फिर तब 23 साल की सुभाषिनी ने तय किया कि वह कुछ ऐसा करेगी कि उसका कोई अपना इस तरह न मरे। उसने दिन में मजदूरी और रात में घर का काम कर पैसा जुटाने लगी।बेटे को पढ़ने के लिये अनाथालय भेज दिया।
25 साल में तिनका तिनका जोड़ 25 बेड का अस्पताल बना दिया। इस बीच उनका बेटा भी डॉक्टर बन गया।अब दोनों उसी अस्पताल में मुफ्त इलाज करते हैं गरीबों का। पति को मरता देख जो झेला, अब चाहती है कोई न देखे। उसकी जिद और संघर्ष की यह सफर बेमिसाल है। यह सही में पद्म सम्मान है। आज की लिस्ट में ऐसी ही बेहतरीन, जिंदगी खूबसूरत को दिखाने वाली कई कहानी है।
25 साल में तिनका तिनका जोड़ 25 बेड का अस्पताल बना दिया। इस बीच उनका बेटा भी डॉक्टर बन गया।अब दोनों उसी अस्पताल में मुफ्त इलाज करते हैं गरीबों का। पति को मरता देख जो झेला, अब चाहती है कोई न देखे। उसकी जिद और संघर्ष की यह सफर बेमिसाल है। यह सही में पद्म सम्मान है। आज की लिस्ट में ऐसी ही बेहतरीन, जिंदगी खूबसूरत को दिखाने वाली कई कहानी है।
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