खुश और प्रसन्न रहने का रास्ता हमेशा पेट से होकर जाता है और भारत जैसे देश मे इस रास्ते पर जाने के लिए असंख्य साधन मौजूद है .जितनी तरह की भाषा बोली उतने ही तरह का रहन सहन और उतने ही तरह का खाना.
यू तो आजकल भारत मे सभी तरह का खानपान सभी दूर मिलने लगा है लेकिन किसी किसी जगह की खासियत कुछ ऐसी है कि वो चीज तो कही भी मिल जाती है लेकिन उसका वो स्वाद हर जगह नही मिलता.
इसलिए इस पोस्ट के माध्यम से कुछ वेज और नानवेज दोनों ही तरह के कुछ खाद्य पदार्थ है जिनका शुद्ध और असली जायका उन जगहों पर ही मिलेगा. अब जैसे कभी वाराणसी जाना हो तो वहां की "टमाटर चाट"और ठंड के दिनों में मिलने वाली "मलायो"इन दोनों के जायके का कोई मुकाबला ही नही है और बरेली की "खीर गुलाब जामुन" का दिव्य स्वाद में आप खाते खाते ही खो जाओगे और उरई के नर्म, मुलायम और चाशनी से सरोबार "गुलाब जामुन" तो बस खाते ही रह जाओगे.
यू तो आजकल भारत मे सभी तरह का खानपान सभी दूर मिलने लगा है लेकिन किसी किसी जगह की खासियत कुछ ऐसी है कि वो चीज तो कही भी मिल जाती है लेकिन उसका वो स्वाद हर जगह नही मिलता.
इसलिए इस पोस्ट के माध्यम से कुछ वेज और नानवेज दोनों ही तरह के कुछ खाद्य पदार्थ है जिनका शुद्ध और असली जायका उन जगहों पर ही मिलेगा. अब जैसे कभी वाराणसी जाना हो तो वहां की "टमाटर चाट"और ठंड के दिनों में मिलने वाली "मलायो"इन दोनों के जायके का कोई मुकाबला ही नही है और बरेली की "खीर गुलाब जामुन" का दिव्य स्वाद में आप खाते खाते ही खो जाओगे और उरई के नर्म, मुलायम और चाशनी से सरोबार "गुलाब जामुन" तो बस खाते ही रह जाओगे.
कानपुर के ठग्गू के "लड्डू" वाह क्या बात है एक दो खाकर तो इच्छा पूर्ण ही नही होगी बहुत ही स्वादिष्ट.अब नावाबो के शहर लखनऊ जितनी नफासत इस शहर में उतनी ही नफासत यहां के खान पान में भी है लखनऊ के किसी भी कोने में खड़े रहकर आप ऑटो या टैक्सी वाले को बोलेंगे की "टुंडे के कवाब"खाना है तो वो बराबर आपको छोड़कर आएगा ये गलौटी कवाब इतने शानदार है कि मुह में रखते ही घुल जाएंगे ये एक नानवेज डिश है और इसमें करीब 60-70तरह के मसाले डलते है जो इन्हें बहुत ही लजीज बनाते है ये 100 साल से भी ज्यादा पुरानी दुकान है.और दूध की मलाई से बनने वाली "गिलोरी"मिठाई एकदम अमृत है.
यूपी से निकलकर पंजाब चले अमृतसर इसे यदि देश की खाद्य राजधानी कहे तो अतिशयोक्ति नही होगी अमृतसर में यू तो खाने की हर चीज मौजूद है पर वहां के "भरवा कुलचे" और "छोले" और मलाईदार पेड़े वाली "लस्सी" का लाजवाब स्वाद मुह से जाता ही नही.
बिहार का "लिट्टी चोखा" असली खांटी भारतीय खाद्य है और इसके स्वाद का भी कोई जवाब नही.दूर सुदूर पूर्वी भारत के असम में तो एकदम हटकर एक नानवेज डिश मिलती है रहता तो चिकन है लेकिन उसे खोखले बांस में पकाया जाता है उस चिकन में मसालों के साथ बांस का स्वाद एक अलग ही जायका देता है.
और असम के एकदम उलट कश्मीर जैसी जगह वैसी ही वहां की डिश "गुश्ताबा" ये एक नानवेज डिश है पर जैसी दिखने में शानदार है उतना ही इसका स्वाद भी एकदम लजीज है.
बिहार का "लिट्टी चोखा" असली खांटी भारतीय खाद्य है और इसके स्वाद का भी कोई जवाब नही.दूर सुदूर पूर्वी भारत के असम में तो एकदम हटकर एक नानवेज डिश मिलती है रहता तो चिकन है लेकिन उसे खोखले बांस में पकाया जाता है उस चिकन में मसालों के साथ बांस का स्वाद एक अलग ही जायका देता है.
और असम के एकदम उलट कश्मीर जैसी जगह वैसी ही वहां की डिश "गुश्ताबा" ये एक नानवेज डिश है पर जैसी दिखने में शानदार है उतना ही इसका स्वाद भी एकदम लजीज है.
और आखिर मीठा याने हमारे उज्जैन के 90 वर्ष पुरानी दुकान भोलागुरु एंड सन्स का "मक्खन बड़ा"ऐसा जादुई स्वाद जिसका मुकाबला नही हो सकता.
गोआ की पॉम्फ्रेट मछली जितनी सुंदर होती है उतनी शानदार ढंग से उसे बनाया भी जाता है एक बिल्कुल अलग स्वाद.इसी कड़ी में दिल्ली की "आलू चाट,महाराष्ट्र का "वड़ा पाव"गुजरात का "उनदियु" और राजस्थान की "घेवर रबड़ी" व "मालपुए रबड़ी" तो बंगाल का "संदेश" और हैदराबाद की "बिरियानी" का दिव्य स्वाद भी मन को अंदर तक भीगो जाता है.
गोआ की पॉम्फ्रेट मछली जितनी सुंदर होती है उतनी शानदार ढंग से उसे बनाया भी जाता है एक बिल्कुल अलग स्वाद.इसी कड़ी में दिल्ली की "आलू चाट,महाराष्ट्र का "वड़ा पाव"गुजरात का "उनदियु" और राजस्थान की "घेवर रबड़ी" व "मालपुए रबड़ी" तो बंगाल का "संदेश" और हैदराबाद की "बिरियानी" का दिव्य स्वाद भी मन को अंदर तक भीगो जाता है.
अरे कहां चले बेग भरने??भरिये भरिये भारत दर्शन के साथ ये भी जरूरी है.
"खुश हो जाइए क्योकि आप भारत मे है"
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