Tuesday, 23 January 2018

"अन्ना इडली-डोसा" 
बहुत सालों पहले हमारे शहर में तमिलनाडु का एक व्यक्ति आया था काम करने ।
उन दिनों मोबाइल किरान्ति का आगाज हो रहा था और BSNL की ऑप्टिक फाइबर केबल बिछाने और टावर खड़े करने का काम जारी था ।
तमिलनाडु की किसी कम्पनी को ठेका मिला था । कई मद्रासी भाई मजदूरी करने आये थे । उन्ही में से एक व्यक्ति भी आया था । उसकी बीबी भी साथ आयी थी । पति मजदूरी करता था और पत्नी हाउस वाइफ थी । खाना बनाती , कपड़े धोती । अधिकतर समय खाली ही रहती थी इसलिए उसकी पत्नी ने छोटा-मोटा काम धन्धा करने की सोची ।
पर परदेशी जगह । कोई जान-पहचान नहीं । कोई रिश्तेदारी भी नहीं । ऊपर से भाषा की समस्या ।
करें तो क्या करें ? एक दिन पति-पत्नी ने विचार किया कि क्यों न लोगों को इडली-डोसा बनाकर खिलाएं ? खुद के लिए बनाते ही हैं इडली डोसे का नाश्ता , तो क्यों न लोगों को खिलायें ?
एक तो इस काम में हाथ भी सधा हुआ है और दूसरा चार पैसा अतिरिक्त आएगा तो घर को सहारा ही लगेगा ।
यहां रहकर उसकी बीबी और उसने शाम के समय डोसा-इडली की ढकेल लगानी शुरू कर दिया । क्या इडली-डोसा बनाता था बाबा ? लोग वाह वाह कर उठते थे । उंगलियां चाटते थे । गजब की स्वादिष्ट ।
धन्धा चल निकला । बन्दा "अन्ना" के नाम से मशहूर हो गया । "अन्ना इडली-डोसा" ।
कम्पनी अपना काम धन्धा पूरा कर वापस जा चुकी थी पर अन्ना नहीं गया । वो अपने इडली-डोसा के काम में रम गया ।
आज से 20 साल पहले उसकी रोजाना की शुद्ध बचत लगभग 500+ रुपये थी ।
अन्ना फेमस हो गया था । उसका बनाया इडली-डोसा भी फेमस हो गया था ।
उसके देखा-देखी और भी लोग इस धंधे में आ खड़े हुए पर अन्ना को पछाड़ना मुश्किल ही नहीं , नामुमकिन था ।
जो भीड़ उसकी ढकेल पर उमड़ती-घुमड़ती थी वो औरों की ढकेल पर नहीं ।
बहुत पैसा बनाया अन्ना इडली-डोसा के धंधे से । आज अन्ना तो नहीं है दुनिया में लेकिन उसके दोनों लड़के ढकेल लगाते हैं । रामा और राजू । ग्राहक इतने की 2 ढकेल लगानी पड़ती हैं । बेटे बाप से भी बढ़कर निकले । दोनों की ढकेल पर भारी भीड़ । डोसा इडली के लिए नम्बर लगते हैं ।
रामा और राजू की डेली बचत कम से कम 1500 से 2000 रुपये । दोनों भाई शादी-पार्टी के ऑर्डर भी लेते हैं । इडली-डोसा बनाने का जो हुनर अन्ना  में है वो उनके कम्पीटिटरों में नहीं मिलता ..और मजे की बात यह है कि ढकेल लगने का समय सर्दियों में शाम को 5 बजे से रात 10 बजे तक या माल खत्म होने तक और गर्मियों में शाम 7 बजे से 12 बजे या माल खत्म होने तक । मतलब सिर्फ 5 घण्टे में ही लगभग 50 हजार रुपये महीने की शुद्ध कमाई ।
आजकल दोनों भाई अपने ढकेल बिज़नेस को रेस्ट्रोरेंट बिज़नेस का रूप देने के लिए मौके की जगह तलाश रहे हैं ।
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इडली डोसे का धंधा बुरा नहीं है । वैसे भी किसी ने कहा है कि कोई भी धन्धा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई मजहब नहीं होता ।
आजकल 3 धंधे बड़े सुपरहिट हैं । मोबाइल , कपड़े और खान-पान के । फिर चाय-पकोड़े वाली बात पर इतनी रोयम-राट क्यों ?
कुमार अवधेश सिंह

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