फोर्ड फाउंडेशन, ISI और भारतीय जज – बेहद गंभीर खुलासे
तीस्ता बैठती थी सुप्रीम कोर्ट के जज के साथ
सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था की भारत से जब अंग्रेजो को भगा दिया जायेगा तब भी 20 साल तक भारत फौजी शासन में रहना चाहिए, ताकि सिस्टम को ठीक किया जा सके और उसके बाद ही लोकतंत्र लागू किया जाना चाहिए
नेताजी ने ठीक ही कहा था, आज जो सिस्टम है वो ऊपर से नीचे तक करप्ट है, और सबसे करप्ट भारत में अदालतें है, पिछले दिनों 5 खूंखार नक्सलियों जी अर्जी सीधे सुप्रीम कोर्ट में दी गयी, सारे काम छोड़कर सुप्रीम कोर्ट ने फटाफट अर्जी सुनी, सुनवाई भी पूरी करके अर्बन नक्सलियों की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी, और नजरबन्द दे दिया
भारत की सुप्रीम कोर्ट में जज कैसे चुने जाते है, ये भी एक गंभीर मामला है अधिकतर जज वामपंथी है, और कांग्रेस के ज़माने में सुप्रीम कोर्ट में जज बने है, कोलोजियम सिस्टम लागू है तो एक वामपंथी जज दुसरे वामपंथी जज को ही आगे बढाता रहता है, ऐसा ही सिस्टम बनाया हुआ हैऔर कभी कोई जज अच्छा आ जाये तो बाकि वामपंथी जज उसके खिलाफ अब प्रेस कांफ्रेंस भी करने लग गए है, ऐसा ही गज़ब का सिस्टम इन लोगों ने बना लिया है जो इनके ही शिकंजे में रहे, जजों को लेकर मधु पूर्णिमा के 2 त्वीट काफी गंभीर है मधु पूर्णिमा किश्वर कहती है की – फोर्ड फाउंडेशन, ISI की पहुँच सुप्रीम कोर्ट के जजों तक है, सुप्रीम कोर्ट के जजों से नक्सलियों के फेवर में फैसले ले लेना कोई बड़ी चीज नहीं है
मधु पूर्णिमा ये भी बता रही है की तीस्ता सीतलवाद का एक राईट हैण्ड आदमी था जिसका नाम था राईस खान, उसने ही एक टेप में बताया की कैसे तीस्ता सीतलवाद सुप्रीम कोर्ट के जज आफताब आलम के साथ बैठकर नरेंद्र मोदी के खिलाफ काम करवाती थी, नरेंद्र मोदी को 2002 में कैसे भी फंसाने की कई साजिशें की गयी थीमधु पूर्णिमा की बातों से साफ़ होता है की भारत के सुप्रीम कोर्ट में किस तरह के लोग बैठे हुए है, और सिस्टम एकदम करप्ट है, और इसे बदलने के लिए कदाचित एक बड़ी क्रांति और सरकार की इक्षाशक्ति की जरुरत है !
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