Wednesday, 8 August 2018

IAS अॉफिसर बन रिक्शेवाले के बेटे ने बताई कहानी- मेरे गंदे कपड़े और फटे जूते अब माएने नहीं रखते

 मैं क्लास 4 में था। मेरे माता-पिता मुझे स्कूल से निकालना चाहते थे, ताकि मैं अपने छोटे भाई-बहन और चचेरे भाई की तरह मजदूरी कर कमा सकूं…लेकिन मेरे टीचर ने मेरे माता-पिता को जोर देकर कहा कि- मैं एक होनहार स्टूडेंट हूं, मुझे आगे पढ़ाई करनी चाहिए। मेरे टीचर के मुंह से निकला ये शब्द मेरे जीवन को बदलकर रख दिया। ये कहानी है एक ऑटोरिक्शा चालक के बेटे की..जो आज एक IAS ऑफिसर है।
हर किसी की जिंदगी में संघर्ष है, इसका मतलब ये नहीं कि उस काम को आप बीच में ही छोड़ दें। आज हम आपको IAS ऑफिसर Ansar Shaikh की कहानी बता रहे हैं। अंसार शेख ने IAS बनने के बाद अपनी दिलचस्प कहानी शेयर की है। अंसार शेख का कहना है कि ‘अगर मैं ही पढ़ाई छोड़ देता, तो यहां तक कभी पहुंच नहीं पाता। मैं अपने परिवार में पहला IAS हूं। मैं महाराष्ट्र के जालना जिले के शेल्गांव से आया हूं- एक गरीब परिवार से हूं। मेरे पिता एक ऑटो चलाते हैं। मेरी मां खेतों पर काम करती है।
अंसार ने बताया कि कॉलेज के दिनों में सब बनठन कर आते थे, मानों कोई फैशन शो हो, लेकिन उसी बीच मैं सबसे अलग दिखाई देता था। मेरे पैरों पर जूतों की जगह चपप्ल होते थे, और बदन पर एक सामान्य सी टी-शर्ट। मैं हमेशा कॉलेज चप्पल पहनकर ही जाता था। फिर यूपीएससी हुआ और सबकुछ बदल गया। मैंने खुद को साबित कर दिया था। अब मुझे पता है कि यह मेरे कपड़े या जूते नहीं है – मुझे अब किसी से भी कम महसूस नहीं होता है।
लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती है। मैंने अपने जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखे हैं। मेरी बहन की शादी, दहेज। जब मैं छोटा था तब मैंने एक रेस्टोरेंट में भी काम किया था, लेकिन आज मेरे पास जो पावर है मैं,मुझे लगता है कि मैं बच्चों को इस रास्ते जाने से रोक सकता हूं। क्योंकि मेरे पास समाज से सही-गलत कहने की शक्ति है।
21 साल के अंसार अहमद शेख ने यूपीएससी में 360वीं रैंक हासिल की थी। अंसार को पुणे में मुस्लिम नाम की वजह से किराए का घर नहीं मिला था। इसके चलते उन्होंने नाम बदलकर शुभम रख लिया था। अंसार ने कहा कि- मुझे याद है जब मैं पीजी देखने निकला था तो मेरे हिंदू दोस्तों को आसानी से पीजी मिल गए थे, लेकिन मुझे हर वक्त मना कर दिया जाता था। इसलिए अगली बार मैंने अपना नाम शुभम बताया, जो मेरे दोस्त का नाम था, मुझे आसानी से पीजी मिल गया। लेकिन वक्त ने करवट ली और अब लोग मुझे मेरे असली नाम से जानते हैं, मुझे असली नाम छुपाने की जरूरत नहीं है।
मैं गरबी परिवार और पिछड़े इलाके से हूं। मेरे पिता की तीन बीवियां हैं, मेरी मां उनकी दूसरी बीबी है। हमारे परिवार में पढ़ाई लिखाई को तवज्जों नहीं दी जाती है। दो बहनों की शादी कर दी गई। जब मैंन घर पर फोन करके बताया कि मैं IAS बन गया हूं तो सभी हैरान थे। अंसान ने बताया कि अगर आपको सफल होना है तो मेहनत से पीछे नहीं भागवा चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है। 10वीं कक्षा को छोड़कर वे पूरी स्कूली शिक्षा के दौरान टॉपर रहे। तीन साल तक उन्होंने एक दिन भी छोड़े 10-12 घंटे पढ़ाई की। अंसार कहते हैं कि ऑफिसर बनने के बाद सांप्रदायिक सौहार्द्र बढ़ाना और गरीबों की मदद मेरा पहला काम है। मैं छात्रों से पूछूंगा कि वे सिस्टम में क्यों आना चाहते हैं। एक बार जब उन्हें ये जवाब मिल जाएगा रास्ता आसान हो जाएगा।

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