Thursday, 16 August 2018

mediya

मोदीजी के आते ही अटल जी सेक्युलर हो गए,
योगीजी को आने दो,
मोदीजी की आरती न उतारने लगो, तो कहना 
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“द वायर” के पत्रकार और अन्य वामपंथी  अटल जी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग जमकर कर रहे...
 यही लोग नफ़रत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का दम भरते हैं. साबित हो गया नफ़रत कहाँ भरी हुई है.,सोशल मीडिया पर वामपंथी, सेक्युलर और जिहादी तत्व जो की कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द वायर जैसे संस्थानों से जुड़े हुए है वो अटल जी के खिलाफ बड़ी अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे है

देश के वामपंथी और सेक्युलर तत्व वो लोग है जो हिन्दुओ पर इनटॉलेरेंस का आरोप लगाते है, दिन रात ये बताते है की हिन्दू नफरत फैला रहे है बड़े पैमाने पर अटल बिहारी वाजपेयी जी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे है, उन्हें गंदी गालियाँ दे रहे है, उनके निधन पर मजाक बना रहे है, उनपर ताना कस रहे है यहाँ तक की उन्हें आतंकी भी बता रहे है.....कविता कृष्णन ने मौकापरस्त, सांप्रदायिक, नफरत फैलाने वाला इन्सान बताया, आज उनके निधन पर कविता कृष्णन ने उनके खिलाफ नफरत की जैसे पूरी दूकान ही खोल दी और गंभीर आपत्तिजनक टिप्पणियां की

देश और हिन्दू विरोधी न्यूज़ पोर्टल “द वायर” की पत्रकार की हरकत इसने क्या त्वीट किये है, रोन भट्टाचार्य नाम का ये वामपंथी अटल जी को आतंकवादी बता रहा है, इसके अलावा भी गंभीर गालियाँ दे रहा है, ये दिल्ली में ही रहता है, और दिल्ली की एक कंपनी जिसका नाम है टुडे एडवरटाइजिंग उसमे काम करता है, ये कंपनी दिल्ली के चितरंजन पार्क में है जब इसके त्वीट का विरोध शुरू हुआ तो इसने अपना ट्विटर अकाउंट प्राइवेट कर लिया है
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ये एम्स का दृश्य है... आमतौर पर ऐसा दृश्य किसी अस्पताल में नही दिखता.. किन्तु अटल जी का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि एम्स मेडिकल स्टाफ के सदस्य भी अपनी भावनाओं पर काबू नही रख पाए...
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" हम चीन से हारे नहीं...बल्कि हमें नेहरु द्वारा हरवाया गया था ...
अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी CIA ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि...1962 में भारत की वायुसेना चीन से बेहतर थी, लेकिन नेहरु ने भारतीय वायुसेना को लडने नहीं दिया और भारत चीन के सामने हार गया...हार के बा्द ले.जनरल हेन्डरसन ब्रुक्स और भारतीय सेना अधिकारी भगत ने एक जांच दल बनाया .. जिसने अपनी रिपोर्ट में ...भारत की हार के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु को प्रमुख जिम्मेदार बताया! !!.. लेकिन ..भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को आज तक गुप्त रखा...!! यदि भारत की वायुसेना मोर्चा संभालती तो भारत जीत जाते.. भारत को हरवाया गया था !!.. सैनिको ने हाड कंपा देने वाली बर्फीली चोटियों पर बिना गर्म कपडो और जूतों के नंगे पैर ये युद्ध लडा ..और शहीद हुये...!! जबकि उनका सेना नायक बी.एम कौल दिल्ली में नेहरु के पास बैठा रहा..!!
अरून शुक्ला
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लाल कृष्ण आडवाणी जी अपने ब्लॉग में कह रहे हैं :"यदि मुझे ऐसे चार प्रमुख नाम गिनाने पड़ें ज़िनके जीवन को मॉडल के रुप में पूरी पार्टी को अपनाना चाहिए तो मैं दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी और कुशाभाऊ ठाकरे का नाम गिनाऊंगा।"

