Thursday 3 November 2016

मौत के बाद भी ज़िन्दगी होती है. पुनर्जन्म की इन 10 कहानियों को पढ़ कर आपको भी यकीन हो जायेगा ...

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि मृत्यु के बाद सिर्फ़ इंसान का शरीर मरता है, उसकी आत्मा नहीं. और जब ये आत्मा किसी दूसरे शरीर में प्रविष्ठ कर जाती है तो उसे पुनर्जन्म कहते हैं. कई लोगों का मानना है कि पुनर्जन्म की बातें अंधविश्वास से ज़्यादा कुछ नहीं, लेकिन कई ऐसी भी कहानियां हैं जो बताती हैं कि कुछ लोग हैं जिन्होनें मृत्यु के बाद भी, ज़िन्दगी को देखा है. आज पढ़िए कुछ ऐसी ही हैरतअंगेज कहानियां.

1. निर्मल, कोसीकला गांव

कोसीकला गांव में रहने वाले भोलेनाथ जैन के बेटे, निर्मल की मृत्यु 1950 में चिकन पॉक्स की वजह से हो गयी थी. एक साल बाद, 1951 में छाता गांव में रहने वाले बी.एल. वार्श्नेय के घर एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रकाश रखा गया. प्रकाश जब साढ़े चार साल का हुआ तो अचानक ही सबको कहने लगा कि वो कोसीकला गांव में रहता था और उसका असली नाम निर्मल है. प्रकाश ने ये भी कहा कि उसे अपने पुराने घर जाना है.
प्रकाश को भरोसा दिलाने के लिए उसका कोसीकला गांव से कोई वास्ता नहीं है, उसके चाचा उसे कोसीकला गांव ले गए. वहां पहुंचते ही प्रकाश की पिछले जन्म की यादें वापस आने लगीं, लेकिन दुर्भाग्यवश वो अपने पिता, भोलेनाथ जैन से नहीं मिल पाया. फिर 1961 में, किसी काम के चलते, भोलेनाथ जैन छाता गांव आये जहां उन्हें पता चला कि प्रकाश नाम का लड़का अपना नाम निर्मल और गांव का नाम कोसीकला बताता है. भोलेनाथ ये गुत्थी सुलझाने वार्श्नेय परिवार के घर पहुंचे तो प्रकाश ने उन्हें देखते ही पहचान लिया. फिर, प्रकाश ने कई ऐसी बातें भोलेनाथ को बतायीं, जो सिर्फ़ निर्मल और उसके पिता, भोलेनाथ जैन को ही पता थीं.

2. मंजू, आगरा

आगरा में रहने वाले पोस्ट मास्टर पी.एन. भार्गव की बेटी का नाम मंजू था. 2 साल की उम्र में मंजू ने कहना शुरू किया कि उसके दो घर हैं. पहले तो किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन एक दिन भार्गव जी मंजू को धूलियागंज से ले जा रहे थे, जब मंजू ने एक बड़े से घर की तरफ़ इशारा करके कहा की वो उसका घर है. एक दिन मंजू को उस घर ले जाया गया जहां के मालिक प्रकाश सिंह चतुर्वेदी थे. मंजू ने चतुर्वेदी परिवार को ऐसी कई बातें बताई जो सिर्फ़ उन्हें ही पता थीं. बाद में ज्ञात हुआ कि 1952 में प्रकाश सिंह जी की बुआ की मृत्यु हुई थी और शायद मंजू उन्हीं का पुनर्जन्म है.

3. राजुल, जूनागढ़

1960 में प्रवीन चंद्रा जी के घर एक बेटी पैदा हुई जिसका नाम रखा गया राजुल. जब राजुल 3 साल की हुई तो अपने पिछले जन्म की बातें बताने लगी कि वो जूनागढ़ जिले में रहती थी और उसका नाम गीता था. पहले तो उसके परिवार ने उसकी बातों को नज़रअंदाज़ किया, लेकिन जब ये बात राजुल के नाना, वाजुभाई शाह को पता चली तो उन्होंने छानबीन करना शुरू किया.
उन्हें पता चला कि जूनागढ़ में गोकुलदास ठक्कर रहते हैं जिनकी बेटी, गीता की मृत्यु 1959 में हो गयी थी और उस समय वो केवल ढाई साल की थी. 1965 में वाजुभाई शाह, राजुल को जूनागढ़, ठक्कर परिवार से मिलाने ले गए. वहां जाते ही राजुल ने अपने पिछले जन्म के परिवारवालों को पहचान लिया. उसे वो मंदिर भी याद था जहां उसकी मां पूजा करने जाती थी.

4. स्वर्णलता, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में रहने वाले एम.एल मिश्रा की एक बेटी थी जिसका नाम स्वर्णलता था. बचपन से ही स्वर्णलता ये कहा करती थी कि उसका असली घर कटनी में है और उसके 2 बेटे भी हैं. उसके परिवारवाले उसे कटनी ले गया जहां स्वर्णलता ने अपने 2 बेटों और कटनी की दूसरी जगहों को भी पहचान लिया. छानबीन करने पर पता चला कि 18 साल पहले बिंदिया देवी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हो गयी थी और स्वर्णलता उनका ही पुनर्जन्म है. स्वर्णलता ने वो बदलाव भी बताये जो कटनी में उसके घर में उसकी मृत्यु के बाद हुए थे.

