Tuesday, 30 January 2018

mediya

देश में, उल्टी सोच वाले वामपंथियों की संख्या में निरंतर इज़ाफ़ा हो रहा है। कारण है गलत बातों का प्रचार प्रसार, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया औऱ फिल्मों के माध्यम से, सरकार की कुछ गलत नीतियों से, गुंडों को खुली छूट देने से, हिंसा और अनैतिकता फैलाने वाले धारावाहिकों से और मोटी धनराशि से अधिकारियों, संस्थान प्रमुख, वकीलों और पत्रकारों की खरीद फरोख्त से। जिस देश मे ईमान का सौदा होता हो, वहाँ अच्छाई, सच्चाई और विकास का बाधित हो जाना लाज़मी है।
आज इसी दूषित वातावण का परिणाम है कि कन्हैय्या, शहला, उमर खालिद, स्वरा भास्कर, सरदेसाई, शोभा डे, भंसाली, अंजना कश्यप, और नेक नामचीन नेता और मंत्री प्रतिदिन पैदा हो रहे हैं।
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हिंदुस्तान में दंगा शुक्रवार (जुम्मा) को ही क्यों होता है..?
कुमार अवधेश सिंह
उनके घर की तलाशी में बम मिलते है तुम्हारे घर की तलाशी में
 शंख घण्टे !!...अब बजाते रहो...
कुमार अवधेश सिंह
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Sujeet Sharma
मैं गीता को ग्रंथ ही नहीं हिन्दुओं का संविधान मानता हूँ, जिसमे स्पष्ट लिखा है जब शांति के सारे मार्ग बंद हो जाये,*
*तब युद्ध करो।
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आश्चर्य हुआ सुनकर कि हिंदुस्तान के अंदर केवल मोहल्ले नहीं हैं बल्कि "मुस्लिम मुहल्ले" हैं। DM साहब का वक्तव्य है ये।
ऐसे ऐसे DM होंगे तो पहले मुस्लिम मोहल्ला, फिर मुस्लिम शहर फिर मुस्लिम राष्ट्र हो जाएगा और DM साहब अपनी सैलरी लेकर रिटायर हो जाएंगे। भुगतेंगी आने वाली पीढ़ियाँ। 56 इस्लामिक देश इसी अकर्मण्यता से ही बने हैं।
Divya Srivastava
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 अपने देश मे मुस्लिम मोहल्ले होते हैं जिसे पुलिस प्रसासन सेंसिटिव इलाका मानते हैं...कारण ये लोग संगठित हो कर रहते है....ठीक है अब हिन्दू इलाकों में मुस्लिमों की जो मस्जिद बगैरह हैं उसे कम से कम अपने मोहल्ले में लें जाएं नहीं तो हिन्दू एक हो कर उन्हें ढहा दें...तभी उनको समझ मे आये गा-----Shyamsunder Gupta
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अगर आज़ादी के 70 साल बाद भी इस देश में इन्हें(शांतिदूत) राष्ट्रगान नहीं गाना, राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराना, देश के संविधान को नहीं मानना, वन्दे मातरम से नफरत करना है...तो फिर इन्हें मतदान का अधिकार क्यो, क्या ये देश की जनता से धोखा नही...?
कुमार अवधेश सिंह
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इंजीनियरो से अनुरोध हैं कि
कोई ऐसी तकनीक विकसित करें
जिससे TV में हाथ डालकर कुछ पत्रकारों को खींचकर झापड मारा जा सके...Shersingh Rajput
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#वैसे एक बात तो है, 50 करोड़ लोगों को 5 लाख तक हेल्थ इंश्योरेंस और लगभग 60 करोड़ किसानों की फसल पर डेढ़ गुना कीमत की चर्चा कोई नहीं करना चाहता.......
#देश के 3% टैक्स पेयर के प्रति माह 150 - 200 रुपए कम क्यों नहीं किए गए, उसके लिए वह पंचर लगाने वाले भी चिंतित दिखे जो टैक्स से बचने के लिए सिगरेट बीड़ी ना पीकर, टायर फूंक कर नशा करते हैं......
#अभी हेल्थ स्कीम की तस्वीर स्पष्ट नहीं है कि कौन-कौन इसके दायरे में आएगा लेकिन सोचें कि हम में से कितने लोग हैं जो बीमार होने पर ₹ 5 लाख तक खर्च कर सकते हैं......
#यह भी देखें कि यदि किसी फसल की लागत एक लाख रुपए आती है और उस पर डेढ़ लाख रुपए तक मिलने की सुरक्षा मिलती है, तो अमूमन साल में दो या तीन बार फसल तैयार होती है मतलब आपके लगाए एक लाख रुपए साल के अंत में मानकर चलें कि दो लाख तो हो ही जाएंगे......
#सही तरह से इस स्कीम ने काम किया तो यह कितनी बड़ी सुरक्षा है, और किसानों के लिए तो पूंजी की भी समस्या नहीं है किसान क्रेडिट कार्ड से लोन मिल जाता है.......
#अब सोचिए यदि कोई किसान भी नहीं है तो भी अगला आदमी मजदूरी कर रहा है, पकोड़े बेच रहा है, टिंडे बेच रहा है, या रिक्शा खींच रहा है, तो भी उसे सरकारी दुकानों से सस्ता राशन मिल रहा है या उसके बदले में पैसे उसके अकाउंट में ट्रांसफर हो रहे हैं.......
#उसके लिए भी नई खुशखबरी यह है कि उसे इलाज के लिए भी सरकार की तरफ से ₹500000 तक का बीमा मिलेगा.......
#कुल मिलाकर यह तय है कि आपके बारे में सरकार सोच लेगी, आप अपने काम धंधे के बारे में सोचिए....
Ashish Tiwari
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· भाजपा को भी राजस्थान में शर्मनिरपेक्ष होने का प्रमाणपत्र मिल गया। बधाई हो ....शम्भूलाल रेगर....DeshDeepak Singh

















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