Monday 21 November 2016

हिमांशु शर्मा जी का लेख:
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सबसे पहले जर्मनी द्वारा ब्रिटेन की करेंसी को print कर आर्थिक युद्ध की शुरूआत की गयी। जर्मनी को ये idea बिहार के एक लाल महेन्द्र मिश्र से मिला। महेन्द्र मिश्र 1924 में अंग्रेजो द्वारा नकली करेंसी print करने के आरोप में जेल भेजे गये थे। जर्मनी ने दूसरे विश्व युद्व के दौरान करीब 1300 करोड़ रूपये मूल्य के 90 लाख़ ब्रिटिश पाउन्ड print किये...
जर्मनी के बाद दो और देशो ने नकली करेंसी को दुश्मन देश के खिलाफ़ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया... पहला उत्तर कोरिया जिसने अमेरिका के खिलाफ़ इसे इस्तेमाल किया और दूसरा पाकिस्तान जिसके बारे मे आप सब जानते ही है.... उत्तर कोरिया ने जो नकली dollar print किया वो इतना अच्छा था कि उसे Super Dollar कहा गया...
पाकिस्तानी quality इतनी अच्छी नही थी और सिर्फ 2014-15 में करीब 6 लाख़ नकली नोट भारतीय बैंको द्वारा जब्त किये गये। हालांकि अनुमान के मुताबिक करीब 1700 करोड़ मूल्य के नकली नोट चलन मे है जिनमे से अधिकतर कभी बैंक नही पहुँचते....
नकली करेंसी का एक सबसे बड़ा नुकसान जो शायद हम सबने महसूस किया है वो है.. बैंक द्वारा नकली करेंसी जब्त कर लेना, बदले में हमे कुछ नही मिलता।
जो नुकसान हम लोग सीधे और पर महसूस नही कर पाते है वो है महंगाई.. जी हाँ नकली करेंसी नकली तौर से मंहगाई को बढाती है....पर कैसे?...
शेख शहजाद और शेख फजुल्लाह दोनो मोतिहारी के एक छोटे कस्बे से निकल कर मेरठ मे काम की तलाश मे आये.. जल्दी से ज्यादा पैसा कमाने के लिये दोनो ने 1-1 लाख के नकली नोट 60-60 हजार में खरीदे। 1 महीने मे नकली नोट बाजार मे जाकर धीरे धीरे बदल लिये..अब इस अचानक आये हुये पैसे से मोतिहारी जाकर जमीन खरीदी..
अचानक जिस जमीन का एक खरीददार था, अब तीन खरीददार हो गये... जमीन के रेट बढ़ गये.....वो बात और है कि दोनो ही 25 जून 2016 को NIA द्वारा धर लिये गये..😀। आपको अंदाजा भी नही होगा कि पाकिस्तान इस गोरखधंधे से कितना कमाता होगा... अनुमान के मुताबिक पाकिस्तानी फौज सालाना 500 करोड़ रूपये (source : The Diplomat 14th nov 2016) नकली नोटो का कारोबार करके कमाती है, इसी पैसे से आतंकवादियो और पत्थरबाजो को पैसे दिये जाते है...मतलब बिना अपना पैसा खर्च किये नापाक ने हमे नुकसान पहुँचा दिया....
तीसरा सबसे बड़ा नुकसान .... समाज मे अविश्वास का माहौल पैदा होता है... जरा सोचिये जिस दुकानदार ने आपको नकली नोट दे दिया उसे आप किस नजर से देखेंगे...
इकबाल काना शामली (मुजफ्फ़रनगर) का छोटा सा बदमाश था जो रंगदारी और हथियारो की smuggling में लिप्त था। चूंकि शराब हराम थी तो उसने ड्रग्स के बिजनेस में हाथ आजमाये... पुलिस का प्रेशर बढ़ा तो वो underground हो गया मने भाग गया..... कुछ समय के बाद इकबाल काना लाहौर में एक garment trader के रूप में सामने आया..... ISI के ब्रिगेडियर लाला के साथ मिलकर उसने भारत में नकली करेंसी चलाने का धंधा शुरू किया.... इस काम में उसने अपने पुराने network का इस्तेमाल किया...।
नशे के कारोबार का relevant work experience उसके काम आया और वो भारत में नेपाल के रास्ते बिहार और उत्तर प्रदेश, अटारी border के रास्ते पंजाब में नकली नोटो का सबसे बड़ा supplier बन गया। इकबाल काना सिर्फ एक supplier है...... ISI के ब्रिगेडियर लाला ने बांग्लादेश,श्रीलंका,थाईलैण्ड,UAE और मलेशिया के रास्ते similar networks तैयार किये..... 2012 मे इनके China route का पता चला..... China से आयातित स्कूल बैग्स मे 27 लाख के नकली नोट पकड़े गये (source: The Diplomat 20 जून 2012).....
2013 के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियो ने नकली नोटो के कारोबारियोे खिलाफ जंग को तेज किया....मोदी की सफल विदेश नीति का एक परिणाम ये भी था कि पहली बार विदेशो में भी नकली नोटो के आतंकवादियो को दबोचा गया.... असलम शेरा की श्रीलंका, अमानुल्लाह पराचा की बांग्लादेश और UAE से रेहान अली की गिरफ्तारी RAW के input के बाद संभव हो सकी।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियो की बढ़ी हुई सख्ती की वजह से 2016 तक नकली नोटो की भारी inventory पाकिस्तान और भारत में जमा हो गयी थी......
नकली नोटो का ये कारोबार क्यूँ इतना बढ़ा???? शायद इस धंधे को करने मे जोखिम के अनुपात मे मुनाफा ज्यादा था.... माना पाकिस्तान को सुधारने मे वक्त लगेगा पर बिचौलियो को हम जरूर सुधार सकते है.... उन्हे भारत के खिलाफ़ कुछ करने की सोचने में भी ड़र लगना चाहिये....अन्दर से दहशत की झुरझुरी उनके शरीर मे दौड़ जानी चाहिये।
मोदी जी के एक फैसले से अचानक इस धंधे का जोखिम कई गुना बढ़ गया है... दहशत की झुरझुरी दौडने लगी है..
First Post की एक खबर के अनुसार ISI के एक पूरे department मे मातम छाया है.......ISI का ब्रिगेडियर लाला बेरोजगार हो गया है
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