5. गोपाल, नयी दिल्ली

1956 में गुप्ता परिवार में एक लड़का पैदा हुआ जिसका नाम था गोपाल. बड़े होने पर गोपाल ने बताया कि पिछले जन्म में उसका नाम शक्तिपाल था और वो मथुरा में रहता था. उसने ये भी बताया कि उसके 3 भाई थे और उनमें से ही एक भाई ने उसकी गोली मार कर हत्या कर दी थी. गोपाल को ये भी पता था कि मथुरा में उसकी "सुख संचारक" नाम की मेडिकल शॉप थी.
ये सब सुनने के बाद गोपाल के पिता ने जांच-पड़ताल की और पाया कि मथुरा की मेडिकल शॉप "सुख संचारक" के मालिक शक्तिपाल की हत्या उसके भाई ने ही की थी. शक्तिपाल के परिवार को जब ये बात पता चली तो उसकी पत्नी और मौसी ने गुप्ता परिवार से दिल्ली में मुलाक़ात की. गोपाल ने दोनों को पहचान लिया और जब उसे मथुरा लाया गया उसे अपनी दुकान और बच्चे भी याद आ गए.

6. रेचल, न्यूयॉर्क

न्यूयॉर्क में रहने वाली 26 साल की रेचल को कई बार ऐसा आभास होता था कि पिछले जन्म में वो एक डांसर थीं और यूरोप में रहती थीं. उन्हें अपने पिछले जन्म का नाम भी याद था. रेचल की कहानी अद्भुत इसलिए भी है क्योंकि वर्तमान में भी वो एक डांसर हैं और बिना किसी प्रशिक्षण के शानदार डांस कर लेती हैं.

7. गुमनाम महिला, अमेरिका

पुनर्जन्म की एक और चौंका देने वाली कहानी अमेरिका की है. एक अमेरिकन महिला बार-बार एक ही शब्द दोहराती थी और वो था "जैन". न ही उसको, न ही उसके परिवार वालों को इस शब्द का मतलब पता था और उसे आग से भी बहुत डर लगता था. उसकी उंगलियों पर भी बचपन से ही जलने के निशान थे. एक बार जैन धर्म की मीटिंग में उसे ज्ञात हुआ कि पिछले जन्म में वो जैनी थी और एक जैन मंदिर में रहा करती थी. उसकी मृत्यु भी आग से जलने की वजह से हुई थी.

8. कत्सुगोरो, जापान

10 अक्टूबर, 1815 में जापानी किसान गेंजो का एक बेटा हुआ जिसका नाम रखा गया कत्सुगोरो. जब वो 7 साल का था तो उसने अपने पिछले जन्म की बातें बताना शुरू किया. उसने बताया कि उसका नाम टोज़ो था, उसके पिता का नाम क्यूबी, बहन का नाम फूसा और मां का नाम शिडज़ु था. उसकी पिछले जन्म में मृत्यु स्मॉलपॉक्स की वजह से हुई थी जब वो सिर्फ़ 6 साल का था. एक दिन कत्सुगोरो की नानी उसे उसके पिछले जन्म के पिता की कब्र पर ले गयी जहां उसने ये भी बताया कि उसका घर कहां था.

9. सियाम, थाईलैंड

थाईलैंड में रहने वाली सियाम का मानना था कि उसे अपने पिछले जन्म की बातें पता हैं. और ये सच भी था क्योंकि सियाम चाइनीज़ भाषा में माहिर थीं. एक दिन उसने बताया कि उसके माता-पिता चाइना में रहते हैं और वो उनसे मिलना चाहती है. जब सियाम की पिछले जन्म की मां को ये बात पता चली वो उससे मिलने थाईलैंड आयीं. सियाम ने उन्हें तुरंत पहचान लिया.

10. रूबी कुसुमा, श्रीलंका

श्रीलंका के बटापोला जिले में रूबी कुसुमा का जन्म 1963 में हुआ था. जब रूबी बोलने लगी तो उसने अपने परिवार को पिछले जन्म की बातें बतायीं. उसने बताया कि वो एक लड़का हुआ करती थी और उसकी मृत्यु कुएं में डूबने से हुई थी. तहकीकात करने पर पता चला कि रूबी की कहानी सच थी और फिर बाद में उसकी मुलाक़ात उसके पिछले जन्म के परिवार से भी करायी गयी.
है न चौंका देने वाली कहानियां? अब इनमें कितनी सच्चाई है, ये तो कोई नहीं बता सकता. लेकिन एक बात तो पक्की है, इस दुनिया में कई ऐसी चीज़ें होती हैं जिन्हें आज तक विज्ञान भी नहीं समझ पाया है. तो क्या आपको लगता है कि पुनर्जन्म जैसी चीज़ इस दुनिया में हो सकती है?

No comments:

Post a Comment