Friday, 17 August 2018

अटल जी का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यही था कि उनके शासनकाल के दौरान सोशल मीडिया सरीखा जन ब्रह्मास्त्र नहीं था। अब बात मुद्दे की।
कल से टीवी पर देख रहा हूं कि झड़ी लगी हुई है ऐसी टिप्पणियों प्रतिक्रियाओं की जो यह सिद्ध करने में जुटी हुई हैं कि अटल जी अपने राजनीतिक वैचारिक विरोधियों खासकर पत्रकारों को भी बहुत सम्मान देते थे। इसीलिए वह सब लोग अटल जी को भी बहुत सम्मान देते थे।
ऐसी टिप्पणियों में जो कहा जा रहा है वह शत प्रतिशत असत्य झूठ और सरासर पाखण्ड है।
अटल जी के शासनकाल में दिल्ली की कुख्यात दलाल लुटियंस मीडिया ने ताबूत काण्ड इस तरह उछाला था कि पूरे देश में यह धारणा बन गयी थी कि जॉर्ज फर्नांडिस और अटल जी ने शहीदों के कफ़न खरीदने में घोटाला किया है। मोटी रकम खायी है।राजनीतिक घटनाक्रमों पर पैनी निगाह रखने वाला मेरे जैसा व्यक्ति भी उन आरोपों के भ्रमजाल में उलझ गया था। जरा सोचिये कि आम नागरिकों पर क्या प्रभाव हुआ होगा? जबकि निचली स्तर की जांचों से लेकर उच्च स्तरीय संसदीय जांच एवं सर्वोच्च न्यायालय तक में यह आरोप शत प्रतिशत निराधार निर्मूल और असत्य सिद्ध हुए। लेकिन जबतक ये फैसले आये तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अटल जी इसकी भारी कीमत चुका चुके थे। यह एक उदाहरण मात्र है। उस दौरान अटल जी की सरकार के खिलाफ दिल्ली के लुटियंस गैंग द्वारा संचालित संरक्षित किये गए ऐसे अनर्गल असत्य घृणित मीडियाई अभियानों की लम्बी श्रृंखला है। जिसमें अटल जी के निजी जीवन तथा उनकी दत्तक पुत्री एवं दामाद तक को नहीं बख्शा गया था। यह अटल जी का दुर्भाग्य था कि उस दौरान सोशलमीडिया का जन ब्रह्मास्त्र उनको उपलब्ध नहीं था।
मैंने अटल जी के शासनकाल और लखनऊ से लड़े गए उनके 6 में से 5 चुनावों को बहुत निकट से, बहुत गम्भीरता से देखा और समझा है। उन 5 चुनावों में से मुझे एक भी ऐसा चुनाव याद नहीं आ रहा जिसमें अटल जी के खिलाफ अत्यन्त भद्दे अश्लील अनर्गल असत्य आरोपों की मूसलाधार बरसात नहीं की गयी हो। उनके निजी नितान्त व्यक्तिगत जीवन को लक्ष्य करके अत्यन्त अश्लील आरोपों/अफवाहों का बाजार जमकर गर्म नहीं किया गया हो।
लगभग हर चुनाव में दिल्ली से कपिल सिब्बल कैमरा प्रोजेक्टर स्क्रीन आदि वाला अपना टंडीला लेकर अपने साथ कभी नंदू कभी दुलारे कभी प्यारे नाम के किसी धूर्त को लेकर लखनऊ पहुंच जाता था और बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के उन धूर्तों का परिचय कभी अटल जी के चाचा का लड़का, कभी मामा का लड़का और कभी अटल जी के बचपन का दोस्त कहकर कराता था। उसके बाद वो धूर्त उनको रटाये गये बयान की उल्टी किसी टेप रिकॉर्डर की तरह करते हुए यह सिद्ध करने में जुट जाते थे कि आज़ादी की लड़ाई में अटल जी अंग्रेजों की मुखबिरी किया करते थे। अटल जी पर यह ज़हरीला प्रचार प्रहार कितना घातक हो गया था, उसने अटल जी को कितना आहत किया था यह इसी से समझा जा सकता है कि दैनिक जागरण के संपादकीय पृष्ठ पर एक लम्बा लेख स्वयं लिखकर अटल जी को सफाई देनी पड़ी थी। उस लेख में अटल जी की पीड़ा बहुत बुरी तरह छलकी थी। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेसी फौज बाज नहीं आयी थी। कपिल सिब्बल उसके बाद भी उसी तरह अपना पूरा टंडीला लेकर उन्हीं नंदू दुलारे प्यारे आदि के साथ हर चुनाव में लखनऊ पहुंच कर इसी तरह कीचड़ उछाला करता था। एक बार कागज़ पत्तर और एक फ्लैट की फोटो लेकर पहुंचे कपिल सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अटल जी को भ्रष्टाचारी, जालसाज घोषित करते हुए उन कागजों फोटुओं के सहारे यह सिद्ध करने की कोशिश की थी कि अटल जी ने DDA का यह फ्लैट जालसाज़ी करके एलॉट कराने का भ्रष्टाचार किया है। सिब्बल की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक 4 घण्टे बाद सम्भवतः नरेन्द्र मोदी या गोविंदाचार्य ने (उस दौरान यह दोनों ही अटल जी के चुनावों में लखनऊ रहकर चुनाव प्रबंधन की कमान संभालते थे) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के तथ्यों के साथ सिब्बल के आरोपों की धज्जियां उड़ा दी थीं कि अटल जी को यह फ्लैट सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान मिलने के कारण नियमानुसार एलॉट किया गया है। उन्हें यह सम्मान और यह फ्लैट स्वयं नरसिम्हा राव सरकार ने ही आबंटित किया है। इसी के साथ उन्होंने दस्तावेजों को प्रस्तुत करके यह उजागर किया था कि स्वयं कपिल सिब्बल और उसके परिवार के 4 अन्य सदस्यों ने कानून को धता बताकर अवैध तरीके से 5 सरकारी फ्लैट लिए हैं। स्पष्ट कर दूं कि उस दौर की इन सभी प्रेस कॉंफ्रेंसों में मैं स्वयं उपस्थित रहा हूं।
यह कुछ उदाहरण है जो बताते हैं कि आज अटल जी की मृत्यु पर भी यह लुटियनिया दलाल अपनी प्रतिक्रियाओं और टिप्पणियों से अपना उल्लू सीधा करने की जुगाड़ में जुटे रहे ताकि इनको बिल्कुल घास नहीं डालने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अटल जी का उदाहरण देकर अपने लिए कुछ हरी घास/नर्म चारे का प्रबंध किया जाए।
लेकिन यह दलाल भूल गए हैं कि अटल जी को जिस सोशल मीडिया नाम के जन ब्रह्मास्त्र की सुविधा उपलब्ध नहीं थी आज वह सुविधा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास परमाणु बम की तरह शक्तिशाली रूप में उपलब्ध है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन लुटियनिया गधों को ना हरी ना सूखी, कोई घास नहीं डालने वाले।
Sanjeev Tripathi

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