बेटी की किताब में झूठ देख नाराज़ हुईं रवीना टंडन, मुगलो को महान बताने पर इतिहासकारो को कहा..
भारत में हिन्दू बहुसंख्यक है लेकिन हर कोई सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए हिन्दुओं को निशाना बनता है और बोलने की आज़ादी के नाम पर कुछ भी कह के निकल लेता है, ऐसा इसलिए भी होता है क्युकी हिन्दू सहिष्णु होते है! जहा बॉलीवुड में एक तरफ रवीना टंडन जैसे लोग है जो अपने इतिहास को बचाने में लगे है तो दूसरी ओर शुशांत सिंह राजपूत जैसे कलाकार भी है जो अपना सर नेम तक बदल डालते है! इनसबो के अलावे बहुत से ऐसे लोग भी है जो हिन्दू देवी-देवताओ को बदनाम करके पैसे कमाने की अपनी भूख को मिटाते है! लेकिन रवीना टंडन जी का जबाब कबीले तारीफ है!
फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन ने विद्यालीन के इतिहास के पुस्तक में पढाए जारहे गलत तथ्यों को लेकर आप्पति जताई है और इसके विरुद्ध सोशल मीडिया पर भी आवाज उठाई है. दरअसल बच्चों को पढ़ाई जाने वाली इतिहास की किताबों में वामपंथी और कांग्रेसी इतिहासकारों के झूठ की चर्चा तो अक्सर होती रहती है, लेकिन अक्सर इनमें से कुछ बातें चर्चा का विषय बन जाती हैं!अभिनेत्री रवीना टंडन ने अपनी बेटी को पढ़ाते वक्त उसकी इतिहास की किताब में एक ऐसी बात गौर की, जिसे उन्होंने ट्विटर पर शेयर कर दिया! एनसीईआरटी की किताब में ये चैप्टर कुतुबुद्दीन ऐबक के बारे में है! रवीना ने इस मुद्दे को लेकर बहुत ट्वीट किये हैं. रवीना टंडन ने इसकी तस्वीर ट्विटर पर शेयर की!
इस बात की शिकायत की कि लाखों हिंदुओं के इस हत्यारे के बारे में लिखा गया, “हिंदुओं के साथ अच्छा सलूक किया”, जबकि सच्चाई कुछ और ही है! एनसीईआरटी की ये और ऐसी तमाम किताबें लिखने वाले वामपंथी इतिहासकारों की करतूतों का ये एक बड़ा नमूना है! पुस्तक में कुतुबुद्दीन ऐबक बहुत दानशूर था, उसने हिन्दुओं के साथ अच्छा व्यवहार किया!
उसने हिन्दुओं के मंदिर तोड़े, उस जगह का उपयोग दरगाह और मस्जिद बनाने के लिए किया.इस पर रवीना ने लिखा, “कुतुबुद्दीन ऐबक का हमे आभार व्यक्त करना चाहिए कि उसने हिन्दुओं को न मारते हुए केवल उनके मन्दिर लुटे और हिन्दू संस्कृति पर प्रहार किया यानी मानो मस्जिद बनाने के लिए पुराने मंदिरों को तुड़वाना उसकी मजबूरी थी! वामपंथी इतिहासकारों की ऐसी धूर्तता कई जगहों पर देखने को मिलती है! बच्चों की इतिहास की किताबों में पढ़ाई जा रही बातों के उलट कुतुबुद्दीन ऐबक की सच्चाई पहले से सबके सामने है! दिल्ली का कुतुबमीनार उसकी बर्बरता की गवाही दे रहा है! 1194 में उसने यहां पर 27 प्राचीन हिंदू मंदिरों और वेधशालाओं को तुड़वाकर उनकी जगह पर कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनवाई थी! मस्जिद के आसपास के इलाकों में उन मंदिरों के टुकड़े आज भी देखे जा सकते हैं! हैरानी की बात है कि ऐसी तमाम बातों का जिक्र तक इतिहास की किताबों से गायब कर दिया गया है!
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