Friday 4 November 2016

एक प्यारी कहानी
(यह घटना स्वामी विवेकानंद जी के साथ हुई थी)

काफी समय पहले की बात है ।उस समय जापान विकसित देशो में शामिल नही था ।उस समय जापान मे ट्रेनो की हालात भी काफी खराब थी ।एक भारतीय भी उस ट्रेन में सफर कर रहा था ।ट्रेन की सीट टूटी हुई थी ।एक जापानी नागरिक भी उस ट्रेन में सफर कर रहा था । जापानी नागरिक ने अपनी बैग में से सूई धागा निकाला और सीट की सिलाई करने लगा । भारतीय नागरिक ने पूछा क्या आप रेल्वे के कर्मचारी है ।उसने कहा नहीं मैं एक शिक्षक हूं ।मैं इस ट्रेन से हर रोज अप डाउन करता हूं । इस सीट की खस्ता हालत देख बाजार से सुई धागा खरीद लाया हूँ। सोचा हररोज इस सीट को देखकर मुझे महसूस होता था कि अगर कोई विदेशी नागरिक इसे देखेगा तो मेरे देश कितनी बेईज्जती होगी ऐसा सोच के सीट रिपेयर (सिलाई)कर रहा हूं । सलाम उस देश के शिक्षक को जो देश की इज्जत अपनी इज्जत समझता हो । और वही जापान आज इतना विकसित हो गया है की हम उससे बुलेट ट्रेन खरीद रहे है । बाकी ट्रक के पीछे "मेरा भारत महान" लिख देने से कोई देश महान नही बन जाता । उस देश के नागरिकों की सोच महान होनी चाहिए । नागरिकों की उच्चस्तरीय सोच ही देश को महान बनाती है।

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