Monday, 6 August 2018

बारसूर का युगल शिवालय - बत्तीसा मंदिर.....!
बस्तर के सभी शिवालयो मे बारसूर का युगल शिवालय वाला बत्तीसा मन्दिर मेरा सबसे प्रिय आराधना स्थल है। सिंहासन बत्तीसी में जहाँ बत्तीस पुतलिया जडी हुई थी वही इस मंदिर का मंडप बत्तीस स्तम्भो पर आधारित है जिसके कारण यह मंदिर बत्तीसा मन्दिर के नाम से ही जाना जाता है।
मंडप मे रखे हुए नन्दी पर शिल्पकार ने गजब की बारीक नक्काशी की। सुन्दर लड़वाली जंजीर पर लटकती घंटिया एकदम नयी सी लगती है। नन्दी महाराज के खुरो को इतने अच्छे तरीके से बनाया है जैसे बाहर की तरफ़ पैर मोड़ कर बैठा हुआ बछडा हो।
मन्दिर दो गर्भगृह युक्त है दोनो गर्भगृह में त्रिरथ शैली में निर्मित शिवलिंग स्थापित है। आकार प्रकार में बेहद आकर्षक एवं सुगठित है। इनकी एक अन्य विशेषता इन्हे सभी प्रस्तर शिवलिंग से अलग करती है। वह विशेषता है दोनों शिवलिंग का घुमना।ये ऐसे मात्र शिवलिंग है जिन्हे चारो ओर घुमाया जा सकता है. 800 सौ साल से ये शिवलिंग घुमाये जा रहे हैं।
ये दोनो शिवालय सोमेश्वर महादेव और गंगाधरेश्वर महादेव के नाम से शिलालेख में दर्ज है। सन 1208 में नाग शासन काल में राजमहिषी गंगमहादेवी ने यह मंदिर बनवाया था। एक शिवालय अपने नाम पर एवं दुसरा शिवालय अपने पति महाराज सोमेश्वर देव के नाम पर नामकरण किया।
मन्दिर के खर्च एवं रखरखाव के लिये केरुमर्क गाँव दान दिया था। तो फिर आईये कभी बारसूर....दंतेवाड़ा से कुल 30 किलोमीटर और गीदम से 20 किलोमीटर इंद्रावती के तट पर बारसूर बसा है.....ओम!

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