Friday, 8 January 2016


 
पुणे. सोशल वर्कर अन्ना हजारे को उनके ही एनजीओ 'भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन' से पुणे के ज्वाइंट चैरिटी कमिश्नर ने सस्पेंड कर दिया है। अन्ना के साथ उनके एनजीओ से जुड़े सभी ट्रस्टी सदस्यों को भी हटाया गया है। यह कार्रवाई अपने एनजीओ के नाम से 'भ्रष्टाचार विरोधी' शब्द न हटाए जाने पर हुई है।
क्या था पूरा विवाद?
- पुणे के ज्वाइंट चैरिटी कमिश्नर ने अन्ना की एनजीओ को नोटिस जारी कर 'भ्रष्टाचार' शब्द हटाने के लिए कहा था।
- अन्ना हजारे ने ऐसे किसी आदेश को मानने से इन्कार कर दिया है जिसमें 
उन्हें अपने संगठन का नाम बदलना पड़े।
- अन्ना के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने के लिए यह कदम उठाया है।
- अन्ना की एनजीओ के अलावा 20 अन्य संगठनों को भी इस बाबत नोटिस जारी किया गया था।
- उन एनजीओ को अपने नाम से भ्रष्टाचार विरोधी, भ्रष्टाचार निर्मूलन, एंटी करप्शन..जैसे शब्द हटाने थे।
- इन एनजीओ पर आरोप थे कि, ऐसे शब्दों वाले संगठन सरकारी अधिकारियों और अन्य संस्थाओं को भ्रष्टाचार का खुलासा करने के नाम पर धमकाते हैं।
- कई बार इन पर अवैध वसूली के भी आरोप लगे।
क्या कहना है सरकार का ?
ज्वाइंट चैरिटी कमिश्नर शिवकुमार दिघे के अनुसार नाम न बदलने वाले सभी संगठनों के सदस्यों के निलंबन की कार्रवाई की जाएगी और उनके संचालन के लिए प्रशासक की नियुक्ति की जाएगी।

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