर्मचारियों को प्रेरणा मिलती है।
कहा जा रहा है कि इन दिनों देश में अगर कोई सबसे अधिक व्यस्त हैं तो वो बैंकों में काम करने वाले लोग हैं। कई दिनों से लगातार दिन रात काम कर रहे बैंक कर्मचारियों की सेहत पर अब ये फैसला भारी भी पड़ता हुआ दिख रहा है। गौरतलब है कि हाल ही में खबर आई थी कि भोपाल में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक कर्मचारी की डयूटी के दौरान मौत हो गई। 44 वर्षीय पुरूषोत्तम व्यास बैंक की नीलबड शाखा में कैशियर के रूप में कार्यरत थे। काम के दौरान उन्हें बेचैनी हुयी। उन्हें तत्काल इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सकों ने अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया। अधिकारी ने स्वीकार किया कि वह कई घंटों से लगातार काम कर रहे थे।