इस गलतफहमी में रहना नहीं कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
कश्मीर कराची लाहौर देख लो
कहीं बस्ती दिखती नहीं हमारी।
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कर्नाटक में,3 लाख से ज़्यादा वोट नोटा पर पड़े थे,
कश्मीर कराची लाहौर देख लो
कहीं बस्ती दिखती नहीं हमारी।
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कर्नाटक में,3 लाख से ज़्यादा वोट नोटा पर पड़े थे,
अब गणेश पंडाल लगाने के लिये
टेक्स देना पड़ रहा है कांग्रेस सरकार को
,नोटा वालो.../ /
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'हकीकत'
...1962 का साल भारत भूमि की देह पर बड़ी सी खरोंचे छोड़ गया था। पड़ोसी ने पीछे से वार किया। देश का तत्कालीन प्रधानमंत्री चीन की मक्कारी भांपने में नाकाम रहा। नाकामी ऐसी कि आखिरी वक्त तक देश की सक्षम वायुसेना को आगे बढ़ने का आदेश ही नहीं दिया। देश की सेना ने कभी आत्मसमर्पण नहीं किया लेकिन देश का प्रधान कर चुका था। नागरिक इस धोखे का उचित जवाब न दिए जाने के कारण नाराज़ थे। हज़ारों सुहागनों की चूड़ियां टूटी थी। इस युद्ध में भारतीय शौर्य की अनेक गाथाओं ने जन्म लिया।
...1962 का साल भारत भूमि की देह पर बड़ी सी खरोंचे छोड़ गया था। पड़ोसी ने पीछे से वार किया। देश का तत्कालीन प्रधानमंत्री चीन की मक्कारी भांपने में नाकाम रहा। नाकामी ऐसी कि आखिरी वक्त तक देश की सक्षम वायुसेना को आगे बढ़ने का आदेश ही नहीं दिया। देश की सेना ने कभी आत्मसमर्पण नहीं किया लेकिन देश का प्रधान कर चुका था। नागरिक इस धोखे का उचित जवाब न दिए जाने के कारण नाराज़ थे। हज़ारों सुहागनों की चूड़ियां टूटी थी। इस युद्ध में भारतीय शौर्य की अनेक गाथाओं ने जन्म लिया।
उनमे से एक कहानी पर हिन्दी सिनेमा की सबसे पहली 'युद्ध फिल्म' बनी। इस फिल्म का नाम था 'हकीकत' और निर्देशक थे चेतन आनंद...
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