Thursday 11 January 2018

यहाँ के मुसलमान ख़ुद को देशभक्त साबित करने के लिए अक्सर कहते रहते हैं की उनके पुरखों ने देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों से जंग की थी। इसलिए दूसरों की तरह हमारा भी देश पर अधिकार है। लेकिन यह बात सरासर झूठ और भ्रामक है ।
मुसलामानों ने अंग्रेजों से जंग जरूर की थी ,लेकिन देश की आजादी के लिए नहीं .वे अंग्रेजों के दुश्मन इसलिए हो गए थे की ,अंग्रेजों ने तुर्की के खलीफा अब्दुल हमीद को उसकी गद्दी से उतार दिया था। जबकि दुनिया के सारे मुस्लिम बादशाह और नवाब खलीफा को अपना धार्मिक और राजनीतिक नेता मानते थे ,और ख़ुद को उसका नुमायन्दा मानकर ,मस्जिदों में उसके नाम का खुतबा पढाते थे। खलीफा को हटाने के कारण मुसलमान अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए ,और उन्होंने खिलाफत मूवमेंट नामका एक संगठन बना लिया था। वीर सावरकर ने इसे खुराफात मूवमेंट का नाम दिया था।
गांधी ने सोचा की यदि स्वतंत्रता आन्दोलन में इस संगठन को भी शामिल कर लिया जाए तो आन्दोलन को और बल मिलेगा .बस यही गांधी की भूल थी . गांधी को यह पता नहीं था ,की यदि मुसलामानों की मदद से आजादी मिल भी जायेगी ,तो मुसलमान अपना मेहनताना जरूर मागेंगे .और बाद में ऐसा ही हुआ .मुसलमानों ने पाकिस्तान के रूप में अपना हिस्सा ले लिया।
दिसम्बर 1930 में इलाहबाद में आयोजित मुस्लिम लीग के अधिवेशन में इकबाल ने कहा था -
हो जाय अगर शाहे खुरासान का इशारा ,
सिजदा न करूं हिंद की नापाक ज़मीं पर।
- यदि हमें तुर्की के खलीफा का इशारा मिल जाए तो हम इस हिन्दुस्तान की नापाक ज़मीन पर नमाज़ तक न पढेंगे
3-इस्लाम प्रजातंत्र का विरोधी है
मुसलमान चाहे कितना कहें की हम संविधान और प्रजातंत्र (Democracy) पर विश्वास रखते हैं ,लेकिन यह उनका सिर्फ पाखण्ड है , मुसलमान कहीं पर हों वह इस्लामी हुकूमत "धर्मतंत्र (Islamocracy ) ही चाहते हैं , इकबाल ने आगे यह भी कहा था कि ,
"जलाले बादशाही हो ,या जम्हूरी तमाशा हो - अगर मजहब से खाली तो रह जाती है खाकानी "
अर्थात - चाहे राजाशाही (Monarchy ) की चमक दमक हो ,या प्रजातंत्र का तमाशा हो , लेकिन यदि धर्म तंत्र ( इस्लामी राज्य ) नहीं हो तो सभी अराजकता (Anarchy) ) माने जायेंगे .
यही कारण है कि मुसलमान जिस भी देश में जाकर रहते हैं वहां की सर्कार के लिए समस्याएं पैदा करते रहते , वहां के लोगों का जीना हराम कर देते है , जैसे भारत में कर रहे हैं ,
जब मुसलमानों को इस देश से इतनी नफ़रत है ,तो देशभक्ति का पाखण्ड क्यों करते हैं .और इस नापाक देश से अपना अधिकार किस मुह से माँगते हैं। इन्हें तो चाहिए की वे यहाँ से तुंरत निकल जाएँ ।
हिन्दुओ को इनके झूठे भाईचारे ,गंगा जमुनी तहजीब जैसी मक्कारी भरी बातों में नही आना चाहिए। यह लोग न तो कभी देश के वफादार थे और न भविष्य में होंगे ।

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