जितने लोग आज अटल जी के निधन पर दुःखी और उदास दिख रहे है, काश इन्ही लोगों ने अटल जी को बस एक और मौका दिया होता तो देश के हालात ही कुछ और होते लेकिन हम ना तो तब आलु, प्याज, पेट्रोल से ऊपर उठ पाए थे और न अब। हमने तो अटल जी जैसी प्रतिभा को बहुत पहले अपने ही हाथों खो दिया था। आज तो उन्होंने बस देह त्यागी है। लोग कहते हैं कि उनकी मृत्यु के साथ जीवन का सफर खत्म हुआ उनका, हम कहते हैं कि सफर अभी जारी है क्योंकि मंजिल अभी दूर हैं हमसे हाँ मंजिल को हासिल करने तक बहुत से चेहरे और नाम जरूर बदलेंगे माना की शख्सियत उन जैसी दूजी नहीं मिलेगी इस सफर में मगर उस " अटल " इरादे को हम " सफल " करके दिखाएँगें ये अटल वादा है हमारा -
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अटल जी एक युग पूरूष थे और एक युग का वर्णन शब्दो मे, वाक्यो में या पन्नो में नही किया जा सकता. वे एक क्रांतिकारी पुरुष थे और क्रांतिकारी देश के लिए आर्किटेक्ट जैसी दूरगामी क्रांतिकारी सोच रखता है तभी तो उन्होंने देश मे हाइवे एंव सड़को के निर्माण का जाल बिछाने, देश की सारी नदियों को एक दूसरे से जोड़ने तथा पोखरण 2 में 5 एटम बमो का विस्फोट करने जैसे उल्लेखनीय कार्य करने की ठानी. ये ऐसे क्रांतिकारी कार्य है जो कुछ वर्ष में नही बल्कि दशको में पूरा होंते रहेंगे और उनके नतीजे भी मिलते रहेंगे. हाइवे की एक मिसाल है. गोल्डन ट्राइएगुलर, नार्थ-साउथ कॉरिडोर, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर तथा देश के प्रत्येक गांव को सड़क से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री सड़क योजना.अटल जी ही थे जिन्होंने सबसे पहले #सर्व_शिक्षा_अभियान सुरु किया था जिसमे हर गाँव में स्कूल खोलने की मुहिम सुरु की थी जो बाद में 
#राइट_टू_एजुजेशन कानून बना यानी शिक्षा का अधिकार 
खुद अटल जी ओर राष्ट्रपति डॉ कलाम साहब ने विज्ञापन में काम किया था
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"श्री अटलजी का जाना हम सबके मन में एक रिक्तता छोड़ गया है, जिसकी पूर्ति असंभव है. उनके जैसे व्यक्ति बार-बार नहीं मिलते. युगों में, करोड़ों में, एक होते हैं. अपने युग की छाप छोड़कर अटलजी ने अपना जन्मकार्य समाप्त किया। अब उनके द्वारा स्थापित आचरण की मर्यादा ही हमारे लिए उनका कीर्तित्त्व बनकर रहेगी. अटलजी नहीं रहे. अटलजी अमर हैं." 
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- डॉ मोहन भागवत जी
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25 सितंबर 1996 की घटना..... अटल जी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे .एसपीजी की सुरक्षा थी ....उसी समय लखनऊ कैंट के विधायक सतीश भाटिया जी का निधन हुआ था अटलजी उन की पार्थिव यात्रा में शामिल होने गए .उनके लिए वाहन की व्यवस्था थी लेकिन उन्होंने कहा किसी के शव यात्रा में किसी वाहन से नहीं जाया जाता है शव यात्रा में तो पैदल ही चलना चाहिए और अटलजी घुटने में तकलीफ के बाद भी 4 किलोमीटर पैदल चले थे
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