Sunday 26 August 2018

sanskar- oct

*एक बकरी के पीछे शिकारी कुत्ते दौड़े। बकरी जान बचाकर अंगूरों की झाड़ी में घुस गयी*।
*कुत्ते आगे निकल गए*।
*बकरी ने निश्चिंतापूर्वक अँगूर की बेले खानी शुरु कर दी और जमीन से *लेकर अपनी गर्दन पहुचे उतनी दूरी तक के सारे पत्ते खा लिए*। 
*पत्ते झाड़ी में नहीं रहे*।
*छिपने का सहारा समाप्त् हो जाने पर कुत्तो ने उसे देख लिया और मार डाला* !!
*सहारा देने वाले को जो नष्ट करता है , उसकी ऐसी ही दुर्गति होती है*।
*मनुष्य भी आज सहारा देने वालीं जीवनदायिनी नदियां, पेड़ पौधो, जानवर, गाय, पर्वतो आदि को नुकसान पंहुचा रहा है और इन सभी का परिणाम भी अनेक आपदाओ के रूप में भोग रहा है*।
*प्राकृतिक सम्पदा बचाओ*
*अपना कल सुरक्षित करो*
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केरल में पद्मनाभस्वामी के दो मंदिर हैं...
मंदिरों के जिलों में बाढ़ का कोई भी असर नहीं हुआ है ....
क्या ये संयोग है ...
फिर भी आश्चर्यजनक दैवीय घटना तो है ही .....
मनमौजी दुबे जी के सौजन्य से:
अब इसे क्या कहें ....
त्रावणकोर के राज्य परिवार वर्मा ने जब स्वामी मंदिर की स्थापना की .....
जो कि तिरूवनंतपुरम में है,
तब त्रावणकोर राज्य को पद्मनाभस्वामी को अर्पित कर दिया।
इसलिए उसके बाद से पद्मनाभस्वामी जहाँ तक त्रावणकोर स्टेट अर्थात केरल है .....
वहाँ तक पद्मनाभस्वामी का साम्राज्य है ....
और वही यहाँ के शासक हैं,
वर्मा परिवार के राजा उनके सेवक बनकर राज्य का कार्यभार सँभालते हैं।
केरल में दो जगह पद्मनाभस्वामी का मंदिर है .....
एक अनंतपुरा, कुंबला, कासरगोड डिस्ट्रिक्ट में, जिसे अनंतपुरा पद्मनाभस्वामी के नाम से जाना जाता है।
दूसरा पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुअनंतपुरम, डिस्ट्रिक्ट इस जिले में है।
जहाँ तक पद्मनाभस्वामी का क्षेत्र है ....
वहाँ तक का क्षेत्र बाढ़ की विभीषिका से पूर्णतः सुरक्षित रहा ....
और कोई जान माल की क्षति नहीं पहुँची,
केरल के 2 जिले इस बाढ़ के प्रभाव से बच गए ....
जहाँ तक कि पद्मनाभस्वामी क्षेत्र था या है।
इस त्रासदीपूर्ण घटना के पीछे के रहस्य क्या हैं ....
यह तो भगवान ही जाने ....
किंतु इसे क्या कहा जाए ....
कि जहाँ पद्मनाभस्वामी क्षेत्र है केरल का उत्तरी व आखिर डिस्ट्रिक्ट कासरगोड और दक्षिणी छोर पर तिरूवनंतपुरम डिस्ट्रिक्ट बच गए।
किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं हुई ....
शेष केरला बाढ़ की विभीषिका से प्रभावित हुआ,
.... आश्चर्यजनक है ऐसा हुआ है।
(चित्र मूल स्थान अनंतपुरा कुंबला का है यह मंदिर झील के अंदर स्थित है)

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