मुगलसराय का नाम बदल जाने की पीड़ा ?
विरासत कैसी है, गौर फरमाएं...
शेरशाह ने सिंध को बंगाल से जोड़नेवाली सड़क की साफ सफाई और मरम्मत कराई तो व्यापार की रफ्तार बढ़ गई!
गंगा को पार करने के लिए व्यापारियों और विशिष्टजनों को यहां ठहरना पड़ता था। जिससे इस जगह की रौनक बढ़ने लगी।
हालांकि यही सड़क हुमायूं के लिए चुनार किला जीतने में सहायक भी बनी!
गंगा को पार करने के लिए व्यापारियों और विशिष्टजनों को यहां ठहरना पड़ता था। जिससे इस जगह की रौनक बढ़ने लगी।
हालांकि यही सड़क हुमायूं के लिए चुनार किला जीतने में सहायक भी बनी!
मुगल सल्तनत में दिल्ली से बंगाल जाने के क्रम में बनारस से चार कोस की दूरी वाले गंगा किनारे का एक रमणीक गांव महत्वपूर्ण हो गया! व्यापारियों और विशिष्टजनों के ठहराव के कारण मुगल सल्तनत ने यहां दो सराय बनवाई!
उस जमाने में सराएं व्यापार का केंद्र होती थी, और वहां की शोभा वेश्याएं और हिजड़े होते थे, जो राहगीर की थकान मिटाने में सहायता करते थे। चार सौ साल पहले न कंडोम की व्यवस्था थी न कांट्रासेप्टिव पिल्स की! हिजड़ों से अधिक अंतर नहीं पड़ा लेकिन वेश्याएं तो गर्भवती हो जाती थी! वेश्या पुत्र और पुत्रियो की बढ़ती आबादी ने गांव को नगर बना दिया!
इस्लाम राजकीय धर्म था और सबको समाहित कर लेता था, वेश्यापुत्र/पुत्रियां भी इस्लाम के इमान में थीं! इरफान हबीब का बचपन का संबंध भी मुगलसराय से है, इसलिए उन्हें अपने शानदार विरासत के मिटने का सर्वाधिक दुख है!
मुगलकालीन वेश्यालय और कांग्रेस के रिश्ते का जुड़ाव इलाहाबाद से है, कहा जाता है, एक नामचीन दीवान वहां की प्रमुख वेश्या के कद्रदान हुआ करते थे, जिनसे पैदा चश्मो-चराग ने आजाद भारत और कांग्रेस का नेतृत्व किया!
त्रिवेणी संगम भी व्यापार का मुख्य स्थान था, और मुगलकाल में यहां भी बड़े बड़े सराय बनाए गए, सराय के कारण वेश्याओं की तादाद भी बढ़ी और जहां वेश्या बसे वह अल्लाह का घर माना जाता है इस्लाम में! तो प्रयागराज हो गया वेश्याओं से आबाद अल्लाहाबाद!
अंग्रेज हमारी कमजोरियों के बड़े मजे लेते थे, उन्हें हमारे इतिहास के साथ खेलने में बड़ा आनंद आता था।
जब उन्होंने रेललाईनें बिछाईं तो मुगलों के सराय के नाम पर ही सबसे बड़े जंक्शन का नाम रख दिया, ताकि उस कुख्यात नगर का दाग हमारे माथे से चिपका रहे!
जब उन्होंने रेललाईनें बिछाईं तो मुगलों के सराय के नाम पर ही सबसे बड़े जंक्शन का नाम रख दिया, ताकि उस कुख्यात नगर का दाग हमारे माथे से चिपका रहे!
अब मुगलसराय के जन्मे मुसलमान विरोध करें तो समझ आता है, बाकी मुसलमान जो मुगलों के नाजायज थे लेकिन अंग्रेजों ने सर्वे करके उन्हे रैयत बना दिया वे भी नाम बदलने का विरोध करें तो समझ आता है, लेकिन हिंदू नामवाले किसलिए विरोध कर रहे हैं ? कांग्रेस ने देश के सभी कुओं में भांग मिला दिया था!
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