कांग्रेस पार्टी के एक नेता हुआ करते थे नाम था महेंद्र कर्मा उन्होंने अपना राजनीतिक सफर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के साथ शुरू किया था,वो इन कम्युनिस्टों नक्सलियों माओवादियों को भली प्रकार जानते-समझते थे कुछ विषयों पर वह कम्युनिस्टों से सहमत नहीं थे, अतः उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ले ली
जब बस्तर में इन नक्सलवादी वामपंथी आतंकियों का उत्पात और मारकाट बढ़ने लगी तो उन्होंने उन्होंने इन बामपंथी नक्सलियों से लड़ने के लिए सलवा जुडूम नामक ऑर्गेनाइजेशन बनाई थी जो कि इन नक्सल वामपंथी आतंकियों को इन्हीं की भाषा में जवाब देते थे,
2013 में वामपंथी नक्सली आतंकवादियों ने महेंद्र कर्मा की बहुत ही विभत्स हत्या की थी, उन्हें 50 से अधिक गोलियां मारी थी और उनके शरीर पर 78 से अधिक चाकू से गोदने के गहरे घाव थे, इस पूरी घटना में कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ला, नंद कुमार पटेल समेत 25 महत्वपूर्ण नेता मारे गए थे, इस पूरी घटना के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रमुख सभी नेता समाप्त हो गए और इस घटना में कांग्रेस के ही नेता अजीत जोगी की भूमिका भी बढ़ी संदिग्ध थी,
आज मैं आपको यह सब इसलिए बता रहा हूं क्योंकि जब से देशभर में नरेंद्र मोदी की हत्या का षड्यंत्र रचने वाले शहरी नक्सली वामपंथी आतंकी गिरफ्तार हुए हैं तभी से कांग्रेस उसके सहयोगी दल हत्थे से उखड़ गए हैं और खुलकर इन आतंकवादी वामपंथी शहरी नक्सलियों के समर्थन में उतर आए हैं, विडंबना देखिए कि कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी अपने ही पार्टी के छत्तीसगढ़ यूनिट के सभी प्रमुख नेताओं की हत्या करने वालों के पक्ष में खड़े हुए हैं, यह सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए एक सबक है कि यदि कांग्रेस पार्टी का काम करते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कुछ हो गया तो कल को कांग्रेस पार्टी अपने ही कार्यकर्ताओं की हत्या को भुलाकर उन्हीं के हत्यारों के साथ उनके सुर में सुर मिला कर गलबहियां करते हुए उनके पक्ष में खड़ी हो जाएगी,
यह विचार करने योग्य है कि जो राहुल गांधी आज अपने पार्टी के इतने बड़े बड़े नेताओं के हत्यारों के साथ में खड़े हो गये हैं वो भला कल कांग्रेस के जमीनी स्तर के छोटे कार्यकर्ता का कितना साथ देंगे ?
:🇮🇳Rohan Sharma🇮🇳
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