Monday 14 November 2016

पीएम मोदी को मिला इंटरनेशनल सपोर्ट...

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 500-1000 नोट बंद के फैसले को अब संयुक्‍त राष्‍ट्र का समर्थन मिला है। यूएन ने पहली बार पीएम मोदी के निर्णय का स्‍वागत कर इसे साहसिक कदम करार दिया। यूएन के इस सपोर्ट के बाद साफ हो गया है कि पीएम मोदी अपने इस फैसले से पीछे नहीं हटेंगे।संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने कहा है कि वित्तीय प्रणाली को कालेधन से मुक्त करने और इसमें पारदर्शिता लाने से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज होगी।
यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष जिर्की कटाईनेन ने वित्तीय प्रणाली को साफ सुथरा बनाने के भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू करने और कई अन्य सुधार उपायों को तेज करने के लिए भी पीएम मोदी को सराहा है।
दूसरी तरफ, चीनी मीडिया ने पीएम मोदी के इस फैसले को साहसिक और निर्णायक कदम बताया है। चीनी अखबार में छपे लेख के अुनसार, “नरेन्द्र मोदी ने जो निर्णय लिया है, वह वहां की वास्तविकता को दर्शाती है कि अधिकांश गैर कानूनी काम के लिए नकद में लेन-देन होता है और इसमें अधिकांशत: 500 और 1000 जैसे बड़े नोटों का इस्तेमाल होता है। यह भारत के कैश सर्कुलेशन का करीब 80 फीसदी है। नोट बैन कर मोदी सरकार ने करप्शन की जड़ पर हमला बोला है।”
हालांकि चीन ने यह भी कहा है कि मोदी सरकार के इस फैसले से भ्रष्‍टाचार या कालाधन खत्म होगा, इसकी 100 फीसदी गारंटी नहीं दी जा सकती है
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नई दिल्ली। आय से अधिक संपत्ति के मामले में सेना के दो मेजर जनरलों के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए गए हैं। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने मेजर जनरल अशोक कुमार और मेजर जनरल एसएस लांबा के खिलाफ मिली शिकायतों के बाद ये आदेश जारी किए।
मोदी सरकार के कार्यकाल में सेवारत वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच का अपनी तरह का ये पहला आदेश है। सेना के इतिहास में ये पहली बार है जब इतने बड़े अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश हुए हैं। रक्षा सूत्रों के मुताबिक दोनों अफसरों के खिलाफ काफी शिकायतें मिली थीं जिनके बाद इस तरह के जांच के आदेश जारी किए गए हैं।
करप्शन के खिलाफ मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं और सीबीआई इन दोनों अफसरों की सभी चल-अचल संपत्ति की जांच करेगी। रक्षा मंत्रालय को आरोपी अफसरों के खिलाफ लेफ्टिनेंट जनरल की रैंक पर प्रमोशन के लिए घूस देने की शिकायतें भी मिली थीं। प्रमोशन बोर्ड को पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल राजीव भल्ला के कार्यकाल में मंजूरी मिली थी। इस केस में रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भल्ला पर भी सवाल उठे थे।

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