Sunday 19 August 2018

बांग्लादेश की सरकार ने शरणार्थी रोहींग्याओं की सफल नसबंदी के बाद अब उनके कैंप मे सक्रिय 41 NGO पर रोक लगा दी है !
स्पस्टीकरण के रूप में बांग्लादेश सरकार ने सिर्फ इतना बयान जारी किया है की intelligence की रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु यह क़दम उठाए गए हैं !
इन कठोर कदमों के उठाने के बाद भी वहां कोई एक राजनैतिक दल या कोई महाविद्यालयों के छात्रों का समुह सामने नहीं आया जिसने बंग्लादेश की सरकार के इन कदमों का गैर इस्लामिक या मानवाधिकारों की दुहाई दे कर विरोध किया हो ! सच कहूं तो NCR बहुत दुर की कौड़ी है हाल फिलहाल में हिन्दुस्तानी सरकार को भी हमारे देश के बंग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की बढ़ती जनसंख्या से निपटने के लिए उन पर संतानोत्पत्ति की रोक , देशविरोधी NGO का प्रत्यक्ष रूप से कैंपों में धुसपैठ कर उन्हें आर्थिक सहयोग देने , पर कठोरता से रोक लगा देनी चाहिए ! ज्ञात रहे बिहार के बौद्धगया में बम धमाके , पश्चिम बंगाल के बर्दमान में बम धमाके , और मालदा के दंगों में बंगलादेशी घुसपैठियों का प्रत्यक्ष हाथ होने के प्रमाण सामने आ चुके हैं , और तो और बौद्धगया , बर्दमान के बम धमाकों के आरोपी बंग्लादेशीयों को कोर्ट मुजरीम मान सजा भी सुना चुका है !
कोई भी आतंकवादी धटनाओं को बिना आंतरिक समर्थन और समर्थकों के अंजाम तक पहुंचाना असंभव है ! देश - विदेश से भारत विरोधी ताकतें इन लोकल NGO को फंड करती हैं और यह पैसों का , भारतीय नागरिकता का लालच देकर उनसे देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम तक पहुंचाते हैं !
एक बेहतर शासक को उस चिकित्सक के समान होना चाहिए जो बिमारी की रोगधाम करने के साथ-साथ उसके बढ़ने को भी रोके ! ढाई करोड़ घुसपैठिये हमारे वतन पर चिपके वह परभक्शी किड़ों समान हैं जो हमारा ही खुन चुसकर जिंदा है और फल-फुल रहें हैं ! अगर न्यायपालिका या अन्य कानूनों के कारण हम इनसे छुटकारा नहीं पा सकते तो बंगलादेशी सरकार का अनुकरण कर हम इन्हें और फ़ैलने से तो रोक ही सकते हैं !

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